
अगले साल से आप सभी को 3 दिन की छुट्टी मिलने वाली है, मगर इसमें एक बड़ा कैच भी है और वो यह है कि इससे आपकी सैलरी पर बड़ा असर पड़ने वाला है। केंद्र सरकार एक फैसले से आपकी टेक होम सैलरी पर जल्द कैंची चलने वाली है।
दरअसल, केंद्र सरकार चारों श्रम कानूनों को मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध और व्यवसाय सुरक्षा और स्वास्थ्य को अगले वित्त वर्ष 2022-23 तक लागू किए जाने की संभावना है। इतना ही नहीं, कम से कम 13 राज्यों ने इन कानूनों के ड्राफ्ट रूल्स को तैयार कर लिया है। अगर यह कानून लागू हो जाएगा तो आपकी टेक होम सैलरी और पीएफ स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव हो जाएगा। आइए इसके बारे में हम विस्तार से जानें।
आपको बता दें कि नए ड्राफ्ट कानून के मुताबिक, कर्मचारियों की सैलरी से लेकर उनकी छुट्टियां और काम के घंटे भी बदल जाएंगे। इस नए कोड के तहत काम के घंटे बढ़कर 12 हो जाएंगे। हालांकि सप्ताह में 48 घंटे ही काम करना होगा। अगर कोई व्यक्ति रोजाना 8 घंटे काम करता है तो उसे सप्ताह में 6 दिन काम करना होगा जबकि 12 घंटे काम करने वाले व्यक्ति को सप्ताह में 4 दिन काम करना होगा। सरल शब्दों में बताएं तो इससे कर्मचारियों को सप्ताह में 3 दिन की छुट्टी भी मिल सकती है।

आपको बता दें कि नए श्रम कानून लागू होने के बाद कर्मचारियों के वेतन पर बड़ा असर पड़ेगा। नए ड्राफ्ट रूल्स के मुताबिक, बेसिक सैलरी कुल वेतन की 50 फीसदी या ज्यादा होनी चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव आएगा। बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ और ग्रेच्युटी के लिए कटने वाला पैसा बढ़ जाएगा। बता दें कि इसमें जाने वाला पैसा बेसिक सैलरी के अनुपात में तय किया जाता है। और अगर ऐसा होता है तो कर्मचारियों की टेक होम सैलरी घट जाएगी। इसके साथ ही ज्यादा बेसिक सैलरी का मतलब है कि ग्रैच्युटी की रकम भी अब पहले से ज्यादा होगी और ये पहले के मुकाबले एक से डेढ़ गुना ज्यादा हो सकती है (करियर स्विच करने से पहले खुद से करें यह सवाल)।
केंद्र ने इन कोड के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है और अब राज्यों को अपनी ओर से नियम बनाने हैं, क्योंकि लेबर समवर्ती सूची का विषय है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'चार लेबर कोड के अगले वित्त वर्ष 2022-23 में लागू होने की संभावना है, क्योंकि बड़ी संख्या में राज्यों ने इनके ड्राफ्ट रूल्स को अंतिम रूप दे दिया है। केंद्र ने फरवरी 2021 में इन कोड के ड्राफ्ट रूल्स को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी कर ली थी, लेकिन चूंकि लेबर एक समवर्ती विषय है, इसलिए केंद्र चाहता है कि राज्य भी इसे एक साथ लागू करें।'
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पीटीआई के मुताबिक एक सीनियर अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कम से कम 13 राज्यों ने इन कानूनों के मसौदा नियमों को तैयार कर लिया है। 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मजदूरी पर संहिता पर सबसे अधिक मसौदा अधिसूचनाएं पूर्व-प्रकाशित की जाती हैं, इसके बाद औद्योगिक संबंध संहिता (20 राज्यों द्वारा) और सामाजिक सुरक्षा संहिता (18) राज्यों की होती है।
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चार दिन की वर्किंग पॉलिसी को लेकर इंडस्ट्री की एम्प्लॉयमेंट कंसल्टेंट साक्षी दुदेजा का कहना है कि, 'इसे कर्मचारी की सुविधा के हिसाब से किया जा सकता है। ये हर इंसान के लिए अलग हो सकता है मतलब कई लोग कर सकते हैं और कई नहीं कर सकते, लेकिन साथ ही 12 घंटे एक स्ट्रेच में काम करना कई लोगों के लिए परेशानी भरा हो सकता है।' यकीनन साक्षी की बात में कुछ हद तक सच्चाई है क्योंकि अगर एक दिन के आराम और काम को देखा जाए तो 12 घंटे काम करने के बाद कुछ लोगों के पास बिल्कुल समय ही नहीं बचेगा।
अगर यह नियम लागू होता है, तो यह बात तो तय है कि हमारे वेतन पर बड़ा असर पड़ेगा। आपका इस नियम के बारे में क्या कहना है, हमारे बारे में जरूर बताएं। यह लेख आपको पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें हरजिंदगी।
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