मुगल साम्राज्य का इतिहास काफी रोचक और लंबा रहा, जिससे कई पन्ने आज भी खोले जा रहे हैं। हाल ही में रिलीज हुई छावा फिल्म के बाद औरंगजेब और उसकी सत्ता को लेकर कई तरह के विवाद हो रहे हैं। हालांकि, औरंगजेब और इसका शासन कैसा रहा है, यह सब हम पढ़ ही रहे हैं। इस दौरान हमें एक और ऐसे राजा के बारे में पता लगा, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते या समझते हैं।
इस राजा का नाम जहांदार शाह है, जो एक निर्बल और विलासी शासक के बारे में जाना जाता है। वह औरंगजेब का पोता और बहादुर शाह प्रथम का पुत्र था। उसके शासनकाल की सबसे खास बात यह थी कि वह मात्र 9 महीने ही गद्दी पर बैठ सका, जिसकी वजह से इतिहासकारों ने जहांदार शाह को एक ऐसा शासक बताया है, जो प्रशासन की बारीकियों से अनजान था। अपनी प्रेमिका लाल कुंवर के प्रभाव में आकर मुगल सत्ता की गरिमा को गिरा बैठा।
जहांदार शाह का सिंहासन पर बैठना ही काफी मुश्किल था। बहादुर शाह प्रथम की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारियों के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष हुआ। फिर इस जंग में जहांदार शाह ने अपने भाइयों को हराकर 1712 में मुगल गद्दी पर कब्जा किया।
लेकिन उसकी यह जीत ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकी। उसके भतीजे फर्रुखसियर ने सैयद बंधुओं की मदद से 1713 में उसे पराजित कर दिया और उसे कैद करवा दिया। फिर यही से मुगल अपने अंतिम पड़ाव पर जाता रहा।
जहांदार शाह की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी अय्याशी और शासन में रुचि की कमी थी। वह पूरी तरह से अपनी प्रेमिका लाल कुंवर के वश में था, जो पहले एक नाचने-गाने वाली थी।
लाल कुंवर ने न केवल दरबार में हस्तक्षेप किया, बल्कि उसे खुलेआम हास्य का पात्र भी बना दिया। इसके अलावा, जहांदार शाह के शासनकाल में राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और मुगल प्रशासन की गिरावट साफ दिखाई देने लगी।
जहांदार शाह और औरंगजेब का रिश्ता दादा और पोते का था। जहांदार शाह मुगल सम्राट औरंगजेब का पोता और बहादुर शाह प्रथम का पुत्र था। मगर जहांदार शाह और औरंगजेब के शासन और व्यक्तित्व में जमीन-आसमान का अंतर था।
औरंगजेब एक सख्त, अनुशासित और कट्टर धार्मिक शासक था, जबकि जहांदार शाह को भोग-विलास में डूबा, कमजोर और अयोग्य शासक माना गया। औरंगजेब के शासनकाल में मुगल साम्राज्य अपने चरम पर था, लेकिन जहांदार शाह के समय में इसकी स्थिति और भी कमजोर हो गई।
जहांदार शाह मुगल साम्राज्य का आठवां सम्राट था, जिसने 1712 से 1713 तक शासन किया। वह औरंगजेब का पोता और बहादुर शाह प्रथम का बेटा था। जहांदार शाह का जन्म 1661 में हुआ था। वह बहादुर शाह प्रथम का सबसे बड़ा पुत्र था।
जब 1712 में बहादुर शाह प्रथम की मृत्यु हुई, तो उसके बेटों के बीच सत्ता संघर्ष शुरू हो गया। जहांदार शाह ने अपने भाइयों को हराकर 1712 में दिल्ली की गद्दी संभाली, लेकिन उसके शासनकाल में मुगल सत्ता बहुत कमजोर हो गई।
जहांदार शाह की अय्याशी और लापरवाही ने उसे कमजोर बना दिया। 1713 में उसके भतीजे फर्रुखसियर ने सैयद बंधुओं की मदद से उसे हरा दिया। उसे बंदी बना लिया गया और कुछ महीनों बाद उसकी हत्या कर दी गई। इसका शासन मुगल सत्ता के पतन की शुरुआत माना जाता है।
जहांदार शाह को इतिहासकारों ने लंपट मूर्ख कहकर संबोधित किया, क्योंकि वह एक अय्याश, विलासी और प्रशासन के लिए पूरी तरह अयोग्य शासक था। अगर हम इसके अर्थ पर बात करें तो लंपट को चरित्रहीन और मूर्ख को नासमझ कहा जाता है।
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जहांदार शाह को इतिहासकारों ने लंपट मूर्ख कहा क्योंकि वह शासन की जगह ऐशो-आराम, नाच-गाने और शराब में डूबा रहा और अपनी प्रेमिका लाल कुंवर के प्रभाव में आकर राजनीतिक फैसले भी उसी के कहने पर लेने लगा।
इस वजह से उसकी छवि कमजोर, विलासी और नासमझ शासक की बनी, जिससे उसका शासन सिर्फ 9 महीने में खत्म हो गया। जहांदार शाह का शासन भले ही कम समय तक रहा, लेकिन यह मुगलों की गिरती हुई सत्ता और अंदरूनी संघर्षों का प्रतीक बन गया।
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