मुगल शासकों ने भारत पर करीब 300 से ज्यादा सालों तक शासन किया और मुगल साम्राज्य की स्थापना बाबर ने की थी। भारत के आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर थे, जिन्होंने 1837 से लेकर 1857 तक भारत पर शासन किया था और उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जमकर विरोध किया था। उनके शासनकाल का अंत ब्रिटिश सेना के हाथों हुआ था, जिसके बाद मुगल साम्राज्य का अंत हो गया। अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर से शाही संपत्तियां भी छीन ली थीं। इन शाही संपत्तियों में मुगल बादशाह का बेशकीमती मुकुट भी शामिल था, जिसमें रत्न जड़े हुए थे।
यह मुकुट केवल शाही वस्तु नहीं था, बल्कि भारत की समृद्ध विरासत और मुगलों की शान का प्रतीक भी था। लेकिन, जब बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया था, तो इस कीमती मुकुट का क्या हुआ? आज अमूल्य मुकुट कहां और किसके पास है?
मुगल मुकुट
मुगलों ने भारत में शासन करने के दौरान अपार संपत्ति इकट्ठा कर ली थी। मुगलों के अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफर का मुकुट सोने से बना था और इसमें बेशकीमती रत्न जड़े हुए थे। उस मुकुट में मुगल काल और शिल्पकौशल की नक्काशी और डिजायन की गई थी। यह मुकुट शाही गहना नहीं था, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास की अमूल्य धरोहर थी।
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मुगल साम्राज्य का पतन
19वीं शताब्दी के मध्य तक मुगल शासनकाल बहुत कमजोर हो चुका था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के अधिकांश हिस्सों पर कब्जा कर लिया था। 1857 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहली बार स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई थी। हालांकि, यह विद्रोह सफल नहीं हो पाया था और अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। उस दौरान, बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया था और उनको रंगून भेज दिया था, जहां उन्होंने अपने जीवन के अंतिम सालों को गुमनामी में बिताया था।
ब्रिटिशों के हाथों मुकुट की लूट
1857 के विद्रोह के बाद, अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया और मुगलों की बेशकीमती चीजों को लूट भी लिया था। मुगल खजाने में बहादुर शाह जफर का मुकुट भी शामिल था। उस दौरान, ब्रिटिश अधिकारी मेजर रॉबर्ट टाइटलर ने इस मुकुट और दो शाही सिंहासन को अपने कब्जे में ले लिया था। इसके बाद, यह मुकुट अंग्रेजों के साथ भारत से बाहर चला गया।
आज बहादुर शाह जफर का मुकुट कहां है?
आज बहादुर शाह जफर का बेशकीमती मुकुट यूनाइटेड किंगडम में मौजूद है। यह ब्रिटिश रॉयल कलेक्शन का हिस्सा है और लंदन में सुरक्षित रखा गया है। 1861 में ब्रिटिश सेना ने इस मुकुट को महारानी विक्टोरिया को भेंट किया था। तब से, यह ताज ब्रिटिश शाही परिवार के संग्रह में शामिल है।
क्या मुकुट भारत वापस आएगा?
कई सालों से भारतीय इतिहासकार इस मुकुट की वापसी की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह भारत की ऐतिहासिक विरासत है, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने अब तक किसी ऐसी मांग को स्वीकार नहीं किया है। इसके अलावा, कई अन्य देश भी अपने ऐतिहासिक खजाने को वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिसमें ग्रीस का एल्गिन मार्बल्स, मिस्त्र का रोसेटा स्टोन और भारत का कोहिनूर हीरा भी शामिल है।
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मुगलों के मुकुटों के बारे में बहुत कम ऐतिहासिक विवरण उपलब्ध हैं, लेकिन कुछ प्रमुख मुकुट हैं-
- हुमायूं का मुकुट- मुगल बादशाह हुमायूं के शासनकाल में ही शाही वस्त्र शैली और ताज पहनने की परंपरा ज्यादा विकसित हुई थी।
- अकबर का मुकुट- अकबर एक विशेष मुकुट धारण किया करता था, जिसमें सोने, माणिक, पन्ना और मोतियों से जड़े हुए थे। अकबर की पोशाक और मुकुट फारसी और भारतीय कला का मिश्रण थी।
- जहांगीर का मुकुट- जहांगीर को आभूषण और मुकुट का बहुत शौक था। उसका मुकुट सोने और हीरे-जवाहरात से बना था और इसमें मोर के पंख जैसी आकृति थी, जो भारतीय और फारसी कला के मेल को दर्शाती थी।
- शाहजहां का मुकुट- शाहजहां का मुकुट काफी भव्य और कीमती था, जिसमें कोहिनूर हीरा, बेशकीमती पन्ने, नीलम और सोने की जटिल नक्काशी शामिल थी।
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Image Credit - jagran, wikipedia
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