भारत में करीब 300 से ज्यादा सालों तक मुगल शासकों ने शासन किया था और इन बादशाहों की कब्रें पूरे उपमहाद्वीप के अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं। इन दिनों महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद चल रहा है, जिसके चलते ASI ने उसे ढंक दिया है और इसे हटाने की मांग भी की जा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक और मुगल सम्राट की मौत के 9 साल बाद उसकी कब्र को आगरा से हटाकर और काबुल शिफ्ट कर दिया गया था।
दरअसल, मुगल साम्राज्य की स्थापना 1526 में बाबर ने की थी और मुगल शासनकाल भारत में 1526 से लेकर 1857 तक चला था। उस दौरान कुल 20 मुगल शासकों ने दिल्ली की सल्तनत पर राज किया था। हालांकि, इस सल्तनत का सबसे प्रभावशाली शासनकाल औरंगजेब तक चलता। उसके बाद भी 13 और मुगल सम्राट हुए, लेकिन वे इतने कमजोर थे कि इतिहास में उन्हें पहचान नहीं मिल पाई। आज हम इस आर्टिकल में आपको बाबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक मुगल सम्राटों की कब्रों की ऐतिहासिक यात्रा पर ले चलते हैं।
बाबर (1526-1530) - काबुल, अफ़गानिस्तान
जहीर-उद-दीन बाबर का जन्म उज्बेकिस्तान में हुआ था और भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना उसने ही की थी। बाबर की मृत्यु 26 दिसंबर 1530 को आगरा में हुई थी और उसे फिरोजाबाद में दफनाया गया था। हालांकि, बाबर की अंतिम इच्छा थी कि उसकी कब्र को अफगानिस्तान के काबुल में दफनाया जाए। अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए मुगल बादशाह हुमायूं ने बाबर की मृत्यु के 9 साल बाद, उसकी कब्र को आगरा से खोदकर निकलवाया था और काबुल ले जाकर दफनाया था। आज बाबर की समाधि काबुल के प्रसिद्ध बाबर गार्डन में स्थित है, जो अफगानिस्तान का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है।
हुमायूं (1530-1540, 1555-1556) – हुमायूं का मकबरा, दिल्ली
मुगल साम्राज्य के दूसरे बादशाह हुमायूं की मृत्यु 1556 में सीढ़ी से गिरने के कारण हुई थी। उनकी पत्नी हाजी बेगम ने अपने पति की याद में एक भव्य मकबरा दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में यमुना नदी के किनारे बनवाया था। इस मकबरे का निर्माण अकबर के शासनकाल के दौरान 1565 से शुरू होकर 1572 में पूरा हुआ था। दिल्ली में स्थित यह मकबरा UNESCO विश्व धरोहर स्थल भी है। आपको बता दें कि हुमायूं के मकबरे में केवल मुगल सम्राट की कब्र ही नहीं है, बल्कि हुमायूं की पत्नी हाजी बेगम, शाहजहां के बेटे दारा शिकोह, बादशाह फर्रुखसियर और जहानदार शाह की कब्रें में स्थित हैं।
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अकबर (1556-1605) – सिकंदरा, आगरा
अकबर मुगल साम्राज्य के सबसे महान मुगल शासकों में से एक थे, उनकी मृत्यु 1605 में हुई थी। उन्होंने खुद ही अपने मकबरे को आगरा के सिकंदरा क्षेत्र में बनवाने का आदेश पारित किया था। हालांकि, उनकी मृत्यु हो गई और इसके बाद उनके बेटे जहांगीर ने 1650 में इसका निर्माण शुरू करवाया था और 1613 में यह पूरा हो गया।
जहांगीर (1605-1627) – लाहौर, पाकिस्तान
मुगल शासक जहांगीर की मृत्यु 28 अक्तूबर 1627 को कश्मीर से लाहौर लौटते समय हुई थी। पहले, उन्हें रावी नदी के किनारे दफनाया गया था, लेकिन बाद में उनकी पत्नी नूरजहां ने अपने पति के लिए लाहौर, पाकिस्तान में एक भव्य मकबरा बनवाया था, जो 1637 में बनकर तैयार हुआ था।
शाहजहां (1628-1658) – ताजमहल, आगरा
कहा जाता है कि शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने आगरा के किले में उन्हें नजरबंद कर दिया था। वहां मुगल सम्राट ने अपनी जिंदगी के 8 साल काटे थे। उनकी मौत के बाद, औरंगजेब ने उनकी इच्छा के विरुद्ध उनकी कब्र को ताजमहल के अंदर मुमताज महल के पास दफनाने का आदेश दिया था।
औरंगजेब (1658-1707) – खुल्दाबाद, महाराष्ट्र
मुगल शासनकाल के सबसे क्रूर शासक औरंगजेब की मृत्यु अहमदनगर में हुई थी। उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा था कि उन्हें किसी साधारण मिट्टी की कब्र में दफनाया जाए। उनकी मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके गुरु सैय्यद जैनुद्दीन शिराज़ी के मकबरे के पास खुल्दाबाद,औरंगाबाद, महाराष्ट्र में दफनाया गया। हालांकि, 20वीं शताब्दी में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन ने उनकी क्रब के चारों तरफ सफेद संगमरमर की पट्टी लगवाई थी, ताकि यह संरक्षित रह सके।
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बहादुर शाह I (1707-1712) - दिल्ली, भारत
औरंगजेब की मृत्यु के बाद, 1707 से 1712 तक बहादुर शाह प्रथम ने भारत पर शासन किया था। उन्होंने अपने समय में ही मुगल साम्राज्य का पतन देखना शुरू कर दिया था। मुगल सम्राट की मृत्यु के बाद, उन्हें दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह परिसर में दफनाया गया था।
बहादुर शाह जफर (1837-1857) - यांगून, म्यांमार
भारत के अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर थे। वह शक्तिशाली नहीं थे, लेकिन समझदार शासक थे। उन्होंने 1857 की क्रांति में अहम रोल अदा किया था। 1858 में अंग्रेजों ने उन्हें रंगून भेज दिया था, जहां उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी साल कैद में गुजारे थे। 7 नवंबर 1862 में उनकी मृत्यु हो गई थी और उनकी कब्र को कई सालों तक गुमनाम रखा गया था। लेकिन, बाद में इसे रंगून में खोजा गया और उनका मकबरा मिल गया था। जिसे आज बादशाह जफर मकबरा के नाम से जाना जाता है।
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Image Credit - wikipedia, jagran
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