औरंगजेब की कब्र पर क्यों लगा है तुलसी का पौधा? क्यों इतना साधारण है मुगल बादशाह का मकबरा

Aurangzeb Grave Removal Disputes: औरंगजेब को मुगलों के सबसे प्रभावशाली बादशाहों में से एक माना जाता है फिर क्यों उसकी कब्र आज भी इतनी साधारण है। आइए जानें, आखिर क्यों औरंगजेब की कब्र पर तुलसी का पौधा लगाया गया है? 
  • Nikki Rai
  • Editorial
  • Updated - 2025-03-25, 19:05 IST
Aurangzeb Grave Removal Disputes

Why Tulsi Plant Planted on Aurangzeb's Grave: औरंगजेब की कब्र को लेकर महाराष्ट्र में इन दिनों बवाल मचा हुआ है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ही स्थित खुल्दाबाद में औरंगजेब की कब्र मौजूद है। इसी शहर में औरंगजेब की बीबी का भी मकबरा मौजूद है। इस मकबरे को दक्कन का ताज तक कहा जाता है। अब औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर कर दिया गया है। औरंगजेब मुगलों का एक प्रभावशाली बादशाह था, लेकिन इसके बाद भी उसकी कब्र बहुत ही साधारत सी है। औरंगजेब का मकबरा भी बेहद साधारण तरीके से बनाया गया है। मन में सवाल आता है कि आखिर इतने बड़े मुगल बादशाह की कब्र इतनी साधारण क्यों? इसके साथ ही औरंगजेब की कब्र पर तुलसी का पौधा भी लगाया गया है। आइए जानें, औरंगजेब की कब्र पर तुलसी का पौधा ही क्यों लगाया गया है?

औरंगजेब की कब्र पर तुलसी का पौधा क्यों?

Why is there a Tulsi plant on Aurangzeb's grave

औरंगजेब की कब्र पर केवल मिट्टी है और इसे बहुत ही साधारण तरीके से बनाया गया है। यह कब्र हर वक्त एक सफेद चादर से ढकी रहती है। कब्र के ऊपर एक तुलसी यानी सब्जा का पौधा लगा है। इसके पीछे का कारण है कि औरंगजेब की यह इच्छा थी कि उसकी कब्र पर एक सब्जा का पौधा होना चाहिए। साथ ही औरंगजेब ने यह भी कहा था कि उसकी कब्र को बहुत ही सादा रखा जाए। उसकी इच्छा थी कि कब्र को ऊपर से छत से ना ढका जाए, इसे खुला ही रखा जाए। इस कब्र के पास एक पत्थर भी लगा है, जिसमें उसका पूरा नाम अब्दुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन औरंगजेब आलमगीर लिखा है। क्रूर शासक औरंगजेब का निधन 1707 में हुआ था।

औरंगाबाद में ही क्यों बनी औरंगजेब की कब्र

औरंगजेब ने अपने जीवन के 37 साल महाराष्ट्र के औरंगबाद में ही काटे थे। माना जाता है उसे औरंगाबाद से काफी लगाव था। इसी कारण उसने अपनी बेगम की कब्र 'बीबी का मकबरा' भी यहीं बनवाया। इसी जगह उसके पीर की कब्र भी बनाई गई, जिन्हें वह सबसे ज्यादा मानता था। औरंगजेब ने अपने शासन के दौरान ही कह दिया था कि मेरी मृत्यु भारत के किसी भी कोने में हो जाए, लेकिन मेरी कब्र सूफी संत जैनुद्दीन शिराजी के करीब ही होनी चाहिए।

कब्र के लिए औरंगजेब की वसीयत

Aurangzeb's will for the tomb

दक्कन के लिए संघर्ष करते हुए ही 1707 में औरंगजेब की मौत हुई थी। महाराष्ट्र के अहमदनगर में ही उसकी मौत हुई थी। औरंगजेब ने अपनी वसीयत में अपनी कब्र को लेकर जिक्र किया था। वसीयत में उसने लिखवाया था कि उसे गुरु सूफी संत सैयद जैनुद्दीन की कब्र के पास ही दफनाया जाए।

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Image Credit:her zindagi

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