यूं तो मां हमें बहुत कुछ सिखाती है, लेकिन इस मदर्स डे कुछ बातें हमें 'मां' को सिखानी चाहिए

हमारी पहली गुरु 'मां' ही होती है। मां जिंदगी भर हमें सीख देती हैं और ये मां के सिखाए सबक पूरी जिंदगी हमारे काम आते हैं। लेकिन, इस मदर्स डे कुछ बातें हमें 'मां' को सिखानी चाहिए।

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'मां', ये सिर्फ एक शब्द या रिश्ता नहीं है, बल्कि इसमें पूरी दुनिया समाई हुई है और यही वजह है कि मां को रब का दर्जा दिया जाता है। आने वाली 12 तारीख को हम सभी मदर्स डे सेलिब्रेट करेंगे। मां के नाम, एक खास दिन। वैसे तो हर दिन, मां का ही है और मां से ही है। लेकिन, फिर भी इस खास रिश्ते के नाम, एक खास दिन, बस आने ही वाला है। 'मां' हमारे लिए बहुत कुछ करती है। लेकिन, अफसोस तब होता है जब 'मां' हमारे लिए जिंदगी जीते हुए, खुद को कहीं पीछे छोड़ देती है और इसके बदले, 'मां' को कोई क्रेडिट भी नहीं मिलता है। क्योंकि, हमें तो हमेशा से ही यही बताया गया है कि ये सब तो मां का फर्ज है...इसमें भला कौन सी बड़ी बात है। लेकिन, असल में 'मां' के लिए, बच्चों की परवरिश करते हुए, अपनी पहचान को भूल जाना या बच्चों के ख्वाबों को पंख देते हुए, अपने सपनों को संदूक में बंद कर देना सही नहीं है। हमारी कैम्पेन 'Maa Beyond Stereotypes'इसी सोच पर है।

मां जो हमारी पहली गुरु होती है और जो हमें बहुत कुछ सिखाती है, चलिए इस मदर्स डे हम, कुछ खास बातें अपनी 'मां' को सिखाते हैं। यकीन मानिए, 'मां' के लिए ये बातें सीखना बहुत जरूरी है।

अपने लिए वक्त निकालना

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हमारी 'मां' के पास हमेशा हमारे लिए वक्त होता है। हमारी बक-बक सुनना हो, हमारा कोई काम करना हो, हमारे लिए कुछ बनाना हो, कहीं जाने के लिए हमें सुबह जल्दी उठाना हो या कुछ और...मां की पूरी जिंदगी हमारी इर्द-गिर्द ही घूमती है। लेकिन, असल में अब हमें अपनी मां को यह सिखाने की जरूरत है कि उन्हें खुद के लिए भी वक्त निकालना चाहिए। वो वक्त, जिसमें वो कुछ भी ऐसा करें, जो उन्हे खुशी देता हो। हम अपने लिए तो 'मी टाइम' मांगते हैं। लेकिन, इस 'मी टाइम' की जरूरत हमारी मां को भी है और यह उन्हें समझाना, हमारी जिम्मेदारी है।

अपने सपनों को जीना

मां बनने के बाद, अक्सर काफी महिलाएं अपनी जॉब, करियर और सपनों पर ताला लगा देती हैं। कई बार ऐसा करना मजबूरी होता है, तो कई बार कुछ और वजहों से, महिलाएं ऐसा करती हैं। अगर आपकी मां ने भी आपके लिए, अपने सपनों को कहीं पीछे छोड़ दिया है, तो अब भी वक्त है आप उन्हें, उनके सपनों को जीना सिखा सकते हैं। बेशक, शायद अब इस उम्र में उनके लिए, करियर में वापिसी मुश्किल हो। लेकिन, और भी कई तरीकें हैं, जिनसे आप उनके अधूरे सपनों को पूरा कर सकते हैं। सिंगिंग, राइटिंग, डांसिंग, पेंटिंग या और भी कोई ऐसा शौक या सपना, जो वो पूरा नहीं कर पाई हों, उन्हें अब वो सपना जीने का मौका दीजिए।

अपनी सेहत का ख्याल रखना

कैसे हमें जरा सा बुखार आने पर, मां हमारी देखभाल में पूरी रात जागती हैं। दवाई देना हो, खाना-पीना वक्त पर देना हो या फिर चंद सिक्कों से हमारी नजर उतारना, मां हमारी तबियत खराब होने पर, हमें ठीक करने के लिए, सारे जतन करती है। लेकिन, खुद बीमार होने पर भी काम में लगी रहती हैं। इसे लेकर आपको सोशल मीडिया पर कई मीम्स भी मिल जाएंगे। यह सही नहीं है और हमें मां को यही सिखाना है कि जैसे हमारे या घर में और किसी के भी बीमार होने पर मां, तिमारदारी में लग जाती हैं। उस केयर और आराम की जरूरत उन्हें भी है।

समाज के जजमेंट की परवाह न करना

आपने अक्सर देखा होगा कि जब आप अपनी मां से मॉर्डन लाइफस्टाइल के हिसाब से कुछ करने के किए कहते हैं, तो उनका जवाब आता है, "लोग क्या कहेंगे!" इस मदर्स डे अपनी मां को इस डर को दूर करना सिखाइए। उन्हें बताइए कि उन्हें समाज के जजमेंट या सवालों से डरने या उसकी परवाह करने की जरूरत नहीं है।

अपनी पसंद का खाना बनाना

maa in kitchen

स्कूल से घर आकर या ऑफिस से घर आकर अक्सर हम अपनी मां से पहला सवाल यही पूछते हैं, "मां, खाने में क्या बना है?" मां भी खुशी-खुशी हमारी पसंद का खाना बनाती हैं और उसे बड़े प्यार से परोस कर हमें खिलाती हैं। पर, क्या आपने कभी सोचा है कि मां को खाने में क्या पसंद है? अक्सर मां, अपने पति या बच्चे की पसंद का खाना बनाने-बनाते अपनी पसंद तक भूल जाती हैं। इस मदर्स डे उन्हें समझाइए कि घर की रसोई में उनकी पसंद का खाना बनना तो सबसे जरूरी है। हो सके तो इस काम की शुरुआत आप ही कीजिए और उन्हें कुछ उनकी पसंद का बनाकर खिलाइए।

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खुद को अहमियत देना

मां हमारे लिए तो पूरी दुनिया से लड़ जाती हैं। लेकिन, जब बात खुद पर आती है, तो चुप रहकर बात को टाल देती हैं। मेरी तरह, आपने भी कई बार अपनी मां से कहा होगा..क्या मम्मी...आपने उन्हें कुछ बोला क्यों नहीं...आपने जवाब क्यों नहीं दिया उन्हें..क्यों चुपचाप सुन लिया सब कुछ। ऐसा अक्सर होता है। क्योंकि कहीं न कहीं, उन्हें खुद के लिए स्टैंड लेने में मुश्किल आती है। बेशक, मां के लिए स्टैंड लेना हमारा फर्ज है। लेकिन, उन्हें भी खुद ही अहमियत समझाना और अपने लिए खड़े होना सिखाना जरूरी है।

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तो इस मदर्स डे अपनी मां को ये छोटी-छोटी बातें सिखाइए और फिर उन्हें प्यार से गले लगाकर कहिए, 'हैप्पी मदर्स डे।' आप इन बातों से कितना इत्तेफाक रखते हैं, हमें कमेंट्स में जरूर बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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