लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे फेज की वोटिंग आज है। वहीं अभी बचे हुए पांच सीटों पर मतदान होना बाकी है। बीते दिन पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट को लेकर काफी चर्चा हुई थी। आपको बता दें कि जेल में बंद खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे के मुखिया अमृतपाल ने इस सीट से चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। चुनाव आयोग के नियमानुसार जेल में बंद कैदी वोट डालने का योग्य नहीं होता है। ऐसे में यह सोचने वाला विषय है कि क्या जेल में बंद व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है। इस लेख में आज हम आपको चुनाव से जुड़े नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं। इस बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट नीतेश पटेल से जानते हैं कि जेल में बंद कैदी चुनाव कैसे लड़ सकता है।
क्या है चुनाव लड़ने का नियम
बात करने के दौरान एडवोकेट नीतेश पटेल ने बताया, "जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 में जेल में बंद कैदियों के चुनाव लड़ने को लेकर कुछ नियम और कानून बनाए गए हैं। इस नियम के अनुसार, जब तक व्यक्ति पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से साबित नहीं हो जाते वह चुनाव लड़ सकता है। वहीं अगर बात की जाए वोट डालने की तो कैदियों को वोट डालने का हक नहीं है।"
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जेल में बंद होने पर कैसे लड़ सकते हैं चुनाव
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 के अनुसार, जेल में बंद कैदियों से जुड़े कायदे-कानून के बारे में उल्लेख किया गया है। इसमें अपराधों की एक सूची है, जिसमें दोष साबित होने पर चुनाव के लिए अयोग्य घोषित किया जाता है। सरल भाषा में समझें तो किसी व्यक्ति को प्रावधान में दी गई सूची में से यदि किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है,तो ऐसी स्थिति में उसे सजा की तारीख से संसद या राज्य विधानसभाओं के चुनाव के लिए अयोग्य करार कर दिया जाता है। साथ ही, वह व्यक्ति जेल से छूटने की तारीख से आने वाले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है।
दोष साबित होने पर लागू होते हैं ये नियम
जेल में जाने मात्र से वह व्यक्ति अयोग्य साबित नहीं होता है। आपको बता दें कि इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि कोई भी कैदी चुनाव लड़ने का योग्य तब तक है जब तक उस पर लगे आरोप पूरी तरह से साबित नहीं हो जाते हैं। ऐसे में वह जेल में बंद होने के बाद भी नामांकन कर चुनाव लड़ सकता है।
जानिए चुनाव आयोग के पास क्या है अधिकार
चुनाव आयोग के पास जन प्रतिनिधित्व, 1951 की धारा 11 के अनुसार अयोग्यता को कम व हटाने का अधिकार है। साल 2019 में , ECI ने इस अधिकार का प्रयोग करके सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की अयोग्यता अवधि को कम किया था।
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