Mahabharat Secrets: वो कौन सी मछली थी जिसकी आंख में अर्जुन ने मारा था तीर? आखिर क्यों महाभारत में द्रौपदी के स्वयंवर के बाद ही होने वाला था युद्ध

आपने सुना ही होगा कि महाभारत में द्रौपदी के स्वयंवर में अर्जुन ने मछली की आंख पर तीर चलाया था। तीर निशाने पर लगा था और उसी वक्त द्रौपदी ने अर्जुन को माला पहनाई थी। पर आपको पता है कि उसके बाद युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे। इतना ही नहीं, आपको पता है वो मछली कौन ही थी जिस पर तीर मारा गया था? जानिए इस स्टोरी में।
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महाभारत और रामायण जैसे पुराण हमें बहुत सी बातें बताते हैं। ऐसी कई कहानियां हैं जो इन पुराणों ने सुनाई हैं। अब महाभारत को ही ले लीजिए, हमें ये तो पता है कि द्रौपदी का स्वयंवर हुआ था। पर ये नहीं पता है कि द्रौपदी के स्वयंवर के बाद आखिर हुआ क्या था। कई लोग द्रौपदी स्वयंवर को अपने हिसाब से ही देखते हैं, लेकिन आपको पता है कि इस स्वयंवर के असल मायने क्या थे? चलिए आज उसके बारे में थोड़ी सी बात कर लेते हैं।

महाभारत में द्रौपदी के स्वयंवर के दौरान हर राज्य के राजकुमारों को बुलावा भेजा गया था। उस दौरान राजा द्रुपद ने खासतौर पर मत्स्य यंत्र बनवाया था। इस यंत्र में एक मछली लगवाई गई थी।

गोल्डन फिश का किया गया था इस्तेमाल

महाभारत में भी जब द्रौपदी स्वयंवर का जिक्र होता है, तब स्वर्ण मछली का जिक्र होता है। स्वर्ण मछली की आंख भेदना ज्यादा मुश्किल था क्योंकि दिन के समय धूप से वो और ज्यादा चमकती और उसका प्रतिबिंब पानी में आसानी से नहीं दिखता।

वैसे सुनहरी मछली कई प्रकार की होती है और जैसी मछली का महाभारत में जिक्र है उसके हिसाब से फीडर गोल्ड फिश या कॉमेट गोल्ड फिश सबसे सटीक मानी जाएंगी। महाभारत में सिर्फ स्वर्ण मछली का ही जिक्र है। वैसे यह भी माना जाता है कि गोल्डफिश ही सबसे पहले पालतू बनाई जाने वाली मछलियों में एक थी। एशिया में वैसे भी यह मछली बहुत आसानी से मिल जाती है।

draupadi swayamvar

कथा के अनुसार, जब अर्जुन ने मत्स्य यंत्र में लगी मछली की आंख को भेदा था तब यंत्र टूट गया था और फूलों की बारिश होने लगी थी। उसी वक्त द्रौपदी का वर तय हो गया था।

क्या द्रौपदी के स्वयंवर के बाद हुआ था युद्ध?

इसकी कथा कुछ इस प्रकार है, द्रौपदी के स्वयंवर को अर्जुन ने ब्राह्मण बनकर जीता था। उस वक्त शकुनि और दुर्योधन समझ गए थे कि ऐसा निशाना सिर्फ अर्जुन ही लगा सकता है। ऐसे में शकुनि ने एक चाल चली और सभी क्षत्रियों को भड़का दिया। उस समय किसी स्त्री को अगर युद्ध में जीता जाए तो उसपर अपना हक जताया जा सकता था। यही हाल हुआ था अंबा, अंबिका और अंबालिका के स्वयंवर के दौरान भी हुआ था, तब भीष्म ने उन तीनों को जीतने का फैसला किया था। इसी पर राजकुमारी अंबा क्रोधित हो गई थीं और राजा शल्व ने भीष्म के साथ युद्ध किया था।

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उस वक्त राजा शल्व भीष्म से हार गए थे और अंबा पर भीष्म का राज हो गया था। अंबा ने ही अगले जन्म में शिखंडी का रूप लिया था और भीष्म पितामह को मारा था।

द्रौपदी के स्वयंवर के दौरान भी ऐसा ही युद्ध होना था, लेकिन तब वासुदेव कृष्ण ने यह कह दिया था कि यादव और उनकी सेना सभी स्वयंवर जीतने वाले ब्राह्मण के साथ हैं। श्री कृष्ण को भी पता था कि ब्राह्मण के भेस में अर्जुन वहां है।

krishna in draupadi swayamvar

यादवों की सेना उस दौर में सबसे बड़ी सेना थी और कृष्ण से उस वक्त कोई बैर नहीं ले सकता था। कृष्ण ने अपनी बातों में ये भी कहा कि ब्रह्म हत्या पाप है और ऐसा अधर्म करने से वो बाकी क्षत्रियों को रोकेंगे। यही कारण है कि द्रौपदी के स्वयंवर के बाद युद्ध टल गया था। इसके बाद ही अर्जुन अपनी पत्नी द्रौपदी को लेकर अपनी मां के पास गए थे और वहीं द्रौपदी की पांचों पांडवों से विवाह की बात आई थी।

क्या आपको महाभारत के इस सीक्रेट के बारे में पता था?

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