हमारे धर्म शास्त्रों और ग्रंथों में कुछ ऐसे पात्रों का वर्णन है जिनके इर्द-गिर्द पूरी कहानी घूमती है। ऐसे ही एक महान ग्रंथों में से है महाभारत। दरअसल महाभारत ग्रन्थ एक ऐसे युद्ध की कहानी बताता है जिसमें कई योद्धाओं से हिस्सा लिया और उसमें से कुछ विजयी हुए, तो कुछ ने अपनी जान गंवाई।
यह युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में लड़ा गया और इसका वर्णन पौराणिक कथाओं में मिलता है। यह एक ऐसे परिवार की कहानी का वर्णन करता है जिसमें हस्तिनापुर के सिंहासन के लिए चचेरे भाइयों, कौरवों और पांडवों के दो समूहों के बीच एक बड़ा युद्ध लड़ा गया और इसमें न जाने कितने योद्धा अपनी जान गंवा बैठे।
महाभारत के युद्ध को अब तक का सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस युद्ध से जुड़े कई ऐसे योद्धा भी हैं जिनके अभी तक जीवित होने की बात सामने आती है। आइए जानें महाभारत काल के ऐसे लोगों के बारे में जो आज भी जीवित हैं।
महर्षि वेदव्यास
महाभारत ग्रंथ में महर्षि वेदव्यास को ब्राह्मण ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र के रूप में वर्णित किया जाता है। महर्षि वेदव्यास का चरित्र कई वेदों को वर्गीकृत करता है और परिणामस्वरूप उसका नाम वेदव्यास है।
उन्हें वेदों के मंत्रों के सूत्रधार के रूप में वर्णित किया जाता है और अठारह पुराणों और ब्रह्म सूत्रों के रचयिता के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि उन्होंने भगवान श्रीगणेश के साथ मिलकर महाभारत महाकाव्य की रचना की। हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें तो महर्षि वेदव्यास आज भी जीवित हैं।
भगवान परशुराम
परशुराम- 'परशु वाले राम' हिंदू धर्म में विष्णु दशावतार के छठे अवतार हैं। उनका जन्म ऋषि जमदग्नि और रेणुका से हुआ था। उन्हें एक महान योद्धा, गुरु और एक ब्राह्मण ऋषि के रूप में जाना जाता है और भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण के गुरु के रूप में पहचानते हैं।
परशुराम को फरसे से क्रोधित ब्राह्मण के रूप में दिखाया जाता है। एक समय परशुराम ने बड़ी संख्या में क्षत्रिय योद्धाओं को मार डाला क्योंकि वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे थे।
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ऋषि दुर्वासा
महाभारत में, दुर्वासा को कुंती को बड़ी भक्ति के साथ ऋषि की सेवा करने का वरदान देने के लिए जाना जाता है। दुर्वासा ने कुंती को वरदान दिया और उसके फलस्वरूप ही कर्ण का जन्म हुआ। महाभारत काल में दुर्वासा मुनि को अपने शिष्यों के साथ पांडवों के वनवास के दौरान जंगल में देखा जा सकता है।
एक बार जब उनकी सेवा करने के लिए भोजन नहीं बचा था उस समय कृष्ण फिर द्रौपदी के सामने आए और उन्होंने खाने के लिए बर्तन में आखिरी अनाज देखा और यह दुर्वासा और उनके शिष्यों और कृष्ण की भूख को संतुष्ट करने के लिए काफी था, जिससे पांडवों को दुर्वासा के श्राप से बचाया जा सके।
हनुमान
रामायण में एक हिंदू देवता और राम के दिव्य साथी के रूप में हनुमान को देखा जाता है, वहीं उन्हें महाभारत काल में भी अर्जुन के ध्वजा में विराजमान देखा जा सकता है। महाभारत की कथा के अनुसार एक बार हनुमान जमीन पर पड़े एक कमजोर बूढ़े बंदर के रूप में नजर आते हैं।उस समय किसी दूसरे व्यक्ति के ऊपर पैर रखना अत्यंत अपमानजनक होता है, इसलिए हनुमान अपनी पूंछ उठाकर मार्ग बनाने का सुझाव देते हैं।
भीम ने उनके सुझाव् को स्वीकार किया और उनकी पूंछ उठा नहीं पाए। भीम को पता चलता है कि वह कोई साधारण बंदर नहीं है तब उन्होंने हनुमान जी की असली पहचान पूछी और अपनी पहचान बताते हुए उस समय हनुमान जी (हनुमान जी के व्रत की विधि )ने अर्जुन से यह भी वादा किया कि उनकी युद्धघोष से भीम के दुश्मनों के दिल कमजोर हो जाएंगे और वो पूरे समय महाभारत में मौजूद रहे। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी अभी भी दुनिया में मौजूद हैं और जीवित हैं।
अश्वत्थामा
द्रोणाचार्य के पुत्र और कौरवों के राजकुमार-दुर्योधन के घनिष्ठ मित्र अश्वत्थामा को हम सभी जानते हैं। वह कौरवों की ओर से लड़े और महाभारत युद्ध में अपराजित रहे।कृष्ण द्वारा दिए गए एक श्राप के कारण वह चिरंजीवी बन गए।
अश्वत्थामा ने एक बच्चे को उसके जन्म से पहले ही मार कर सबसे बड़ा और सबसे क्रूर पाप किया था। उस समय कृष्ण जी ने अश्वत्थामा के दिव्य मणि को उसके माथे से काट दिया और यह अभिशाप दिया कि कलयुग जे अंत तक वो जीवित रहेंगे और पीड़ा को झेलते रहेंगे। मान्यता है कि वो आज भी धरती पर जीवित है और कहीं मौजूद है।
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महाभारत काल के ये कुछ ऐसे पात्र हैं जो आज भी जीवित हैं और उनका अस्तित्व अभी भी है, लेकिन उन्हें ढूंढ पाना मुश्किल है।
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