क्या महाभारत का अश्वत्थामा आज भी जीवित है, जानें कुछ अनसुने रहस्य

महाभारत में ऐसी कई कथाएं हैं जिनके बारे में आज भी कुछ रहस्य हैं जिनका पता लगा पाना मुश्किल है। ऐसी ही एक कहानी है द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की। 

 

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जब पौराणिक कथाओं की बात आती है, तो दुनिया के हर देश की कहानियों का अपना अलग इतिहास होता है। हमारे देश में भी कई ऐसी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिनके बारे में दुनिया अब तक अनजान है। महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्य हमें कई हिंदू पौराणिक कथाओं के बारे में बताते हैं।

ऐसी ही एक कहानी महाभारत ग्रन्थ में आने वाले महान योद्धा अश्वत्थामा के बारे में बताती है, जिसे अंत तक दुख से भरा जीवन जीने का श्राप मिला था। जब भी अश्वत्थामा का जिक्र आता है तब उन्हें महाभारत में एक महान योद्धाओं का दर्जा दिया जाता है।

कई लोगों का मानना है कि महाभारत के युद्ध के बाद भी अश्वत्थामा जीवित थे और कई लोग इस बात की चर्चा भी करते हैं कि अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं। आइए जानें कि क्या सच में अश्वत्थामा जीवित हैं और उनसे जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में भी जानें।

महाभारत में कौन थे अश्वत्थामा

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महाभारत में जब भी अश्वत्थामा का जिक्र आता है उन्हें गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र और ऋषि भारद्वाज के पोते, सात चिरंजीवी में से एक और अमरों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उन्हें भगवान शिव से अमरता का वरदान प्राप्त था।

यही वजह थी की महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद भी वो जीवित थे। अमरत्व प्रदान करने के साथ-साथ, अश्वत्थामा ने अपने जन्म के समय एक रत्न भी प्राप्त किया था जिसे उनके माथे के केंद्र में रखा गया था। रत्न ने उन्हें मनुष्यों से कम सभी जीवित प्राणियों पर शक्ति दी और उन्हें भूख, प्यास और थकान से बचाने में मदद की।

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अश्वत्थामा का नाम कैसे पड़ा

अश्वत्थामा का नाम सुनते ही लोगों के मन में यह विचार जरूर आता होगा कि उनका इतना विचित्र नाम कैसे पड़ा। दरअसल इसकी एक बड़ी रोचक कथा है। अश्वत्थामा ने जब जन्म लिया तब उसने अश्व के समान ध्वनि की। इसके बाद आकाशवाणी हुई कि यह बालक अश्वत्थामा के नाम से जाना जाएगा।

महाभारत की कथा के अनुसार अश्वत्थामा के सिर पर जन्म से ही एक मणि थी। एक बार द्रौपदी ने महाभारत मेंअर्जुन की प्रार्थना पर गुरु पुत्र को प्राण दान दे दिया लेकिन सजा के तौर पर मणि उनसे छीन ली।

क्या आज भी जीवित हैं अश्वत्थामा

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मध्य प्रदेश में महू से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित विंध्याचल की पहाड़ियों पर खोदरा महादेव विराजमान हैं। इस स्थान को अश्वत्थामा की तपस्थली के रूप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज भी अश्वत्थामा यहां आते हैं।

महाभारत के युद्ध के समाप्त होने के बाद कौरवों की ओर से सिर्फ तीन योद्धा ही बचे थे कृप, कृतवर्मा और अश्वत्थामा। इनमें से अश्वत्थामा के जीवित होने के अभी भी चर्चे होते हैं। जिसकी सच्चाई का पता लगा पाना आज भी मुश्किल है।

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महाभारत की कहानी में कई ऐसी बातें हैं जिनके बारे में आज भी दुनिया अनजान है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit:wallpapercave.com, hotstar.com

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