चलिए एक नज़र डालते हैं नोबेल पुरस्कार के इतिहास के पन्नों पर

नावेल पुरस्कार जितने वाले व्यक्ति को लगभग चार करोड़ की राशि मिलती है। चलिए इसके बारे में और करीब से जानते हैं-

know all about nobel prize history in hindi

अगली बार आप से जब भी कोई पूछेगा कि नावेल पुरस्कार के बारे में क्या जानते हैं तो फिर आपको इसके बारे में इधर-उधर खोजने की ज़रूरत नहीं होगी, क्यूंकि आज इस लेख में हम आपको वो तमाम जानकारियां देने जा रहे हैं जिसके बाद आप नावेल प्राइज के बारे में किसी को भी बता सकते हैं। जानकारी देने से पहले आपको बता दें कि नावेल प्राइज किसी भी व्यक्ति को नहीं दी जाती है, बल्कि ये प्राइज उन्हीं को मिलती है जिन्होंने समाज और देश के लिए कुछ खास किया हो या फिर योगदान दिया हो। तो बिना देर किए हुए चलिए इस ज्ञानवर्धक सफर पर चलते हैं और इसके इतिहास के पन्नो को पलटते हैं-

कब हुई इसकी शुरुआत

know all about nobel prize history inside

नावेल पुरस्कार की शुरुआत 10 दिसम्बर 1901 को हुई थी। इतिहास के पन्नो को जब आप पलटेंगे तो आपको मालूम चलेगा कि शुरूआती दौर में भौतिक शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, रसायन शास्त्र, साहित्य और विश्व में शांति के लिए दिया गया जाता था जो आज भी कायम है। हालांकि, उस समय इस पुरस्कार के साथ मिलने वाली राशि तक़रीबन पांच से साढ़े पांच लाख रुपये के साथ गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र दिया जाता था। यह दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड है।

इसे भी पढ़ें:55 सालों बाद मिला किसी महिला वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार

स्थापना किसने की

know all about nobel prize history inside

इस पुरस्कर की स्थापना डा. अल्फ्रेड नोबेल द्वारा 27 नवम्बर 1895 के द्वारा की गई थी। डा. अल्फ्रेड स्वीडन देश के एक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक व डायनामाइट के आविष्कारक कहे जाते हैं। कहा जाता है कि ये पुरस्कार उनके वसीयत के आधार पर की गई थी। डा. अल्फ्रेड वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक इंजीनियर भी थे। कहा जाता है कि अल्फ्रेड 17 साल के उम्र में ही लगभग 7 से 8 भाषायों में बोल,पढ़ और लिख लेते थे।(नोबेल पुरस्कार विजेता, मलाला यूसुफजई)

स्टाकहोम,स्वीडन

know all about nobel prize history inside

हर साल 10 दिसम्बर को रायल एकेडमी ऑफ साइंस स्टाकहोम भौतिक शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, रसायन शास्त्र, साहित्य और विश्व में शांति में दिए गए योगदान वाले व्यक्तियों को भव्य समारोह में इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। अब इस पुरस्कार के बारे में कहा जाता है कि पुरस्कार जितने वाले व्यक्ति को सोने के मेडल के साथ करीब चार करोड़ रूपये के साथ प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।(नोबेल पुरस्‍कार सम्‍मानित अभिजीत बनर्जी)

इसे भी पढ़ें:ग्लोबल वार्मिंग के लिए नेताओं को कड़ी फटकार लगाने वाली ग्रेटा थनबर्ग नोबेल शांति पुरस्कार के लिए हुईं नॉमिनेट

भारत के प्रथम नावेल विजेता

know all about nobel prize history inside

भारत में नावेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले प्रथम व्यक्ति प्रसिद्ध साहित्यकार रवीन्द्रनाथ टैगोर थे। उन्हें वर्ष 1913 में इस सम्मान से सम्मानित किया गया था। उसके बाद भौतिक विज्ञान में वर्ष 1930 में सी. वी. रमन को दिया गया था। भारत में नोवल पुरस्कार जिनते वाली पहली महिला मदर टेरेसा थी। उन्हें वर्ष 1979 में शांति, सामाजिक और मानवीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया था।

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit:(@cloudfront.net,www.nobelprize.org,cdn.dnaindia.com)

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP