17 साल की उम्र में ज्यादातर टीनेजर्स अपने करियर को बनाने के बारे में सोच रहे होते हैं। इसी उम्र में ग्रेटा थनबर्ग ने ग्लोबल वार्मिंग के बारे में पुरजोर तरीके से बात कर दुनिया में तहलका मचा दिया। ग्रेटा ने यूएन क्लाइमेट एक्शन में दुनियाभर के बड़े नेताओं से पूछा था, 'आपकी हिम्मत कैसे हुई?' ग्रेटा ने अपने भावुक कर देने वाले भाषण से दुनियाभर के लोगों को इंप्रेस किया। इनमें आम लोगों से लेकर सेलेब्रिटीज भी शामिल हैं। यूथ आइकन बन चुकी.ग्रेटा ने पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है और लोगों को इस बात का अहसास दिलाया है कि उन्हें पर्यावरण को बचाने के लिए सजग होना चाहिए। इन्हीं प्रयासों की बदौलत स्वीडन के दो सांसदों ने उन्हें साल 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया है।
स्टूडेंट्स को किया इंस्पायर
स्वीडन की लेफ्ट पार्टी के सदस्य जेंस होम एवं हकन सवेन्नलिंग ने इस बारे में मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, 'ग्रेटा थनबर्ग ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए और पेरिस करार की अनुपालना के लिए कड़ी मेहनत की है, जो एक तरह से शांति के लिए पहल है।' पिछले साल भी स्वीडन के तीन सांसदों ने ग्रेटा थनबर्ग को इस पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया था।
ग्रेटा थनबर्ग ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर समर्थन पाने के लिए स्टूडेंट्स को प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए इंस्पायर किया। स्वीडन से इस उनकी इस मुहिम की शुरुआत होने के बाद यूरोप के अन्य देशों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है।
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वायरल हो गया था ग्रेटा थनबर्ग का भाषण
यूएन में क्लाइमेट एक्शन के लिए ग्रेटा का भाषण काफी ज्यादा पसंद किया गया था। ग्रेटा ने अपने इस प्रसिद्ध भाषण में कहा था, 'आपने मेरे सपने और मेरे बचपन को चुराया है और आप विकास की बात करते हैं। ग्रेटा ने आगे कहा था, आपने हमें असफल कर दिया। युवा समझते हैं कि आपने हमें छला है। हम युवाओं की आंखें आप लोगों पर हैं और अगर आपने हमें फिर असफल किया तो हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे।"
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महिलाओं के लिए बनीं इंस्पिरेशन
ग्रेटा थनबर्ग मूल रूप से स्वीडिश हैं और उनका जन्म 3 जनवरी 2003 को स्टॉकहोम में हुआ था। उनकी मां मलेना एर्मन ओपेरा गायिका हैं और पिता स्वान्टे थनबर्ग अभिनेता हैं। ग्रेटा ने पहली बार 2011 में जलवायु संकट के बारे में सुना था और उससे वह इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने लोगों को जागरुक करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने देशवासियों को इंस्पायर किया कि वे ग्लोबल वार्मिंग पर खुलकर चर्चा करें। साल 2013 में ग्रेटा को एस्परगर सिंड्रोम से पीड़ित पाया गया था। उन्हें ओसीडी और चयनात्मक म्यूटिज़्म जैसी डिजीज भी हैं। जलवायु परिवर्तन के बारे में लोगों को सजग बनाने के लिए उन्होंने स्कूल के दिनों से ही चर्चा करनी शुरू कर दी थी।
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