(Know about broken statue of lord krishna in dakshineswar temple) हिंदू धर्म में मंदिरों की परंपरा प्राचीन है। भारत अध्यात्म, संस्कृति, धर्म, भक्ति का देश है। यहां स्थित प्राचीन मंदिर समय से पूजा-स्थल रूप मंदिर का विशेष महत्व है। देश में लाखों-करोड़ों मंदिर हैं। भारत में बने इन मंदिरों में कई ऐसे मंदिर भी शामिल हैं, जो आज भी रहस्यमय बने हुए हैं।
आज भी उसका रहस्य लोगों के लिए अनसुलझी पहेली सी है। आइए हम आपको इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से ऐसे मंदिर के बारे में जानेंगे। जहां भगवान श्रीकृष्ण की खंडित प्रतिमा की पूजा की जाती है। इस मंदिर में ऐसा कहा जाता है कि खुदकुशी करने वाले पंडित की जान बचाने खुद मां काली प्रकट हुई थीं। इस मंदिर को दक्षिणेश्वर काली मंदिर के नाम से जाना जाता है।
खंडित प्रतिमा की पूजा करने के पीछे एक कथा है। एक बार की बात है, मंदिर बनकर पूरी तरह से तैयार था। जन्माष्टमी के अगले दिन राधा-गोविंद मंदिर में नंदोत्सव की धूम थी। उस दौरान दोपहर के समय आरती और भोग के बाद भगवान श्री कृष्ण (श्रीकृष्ण भोग) को उनके शयन कक्ष में ले जाते समय प्रतिमा धरती पर गिर गई। जिसके कारण प्रतिमा का पांव टूट गया। सभी के लिए ये अमंगल था। सभी भक्त नाराज होकर कहने लगे, हमने ऐसा क्या कर दिया जो श्रीकृष्ण हमसे नाराज हो गए। सभी भक्तों को लग रहा था कि कोई अशुभ घटना घटने वाली है।
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उस दौरान रानी रासमणी भी बेहद परेशान थीं। उन्होंने ब्राह्मणों की सभी बुलाई और उनसे विचार-विमर्श किया कि इस खंडित प्रतिमा का क्या किया जाए। फिर ब्राह्मणों ने यह सुझाव दिया कि इस प्रतिमा को जल में प्रवाहित कर इसके स्थान पर नई प्रतिमा को पराजित करें, लेकिन रासमणी को ब्राह्मणों का यह सुझाव पसंद नही आया। फिर वह रामकृष्ण परमहंस के पास गईं, जिनके भीतर उनकी गहरी भक्ति थी। रामकृष्ण परमहंस ने उनस जो भी कहा वह बेहद अद्भुत था।
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भक्त रामकृष्ण ने कहा कि जब घर में कोई सदस्य विकलांग हो जाता है या फिर माता-पिता में से किसी एक को चोट लग जाती है, तो क्या उन्हें त्याग कर नया सदस्य लाया जाता है? नहीं, बल्कि हम उनकी सेवा करते हैं। तभी रासमणी को परमहंस का यह सुझाव बहुत पसंद आया और फिर उन्होंने निश्चय किया कि मंदिर में श्रीकृष्ण (श्रीकृष्ण मंत्र) की इसी प्रतिमा की पूजा की जाएगी और साथ ही देखभाल भी की जाएगी।
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