Mahabharat Katha: जब महाभारत युद्ध के खिलाफ कौरवों के इस योद्धा ने किया था आमरण अनशन

आज हम आपको महाभारत के एक ऐसे योद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने इस युद्ध को रोकने के लिए आमरण अनशन का रास्ता अपनाया था।   

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Mahabharat Yuddh Rokne Ki Koshish Kisne Ki Thi: महाभारत युद्ध से जुड़ी कई कथाएं और किस्से प्रचलित हैं। साथ ही, इस युद्ध से जुड़े कुछ रहस्यमयी किरदार भी हैं जिनके बारे में लोगों को कम ही पता है। ऐसा ही एक पात्र है भूरिश्रवा।

यह कौरवों के वो योद्धा थे जिन्होंने महाभारत युद्ध को रोकने के लिए अपने प्राण दांव पर लगा दिए थे। महाभारत युद्ध के खिलाफ वह रणभूमि में ही आमरण अनशन करे लगे थे। आइये जानते हैं ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से भूरिश्रवा के बारे में।

  • महाभारत ग्रंथ के अनुसार, भूरिश्रवा महाराज शांतनु के बड़े भाई के पौते के बेटे थे। वो न सिर्फ एक महान योद्धा थे बल्कि बहुत धार्मिक भी थे। भूरिश्रवा न्याय प्रिय थे और उन्होंने अपने इसी स्वभाव के चलते कौरवों और पांडवों में संधि के अनेक प्रयास भी किये थे।
  • भूरिश्रवा एक मात्र ऐसे योद्धा थे जिन्होंने महाभारत (घर में महाभारत क्यों नहीं रखते) युद्ध को रोकने के लिए युद्ध भूमि पर ही आमरण अनशन करना शुरू कर दिया था। भूरिश्रवा श्री कृष्ण के परम भक्त थे और उन्हीं से इस युद्ध को रोकने के लिए बार-बार प्रार्थना कर रहे थे।
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  • जिसके बाद श्री कृष्ण ने उन्हें युद्ध के महत्त्व के बारे में बताया और उन्हीने युद्ध न रोकने के लिए मना लिया। जिसके बाद भूरीश्रवा ने कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा। माना जाता है कि भूरिश्रवा ने युद्ध के दौरान भी अपना भगवद भजन नहीं छोड़ा।
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  • वह युद्ध के मैदान में लड़ते-लड़ते भी श्री कृष्ण के नाम का जपा किया करते थे। भगवद भजन गाया करते थे और युद्ध के नियमों का पालन करते हुए ही युद्ध करते थे। भूरिश्रवा बहुत बलशाली थे। उन्होंने युद्ध में पांडवों के कई महावीर और पराक्रमी योद्धाओं को मार गिराया था।
  • भूरिश्रवा से सीधे-सीधे लड़ पाना संभव न था इसी कारण से अर्जुन (अपने ही बेटे के हाथों क्यों मारे गए थे अर्जुन) ने उनपर छुपकर वार किया था और अपने बाण से उ नके हाथ काट दिए थे जिसके बाद वह युद्ध नहीं कर सकते थे और इसका लाभ उठाकर सात्यिक नामक एक योद्धा ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था।
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  • हालांकि भूरिश्रवा के पराक्रम और मरते समय श्री कृष्ण का नाम पुकारने के कारण उन्हें श्री र्किष्ण के धाम में स्थान मिला और श्री कृष्ण की कृपा भी प्राप्त हुई। माना जाता है कि भूरिश्रवा को स्वयं श्री कृष्ण अपने धा लेकर गए थे।

तो ये थे कौरवों के वो एकमात्र योद्धा जिन्होंने महाभारत युद्ध को रोकने के लिए आमरण अनशन किया था। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Pinterest, Wikipedia

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