Kumbh Mela Safety Tips: 144 वर्ष के अंतराल में लगने वाले महाकुंभ के शाही स्नान में शामिल होने के लिए लोग प्रयागराज जा रहे हैं। इसके कारण वहां पर करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखने को मिल रहा है। बीते दिन हुए हादसे के बाद से इलाहाबाद आने-जाने वाले लोगों को कई सख्त नियम बनाए हैं ताकि दोबारा से किसी प्रकार का कोई हादसा न हो। अगर आप वीकेंड या शाही स्नान पर कुंभ जाने का प्लान कर रहे हैं, तो कुछ बातों का खास ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अन्यथा आपको इधर-उधर भटकना भी पड़ सकता है।
किसी स्थान पर जाने के लिए अक्सर शुक्रवार, शनिवार का दिन चुनते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकतर लोगों की वीकेंड पर छुट्टी होती है। इसके अलावा लोग कुंभ आने के लिए शाही स्नान वाला दिन चुनते हैं। ऐसी स्थिति में यहां पर सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक भीड़ देखने को मिलती है। अगर आपको भीड़ से दिक्कत है या फिर आप किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं चाहते हैं, तो इस लेख में आज हम आपको कुछ बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको नोट कर आप इलाहाबाद कुंभ स्नान के लिए जा सकती हैं।
महाकुंभ जाने से पहले इस बात का खास ध्यान रखें कि आप प्रयागराज कब और किस समय पर जा रहे हैं। यहां आने से पहले अपने रूट, स्नान स्थल और नजदीकी सुविधाओं के बारे में अच्छे से जान लें। साथ ही, मोबाइल फोन और अन्य जरूरी सामान की सुरक्षा व्यवस्था करें ताकि कहीं भी भटकने की स्थिति उत्पन्न न हो। अगर आप वीकेंड के मौके खुद के व्हीकल से जा रहे है, तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि आस-पास कोई स्नान तिथि तो नहीं है। अगर ऐसा है, तो अपने प्लान को आगे के लिए पोस्टपोन करें।
बस, ट्रेन या किराए के किसी साधन से प्रयागराज महाकुंभ जा रहे हैं, तो शाही स्नान पर न जाएं। इससे न केवल आपको सामान्य किराए से चार गुना पैसा देना पड़ सकता है बल्कि 12-15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ सकता है।
अगर आप शाही स्नान के बाद या पहले आने का प्लान कर रहे हैं, तो उसके लिए नहान से 3 दिन पहले और 3 बाद का प्लान करें। शाही स्नान के मौके पर रूट डायवर्जन के साथ आटो, टेम्पो और ई-रिक्शा संगम रूट पर जाने से बचते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उस दौरान अधिक भीड़ के कारण इन वाहनों को संगम क्षेत्र के आस-पास जाने नहीं दिया जाता है।
बता दें कि प्रयागराज के डीएम रविन्द्र कुमार मांदड़ ने कहा कि प्रयागराज कमिश्नरेट (शहर) में प्रवेश और डायवर्जन की स्कीम को मौनी अमावस्या के बाद हटा दिया है। लेकिन 2 और 3 फरवरी यानी बंसत पंचमी वाले दिन डायवर्जन चालू कर दिए जाएगा। इसके अलावा 31 जनवरी, 1 और 4 फरवरी को वाहनों प्रयागराज आ सकते हैं। मेला क्षेत्र में वाहनों के प्रवेश की अलग गाइडलाइन है।
स्नान के लिए जरूरी नहीं कि आप संगम नोज या त्रिवेणी घाट पर स्नान करें। संगम क्षेत्र पर अगर आपको अधिक भीड़ दिख रही है, तो जिस घाट पर स्थान मिल जाए वहां पर नहान करके मंदिर दर्शन कर वापस चले जाएं। अगर आपके साथ बच्चे या बुजुर्ग हैं, तो उन्हें साथ रखें। कोशिश करें कि उन्हें साथ लेकर न जाएं।
अक्सर मेला क्षेत्र में लोग भीड़ के पीछे चलते हुए जाते हैं। चाहे वह स्नान करने के लिए या फिर किसी रास्ते को लेकर हो। ऐसे में कोशिश करें जहां पर ज्यादा भीड़ मौजूद है। वहां पर न जाएं। इससे न केवल उस स्थान पर और भीड़ बढ़ेगी बल्कि किसी प्रकार की होने वाली समस्या से भी बच सकते हैं।
स्नान के लिए जरूरी नहीं कि आप संगम जाएं। अगर आप लखनऊ दिल्ली या फिर कानपुर से आ रहे हैं, तो आप शहर के बाहर फाफामऊ क्षेत्र में तैयार घाट पर स्नान कर सकते हैं। यह घाट गंगा नदी का हिस्सा है।
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