Sangam Kumbh Mela Stampede : प्रयागराज महाकुंभ की चर्चा देश-विदेश में हो रही है। 144 वर्षों के बाद होने वाले इस पर्व में शामिल होने के लिए हजारों-लाखों लोग रोजाना शामिल हो रहे हैं। 29 जनवरी को होने वाले मौनी अमावस्या स्नान के लिए करोड़ों लोगों का हुजूम देखने को मिल रहा था। इस भीड़ को देखकर जिस अनहोनी का अंदेशा हो लग रहा था आखिर हुआ भी कुछ वैसा ही। मौनी अमावस्या पर स्नान से पहले करीब रात 1 बजे संगम नोज पर भीड़ के चलते भगदड़ मच गई, जिसमें 17 लोगों की मौत और कई लोग घायल हो गए है।
महाकुंभ हादसे से आने वाली तस्वीरों ने झकझोर कर रख दिया है। बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं जब कुंभ के दौरान भगदड़ मची है बल्कि इसका इतिहास आजादी के दौर से जुड़ा है। इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर कल रात ऐसा क्या हुआ और इससे पहले कब-कब ये आस्था का केंद्र हादसे में बदल गया।
पहला हादसा- साल 1954
आजादी के बाद साल 1954 में पहली बार जब स्वतंत्र भारत का पहला कुंभ आयोजित किया गया था। यह कुंभ कहीं और नहीं बल्कि प्रयागराज में लगा था। इस पर्व में शामिल होने के लिए लाखों लोगों की भीड़ शामिल हुई। इस दौरान भगदड़ होने के कारण लगभग 800 लोगों की मौत हो गई थी। यह कुंभ में हुई सबसे बड़ी घटना में एक है, जिसमें इतनी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई थी।
दूसरा हादसा- 2013
साल 1986 में कुंभ मेला जो हरिद्वार में आयोजित किया था। इसमें भगदड़ होने की वजह से 200 लोगों की मौत हुई थी। साल 2003 के दौरान नासिक में हुए कुंभ के दौरान यह हादसा हुआ। लेकिन अगर बात हम केवल प्रयागराज की करें तो कुंभ मेला के दौरान दूसरा हादसा साल 2013 में हुआ था। इसमें कुंभ क्षेत्र में भगदड़ मचने के साथ ही रेलवे स्टेशन पर भी हादसा हुआ था। इस हादसे में 42 लोगों की मौत हो गई थी।
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तीसरा हादसा-2025
महाकुंभ के दौरान होने वाले भगदड़ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जो हृदय विदारक है। तस्वीरों को देख आप अंदाजा लगा सकते हैं, कि वहां पर क्या स्थिति रही होगी। रात के 1 बजे के करीब जब लोग घाट की तरफ जा रहे थे, तो बैरिकेडिंग के पास सोए लोगों के पैरों में फंसकर गिर गए, जिसके बाद पीछे आ रही भीड़ एक ऊपर एक गिरती चली गई, जिसे काबू कर पाना मुश्किल होता गया। इस घटना की वजह से लगभग 17 लोगों की मौत हो चुकी है।
आस्था को जिंदगी पर न पड़ने दे भारी, इन बातों का रखें ध्यान
- 144 वर्षों बाद होने वाले महाकुंभ का हिस्सा बनने के लिए करोड़ों लोग संगम आ रहे हैं। अगर आप भी स्नान के लिए प्रयागराज आ रहे हैं, तो इस बात खास ख्याल रखें कि यहां आने के लिए वह दिन चुनें जब भीड़ कम हो।
- शाही स्नान के दो दिन पहले और दो दिन बाद बिल्कुल भी ना जाएं। इस दौरान न केवल आपको वाहन की समस्या आएगी बल्कि आपको 10-12 किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ सकता है।
- अगर आप शाही स्नान के दौरान यहां आ भी गए हैं, तो संगम नोज पर ही स्नान करना है, इसकी जिद्द न करें। जिस घाट पर भी जहां मिले वहां पर स्नान करके अपने घर वापस चले जाएं। भीड़ की वजह से अगर आपको मंदिर के दर्शन नहीं मिल पा रहा है, तो नॉर्मल दिनों में आकर दर्शन कर लें।
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