Maha Kumbh 2025 Prayagraj: 144 वर्षों में लगने वाला महाकुंभ का आयोजन इस वर्ष प्रयागराज में किया जा रहा है। 13 जनवरी से शुरू इस कार्यक्रम में देश-विदेश से लाखों-करोड़ों लोग रोजाना स्नान के लिए आ रहे हैं। बीते दिन मौनी अमावस्या के मौके पर संगम क्षेत्र में रात एक बजे भगदड़ से 30 लोगों की मौत और 60 लोग घायल हो गए हैं। यह हादसा संगम नोज पर हुई, जब श्रद्धालुओं की भीड़ इस स्थान पर हद से ज्यादा बढ़ गई है। ऐसा बताया जा रहा है कि यहां पर पहले से अखाड़ा मार्ग से आ रहे लोगों की भीड़ मौजूद थी। अब ऐसे में सवाल यह आता है कि संगम नोज पर अधिक लोगों की भीड़ क्यों। क्या यह अन्य घाटो से अलग है। इसके साथ ही यह भी जानते हैं कि कहां स्नान करने को दिया गया है ज्यादा महत्व। इस लेख में आज हम आपको इन सवालों के बारे में बताने जा रहे हैं।
प्रयागराज में संगम नोज वह स्थान है, जहां पर गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती नदी का मिलन होता है। संगम नोज को त्रिवेणी के नाम से भी जानते हैं। अगर आप संगम नोज नाम पर गौर करें तो इसमें नोज शब्द इस स्थान के आकार को दर्शाता है। त्रिवेणी का यह स्थान नाक के आकार यानी त्रिकोणात्मक होता है। इस कारण से इसे संगम नोज कहा जाता है। यहां उत्तर दिशा में गंगा , दक्षिण में यमुना की धारा दोनों एक साथ दिखती है। संगम नोज पर आप दोनों नदियों को रंग के आधार पर पहचान भी कर सकती हैं।
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महाकुंभ में भीड़ को देखते हुए कई सारे घाट तैयार किए गए है ताकि श्रद्धालु को स्नान करने आसानी हो। अब दूसरा सवाल यह आता है कि संगम पर तैयार किए गए घाट क्या है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि संगम नोज पर गंगा और यमुना नदी को उनके रंग से पहचान सकते हैं। इसके बाद यहां से यमुना की यात्रा समाप्त हो जाती है और वह गंगा में विलीन हो जाती है। वहीं स्नान के लिए जो घाट तैयार किए गए वह गंगा नदी है। सीधे शब्दों में समझें तो अगर आप संगम नोज को छोड़कर अन्य घाट पर स्नान करते हैं तो आप गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।
महाकुंभ का आयोजन 4000 हेक्टेयर में 25 सेक्टर में बांटा गया है। 144 वर्ष बाद आने वाले कुंभ का अमृत स्नान काफी महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही वह स्नान किस स्थान पर किया जा रहा है। यह भी विशेष महत्वपूर्ण है। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर संगम नोज पर अमृत स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और साथ व्यक्ति को जन्म-पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
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