ऐसा माना जाता है कि पति की लंबी उम्र की कामना के लिए पत्नी द्वारा करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस व्रत को रखने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और इस व्रत के लिए महिलाएं साल भर इंतजार भी करती हैं।
ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले ब्रह्मदेव ने असुरों और राक्षसों के संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए यह व्रत रखने को कहा था। आपको बता दें कि करवा चौथ का व्रत देवी पार्वती ने भोलेनाथ के लिए भी रखा था।
इस व्रत का वर्णन महाभारत में भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ का व्रत महाभारत काल में द्रौपदी ने क्यों रखा था? इस लेख में हम आपको बताएंगे कि क्यों द्रौपदी ने यह व्रत रखा था।
द्रौपदी को किसने दी थी व्रत रखने की सलाह?
ऐसा माना जाता है कि अर्जुन नीलगिरी के जंगल में तपस्या करने गए थे। द्रौपदी को उनकी चिंता सता रही थी। आपको बता दें कि द्रौपदी के सखा हमेशा से श्री कृष्ण ही थे। तब द्रौपदी ने भगवान कृष्ण जी से अर्जुन की रक्षा करने के लिए उपाय पूछा। भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ का व्रत रखने की सलाह दी थी।
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'पति पर आने वाले संकटों को काटने की क्षमता पत्नी में ही होती है'
अर्जुन को महाभारत में सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बताया गया है। आपको यह तो पता ही होगा कि माता कुंती के वचन और आज्ञा के चलते द्रौपदी पांचों पांडवों की पत्नी बनी थीं। लेकिन अर्जुन ने द्रौपदी को स्वयंवर की चुनौती पूर्ण कर जीता था इसलिए पांचों पांडवों में से द्रौपदी अर्जुन से अधिक लगाव रखती थी। अर्जुन अक्सर ही ज्ञान और शास्त्रों के बारे में जानने के लिए वन में तप करने जाया करते थे।
एक बार अर्जुन ऐसे ही तप करने के लिए अज्ञात वन में गए थे। काफी समय बीत गया लेकिन अर्जुन वापस नहीं आए। अज्ञात वन होने की वजह से कोई भी यह नहीं जानता था कि अर्जुन कहां हैं? उनकी कोई भी जानकारी किसी को नहीं मिल पा रही थी। द्रौपदी उनकी अनुपस्थिति की वजह से बहुत चिंतित हो गई थी।
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द्रौपदी ने अपने प्रिय सखा श्री कृष्ण को पूरी घटना के बारे में बताकर मार्गदर्शन देने को कहा। तब श्री कृष्ण ने कहा था कि, "पति पर आने वाले समस्त संकटों को काटने की क्षमता पत्नी में ही होती है। इस संसार में पति-पत्नी ही एक दूसरे के मुख्य मित्र और संरक्षक होते हैं। दोनों ही एक-दूसरे की रक्षा करने के लिए होते हैं। तुम इस संकट में अपना संयम मत खोना"।
उन्होंने यह भी कहा कि तुम अर्जुन की रक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत रखो। फिर श्री कृष्ण जी ने करवा चौथ व्रत के बारे में पूरा विवरण भी दिया।यह कहने के बाद श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत की कथा सुनाई और सारा विधि विधान समझाया। द्रौपदी ने पूरी श्रद्धा भाव के साथ का व्रत रखा और सारे विधि विधान पूर्ण किए थे। इस व्रत का समापन होते ही अर्जुन शास्त्रों के ज्ञान को प्राप्त करके अपनी पत्नी यानि द्रौपदी के पास लौट आए थे।
तो यह थी महाभारत काल में द्रौपदी द्वारा रखे गए करवा चौथ की जानकारी।
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Image credit- Hotstar
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