करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत करती हैं और चांद देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं।
सारे दिन व्रत रखने के बाद शादीशुदा महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान गणेश, शिव-पार्वती और करवा माता की पूजा करती हैं। महिलाएं रात में चांद को अर्घ्य देती हैं और करवा चौथ की कथा पढ़ती हैं। सनातन धर्म में इसे विवाहित महिलाओं के लिए सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल कब मनाया जाएगा करवा चौथ और इसका क्या महत्व है।
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ज्योतिष में करवा चौथ का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जो शादीशुदा महिला इस दिन निर्जला व्रत करती है और पूरी श्रद्धा भाव से चंद्रमा को अर्घ्यदेती है उसके पति को लंबी उम्र का आशीष मिलता है और पति और पत्नी का रिश्ता भी मजबूत होता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूजा करती हैं तो उन्हें अमर सुहाग का वरदान प्राप्त होता है।
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इस प्रकार करवा चौथ में किया गया पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है और पति को दीर्घायु मिलती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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