करवा चौथ का पर्व मुख्य रूप से सुहागिन स्त्रियों का त्योहार है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सभी शादीशुदा महिलाएं पति की दीर्घायु और सफलता के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत करती हैं। ज्योतिष की मानें तो इस व्रत को करने से दाम्पत्य जीवन भी सुखदायी होता है और आपसी सामंजस्य भी बना रहता है।
इस दिन मुख्य रूप से चंद्रमा की पूजा की जाती है और इसे अर्घ्य दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है और भावी जीवन सुखमय होता है।
यदि करवा चौथ के दिन आप विधि विधान के साथ पूजा करेंगी तो ये आपके जीवन के लिए तो अच्छा ही है और इससे पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद भी मिलता है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया से यहां विस्तार से जानें करवा चौथ में पूजा की सही विधि के बारे में।
कैसे किया जाता है करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Vrat Vidhi)
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- जो स्त्रियां करवा चौथ का व्रत करती हैं उन्हें इस दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
- यदि आप सरगी का पालन करती हैं तो इसे सूर्योदय से पूर्व ही खाएं।
- वैसे कुछ रिवाजों में सरगी का चलन (सरगी का महत्व) नहीं होता है, ऐसे में महिलाएं करवा चौथ के व्रत के एक रात पहले से ही व्रत का पालन शुरू कर देती हैं और रात्रि 12 बजे के बाद से ही जल और अन्न नहीं लेती हैं।
- सरगी का पालन करने वाली महिलाएं करवा चौथ के दिन सबसे पहले सरगी का सेवन करें, पानी पिएं और भगवान की पूजा करके पूरे दिन के लिए निर्जला व्रत का संकल्प लें।
- निर्जला व्रत में पूरे दिन अन्न और जल ग्रहण न करें और चांद के दर्शन के दर्शन और पूजन के बाद की कुछ खाएं।
- शाम के समय पूजन करते हुए पति की दीर्घायु की कामना करते हुए चन्द्रमा से प्रार्थना करें और व्रत का पारण करें।
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करवा चौथ की पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)
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- करवा चौथ का व्रत ब्रह्म मुहूर्त में उठकर आरंभ करें और पूरे दिन निर्जला उपवास रखें। रात्रि में पूजन के समय सोलह श्रृंगार करके तैयार हों और दीवार पर करवा चौथ की पूजा का चित्र बनाएं या बाजार से लाया हुआ कैलेंडर लगाएं।
- चावल के आटे में हल्दी मिलाकर आयपन बनाएं और इससे जमीन पर सात घेरे बनाते हुए चित्र बनाएं। जमीन में बने इस इस चित्र के ऊपर करवा रखें और इसके ऊपर नया दीपक रखें।
- करवा में आप 21 सींकें लगाएं और करवा के भीतर खील बताशे (करवे में क्या भरा जाता है), चूरा और साबुत अनाज डालें।
- करवा के ऊपर रखे दीपक को प्रज्ज्वलित करें। इसके पास आटे की बनी पूड़ियां, मीठा हलवा, खीर, पकवान और भोग की सभी सामाग्रियां रखें।
- इस पूजा में मुख्य रूप से चावल के आटे का प्रसाद तैयार किया जाता है और व्रत खोलते समय जल के बाद सबसे पहले इसी प्रसाद को ग्रहण करना चाहिए।
- करवा के साथ आप सुहाग की सामग्री भी चढ़ा सकती हैं। यदि आप सुहाग की सामग्री चढ़ा रही हैं तो सोलह श्रृंगार चढ़ाएं। करवा के पूजन के साथ एक लोटे में जल भी रखें इससे चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा करते समय करवा चौथ व्रत कथा का पाठ करें।
- चांद निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें फिर चांद के दर्शन करें। चन्द्रमा को जल से अर्घ्य दें और पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें।
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यदि आप यहां बताई गई विधि से करवा चौथ की पूजा करेंगी तो पति के साथ अच्छे संबंध बने रहेंगे और घर की सुख समृद्धि भी बनी रहेगी।
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FAQ
- करवा चौथ पर किस की पूजा होती है?
- करवा चौथ व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय और भगवान गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है।
- करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दिया जाता है?
- करवा चौथ की पूजा के दौरान एक लोटे में जल भरकर रखा जाता है। करवा माता की पूजा के बाद उसी लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। पहले चांद निकलने के बाद छलनी की ओट से चांद को देखते हैं फिर पति को देखते हैं और फिर उसके बाद अर्घ्य देते हैं।