कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए होता है, जिसमें महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं और चंद्रमा की पूजा करके सुखी दाम्पत्य की कामना करती हैं।
करवा चौथ के दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को करवा माता की पूजा के साथ चंद्रमा की पूजा करती हैं और व्रत खोलती हैं। पूजा के दौरान चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद छलनी से पति का चेहरा देखा जाता है, उसके बाद ही पानी पिया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा के पूजन से पति को दीर्घ आयु मिलती है और पति-पत्नी के बीच प्रेम में वृद्धि होती है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस दिन चंद्रमा की पूजा और प्रार्थना क्यों की जाती है।
चंद्रमा की पूजा से मन की चंचलता कम होती है
चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है और स्त्रियों का मन सबसे ज्यादा चंचल होता है। ऐसी मान्यता है कि चंद्र पूजन से मन की चंचलता खत्म होती है और चंद्रदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। करवा चौथ के दिन शिव परिवार की पूजा की जाती हैं।
इस दिन सुहागिन महिलाएं चंद्रमा को निमित्त बनाकर पार्वती जैसी पत्नी बनना चाहती हैं क्योंकि माता पार्वती आर्दश महिलाओं की प्रतीक मानी जाती हैं। सुहागन महिलाएं माता पार्वती से प्रार्थना करती हैं कि जिस प्रकार सती सावित्री का सौभाग्य अमर रहा, उसी तरह उनका भी सौभाग्य बना रहे।
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चंद्रमा की प्रार्थना और पूजा कैसे करें
शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा को अर्घ्य देते समय ध्यान रखें कि पानी में थोड़ा सा दूध भी मिलाएं। ऐसा करने से मन में सभी प्रकार के नकारात्मक विचार, असुरक्षा की भावना, पति के स्वास्थ्य की चिंता और दुर्भाग्य खत्म हो जाता है। साथ ही, कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत हो जाती हैं।
इससे सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है और पति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। करवा चौथ व्रत में चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया था उस दौरान उनका सिर सीधा चंद्रलोक चला गया था।
ऐसा माना जाता है कि जाता है कि उनका सिर आज भी चंद्रलोक में मौजूद है। चूकि भगवान गणेश जी को वरदान था की हर पूजा से पहले उनकी पूजा की जाएगी और भगवान गणेश जी का सिर चंद्रलोक में होने की वजह से करवा चौथ पर चंद्रमा की खास पूजा की जाती है।
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देते समय पढ़ें ये मंत्र
ये व्रत पति पत्नी के लिए एक दूसरे के प्रति समर्पण, अपार प्रेम, त्याग व विश्वास का प्रतीक लेकर आता है। करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस विशेष मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है और घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
इस मंत्र का अर्थ है कि सागर समान आकाश के माणिक्य, दक्षकन्या रोहिणी के प्रिय व श्री गणेश के प्रतिरूप चंद्रदेव मेरा अर्घ्य आप स्वीकार करें और हम सभी को आशीर्वाद दें।
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क्या है करवा चौथ व्रत की मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। इस व्रत को रखने से माता पार्वती को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई थी। इसलिए करवा चौथ के व्रत में माता करवा के साथ-साथ शिव-पार्वती की भी पूजा की जाती है।
महाभारत काल में भी एक कथा मिलती है कि द्रौपदी ने भी पांडवों के लिए इस व्रत को किया था। इस साल करवा चौथ 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस दिन बेहद शुभ संयोग बन रहा है।
इस दिन शिव योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। साथ में इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में होंगे और बुध के साथ सूर्य तुला राशि में होने से बुधादित्य योग बन रहा है। इस शुभ योग के बीच मृगशिरा नक्षत्र में चतुर्थी का समापन हो रहा है।
यदि आप शुभ मुहूर्त में और सही विधि से चंद्रमा की पूजा और प्रार्थना करेंगी तो पति को दीर्घायु मिलने के साथ आपसी सामंजस्य भी बना रहेगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik.com
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