Margashirsha Purnima Puja Samagri

Margashirsha Purnima Puja Vidhi & Samagri 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजा विधि और सामग्री की लिस्‍ट, यहां जानें

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 की पूजा विधि, व्रत नियम और पूरी पूजा सामग्री लिस्ट यहां जानें। इस दिन भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा, चंद्र अर्घ्य और दान का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा की संपूर्ण पूजन विधि, तिथि, महत्व और शुभ फल पढ़ें।
Editorial
Updated:- 2025-12-04, 10:31 IST

हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र और शुभ दिन माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर चंद्रमा अपनी पूर्ण शक्ति में होता है, इसलिए धार्मिक ग्रंथों में इस दिन व्रत, पूजा और दान का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता यह भी है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ-साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।

उज्जैन (मध्य प्रदेश) के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य मनीष शर्मा बताते हैं कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। वे कहते हैं,
"इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर को पड़ रही है। सबसे शुभ बात यह है कि इस बार यह पूर्णिमा रवि योग में मनाई जाएगी, जिसे अत्यंत मंगलकारी योग माना गया है। इस दिन की पूजा और दान से मिलने वाला फल कई गुना बढ़ जाता है।"

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 की पूजा विधि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजा अत्यंत सरल है। चलिए हम आपको इसकी आसान विधि बताते हैं-

  • सूर्योदय से पहले ही आपको उठकर स्‍नान करना हैृ। इसलिए आप घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें या किसी पवित्र नदी या तालाब पर जाकर स्‍नान करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के नाम से संकल्प लें और व्रत रखें।
  • आज यदि आप पीले रंगे के कपड़े पहनती हैं और पीले रंग के आसान पर बैठ कर पूजा करती हैं, तो भगवान विष्‍णु बहुत प्रसन्‍न हो जाते हैं।
  • पूजा करने से पहले उस स्‍थल को साफ करें और वहां पर भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी की तस्‍वीर रखें।
  • सबसे पहले भगवान विष्‍णु और लक्ष्‍मी जी पर जल का छिड़काव करें और फिर उन्‍हें रोली, चावल, पीले फूल, तुलसी की पत्तियां और पीला वस्त्र अर्पित करें।
  • पूजा के दौरान ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • इसके बाद घी या तिल के तेल का दीपक जलाकर भगवान को अर्पित करें।
  • इस दिन दूध से बनी खीर, काले तिल के लड्डू, गुड़ या चावल का भोग चढ़ाना बहुत शुभ रहता है। भोग लगाने के बाद परिवार के सदस्यों में प्रसाद बांटें।
  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर तुलसी पूजा जरूर करें। आज के दिन तुलसी को जल अर्पित करें, तुलसी की परिक्रमा करें और दीप जलाएं।
  • जब आपकी पूजा संपन्‍न हो जाए, उसके बाद चीजों का दान अवश्‍य करें। आप आज के दिन तिल, चावल, गुड़, कंबल, कपड़े या भोजन का दान कर सकती हैं। इसके साथ ही किसी जरूरतमंद को धन या फिर जरूरत का सामान जरूर दें।
  • व्रत में दिनभर सात्विक आचरण रखते हुए अच्‍छी बातें सोचें और बोलें। रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।

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Margashirsha Purnima Puja Vidhi

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 की पूजा सामग्री लिस्‍ट

मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। इस दिन की गई पूजा-अर्चना से घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। परंपरानुसार इस दिन भगवान विष्णु, लक्ष्मी माता और तुलसी का पूजन किया जाता है। पूजा शुरू करने से पहले सभी आवश्यक सामग्री को एक जगह इकट्ठा करना शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा के लिए मुख्य रूप से दीपक, घी या तेल, अगरबत्ती, कपूर, चावल, रोली, चंदन, फूल, तुलसी दल, पंचामृत, शहद, दही, गंगाजल, मिठाई, धूप, नारियल, लाल या पीला वस्त्र, अक्षत, कलश, सुपारी, पान, लौंग, इलायची आदि सामग्री रखी जाती है। पूजा के समय थाली, कलश, जल का पात्र, दीपक और एक साफ आसन भी तैयार रखें।

इस दिन व्रत करने वाले लोग सुबह स्नान कर गंगाजल मिश्रित जल से पूजा स्थल को शुद्ध करते हैं और भगवान विष्णु को पुष्प, तुलसी और नैवेद्य अर्पित करते हैं। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। सही पूजा सामग्री और विधि के साथ किया गया मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला माना गया है।

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Margashirsha Purnima 2025

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FAQ
मार्गशीर्ष पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण शक्ति में माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर व्रत, स्नान, पूजा और दान करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर किसकी पूजा करनी चाहिए?
इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी की पूजा की जाती है। साथ ही चंद्रमा को अर्घ्य देना भी अति शुभ माना गया है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत कैसे रखा जाता है?
सुबह स्नान के बाद संकल्प लेकर व्रत रखा जाता है। दिनभर सात्त्विक भोजन, शांत मन, सकारात्मक विचार और पूजा के साथ शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।
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