हिंदू धर्म में, तुलसी के पौधे को बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है। ज्योतिष की मानें तो उसकी पूजा करने से घर पर माता लक्ष्मी का सदैव वास बना रहता है। यह अपने आध्यात्मिक और औषधीय गुणों के लिए पूजनीय मानी जाती है। तुलसी के पौधे में नियमित रूप से जल चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है और इसकी नियमित पूजा आपकी दैनिक पूजा का एक मुख्य हिस्सा माना जाता है। तुलसी की पूजा से समस्त देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और घर का वातावरण भी शुद्ध बना रहता है। कई बार हमारे मन में तुलसी में जल चढ़ाने को लेकर भी कई सवाल आते हैं।
तुलसी के पौधे में जल चढ़ाने के नियम क्या हैं? तुलसी में जल किसी दिशा की ओर खड़े होकर चढ़ाया जाता है? तुलसी के पौधे में जल की पात्र से चढ़ाया जाता है और सबसे अहम सवाल यह आता है मन में कि क्या बिना स्नान किये हुए भी आप तुलसी में जल चढ़ा सकती हैं? इन सभी सवालों के अपने अलग जवाब हैं और सबसे अहम सवाल यानी कि तुलसी के पौधे में बिना स्नान एक जल अर्पित करने से क्या होता है, का सही जवाब जानने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से बात की। आइए आपको बताते हैं इसके कुछ फलों के बारे में-
ज्योतिष के अनुसार स्नान करने का महत्व
ज्योतिष की मानें तो पूजा-पाठ से पहले स्नान इसलिए जरूरी होता है क्योंकि इससे शुद्धिकरण हो सकता है। स्नान करने से शरीर और मन शुद्ध होते हैं जिससे पूजा अधिक प्रभावी और सार्थक होती है। यही नहीं स्नान करने से सकारात्मक ऊर्जा और कंपन को आकर्षित करने में भी मदद मिलती है, जो किसी भी सफल पूजा का आधार माना जाता है। स्नान करने से किसी भी अनुष्ठान की पवित्रता बनी रहती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि पूजा अत्यंत सम्मान और भक्ति के साथ की जाती है। इसी वजह से ज्योतिष में स्नान को एक पवित्र दैनिक क्रिया माना जाता है।
क्या तुलसी के पौधे में बिना स्नान के जल अर्पित किया जा सकता है?
धार्मिक और ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, तुलसी के पौधे में जल अर्पित करने से पहले व्यक्ति का स्नान करना जरूरी माना जाता है। स्नान करने से व्यक्ति का शरीर और मन शुद्ध होता है, जिससे पूजा का महत्व और प्रभाव बढ़ जाता है। बिना स्नान के जल अर्पित करने से आपको तुलसी पूजा का फल नहीं मिल सकता है बल्कि इसके आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि आप तुलसी में जल स्नान के तुरंत बाद ही अर्पित करें, लेकिन जब भी तुलसी में जल चढ़ाएं ध्यान रखें कि आपका शरीर शुध्द होना चाहिए। आप हाथ-पैर धोकर और स्वच्छ वस्त्र पहनकर भी तुलसी को जल अर्पित कर सकते हैं। इससे पूजा का महत्व बना रहता है और आप अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ तुलसी पूजा भी कर सकते हैं।
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तुलसी को माना जाता है माता लक्ष्मी का स्वरूप
ऐसा कहा जाता है कि किसी भी भगवान की पूजा से पहले स्नान आदि से निवृत्त होना जरूरी है। इससे आपका शरीर तो शुद्ध होता ही है और आपको पूजा का फल भी मिलता है। चूंकि तुलसी सिर्फ एक पौधा ही नहीं है बल्कि माता लक्ष्मी का प्रतीक भी है, इसलिए उसकी पूजा या जल चढ़ाने से पहले भी आपका शरीर और मन पवित्र होना चाहिए। इसी वजह से तुलसी में जल चढ़ाने से पहले स्नान करने की सलाह दी जाती है।
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तुलसी के पौधे में जल चढ़ाने के नियम क्या हैं?
आपको तुलसी के पौधे में हमेशा कुछ नियमों का पालन करते हुए जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप तुलसी में सही नियम से जल चढ़ती हैं तभी उसका फल मिलता है।
- आपको तुलसी में हमेशा स्न्नान आदि से निवृत्त होकर ही जल अर्पित करना चाहिए। शुद्ध शरीर के साथ अर्पित किया गया जल तुलसी माता को स्वीकार्य होता है।
- आप तुलसी को जल अर्पित करते समय उनमें गंगाजल की कुछ बूंदें भी मिला सकती हैं, इससे आपको पूजा का दोगुना फल मिल सकता है।
- यदि आप तुलसी के पौधे में जल देते समय तांबे के बर्तन का इस्तेमाल करें तो ये आपके लिए बहुत शुभ माना जाता है।
- कोशिश करें कि तुलसी के पौधे में जल सुबह जल्दी ही अर्पित करें। सूर्यास्त के बाद तुलसी में जल देना वर्जित होता है।
- तुलसी के पौधे को जल देते समय आपका मुख्य उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। इससे आपको पूजा का पूर्ण फल मिल सकता है।
यदि आप तुलसी के पौधे में जल चढ़ाते समय यहां बताई बातों का ध्यान रखती हैं तो आपको इसके शुभ फल मिल सकते हैं और जीवन में शुभता बनी रहती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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