बेशक वक्त बदल गया हो, मगर लोगों की सोच अभी भी पूरी तरह से नहीं बदल सकी है। इस बात को तब और भी आसानी से महसूस किया जा सकता है, जब विषय महिलाओं का हो। खासतौर पर एक विवाहित महिला को लेकर लोगों की धारणा आज भी बहुत ज्यादा अलग है। उससे भी अव्वल अगर विवाहित महिला मां हो और वो भी सिंगल पेरेंटिंग कर रही हो, तो लोगों का उसे देखने का दृष्टिकोण ही बदल जाता है।
वर्तमान समय में आपको सिंगल पेरेंट के बहुत सारे उदाहरण मिल जाएंगे। इन्हीं में एक मिसाल हैं टीवी एक्ट्रेस जूही परमार। जूही ने वर्ष 2018 में अपनी 9 साल पुरानी शादी को तोड़ दिया था। उस वक्त उनकी एक बेटी भी थी, जिसकी कस्टडी जूही को दी गई थी। जूही ने एक मां का फ़र्ज़ बखूबी निभाया है, मगर उनकी सिंगल मदर होने की जर्नी आसान नहीं रही।
जाहिर है, यह कदम उठाने के लिए एक महिला को बहुत हिम्मत करनी पड़ती है और यह हिम्मत उठाने के लिए उसे कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। इन्हीं चुनौतियों के बारे में जूही ने बताया है और अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट भी शेयर की है। अगर आप भी एक सिंगल मदर हैं, तो जूही की यह पोस्ट आप में आत्मविश्वास जगाएगी।
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जजमेंटल होते हैं लोग
सबसे पहली चुनौती जो एक सिंगल मदद को फेस करनी पड़ती है, वह यह है कि लोग उसे लेकर बहुत ज्यादा जजमेंटल हो जाते हैं। सबसे पहले तो लोगों के मन में यही विचार आता है कि महिला बहुत तेज होगी। फिर कुछ लोग उसके चरित्र पर भी सवाल खड़े कर देते हैं। इन सबसे से भी खतरनाक स्थिति यह होती है कि जजमेंटल होने के साथ-साथ सिंगल मदर को सपोर्ट करने वालों की बहुत ज्यादा कमी होती है। कभी-कभी तो खुद उसके परिवार के लोग ही उसे नहीं अपनाते हैं।
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लगाए जाते हैं आरोप
हालांकि, अब वक्त ने महिलाओं को अपनी आवाज उठाना और अपने कदमों को आगे बढ़ाना सिखा दिया है। मगर ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो महिलाओं के बढ़ते कदमों को रोकते हैं। यही वह पड़ाव होता है जब महिलाएं खुद को कमजोर महसूस करने लगती हैं और परिस्थिति को झेलती रहती हैं। कई बार तो लोग महिलाओं पर ही आरोप लगाते हैं कि वह शादी को निभा नहीं पाईं। (पैरेंटिंग टिप्स जानें)
हर चेहरे पर दिखता है एक प्रश्न
चुनौतियों की कड़ी में तीसरी सबसे बड़ी चुनौती होती है, लोगों के दर्जन भर सवालों का जवाब देना। बड़ी मुश्किल तो यह होती है कि इन सवालों के जवाब देना आसान नहीं होता है और यह महिला की पर्सनल लाइफ को प्रभावित करते हैं। वक्त कितना भी गुजर जाए यह सवाल महिला का पीछा नहीं छोड़ते।
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दोहरी जिम्मेदारी उठानी पड़ती है
इन सारी कठिनाइयों के बाद भी एक मां अपने बच्चे के लिए दोहरी जिम्मेदारी निभाती है। वह मां भी होती है और पिता की भूमिका भी निभाती है। हर मुसीबत उसे पहले से चार गुना ज्यादा मजबूत बना देती है।
जूही परमार अंत में यही कहती हैं, 'डरने और घबराने से न आप खुद को एक अच्छी जिंदगी दे पाएंगी और अपने बच्चे को। ऐसे में थोड़ा हौसला रखें और सिंगल मदर नहीं बल्कि डबल पेरेंट बनने के लिए खुद को तैयार करें।'
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