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juhi parmar parenting  tips

जूही परमार से जानिए कैसे करती हैं वो अपनी बेटियों की परवरिश

किसी भी माता-पिता के लिए बच्चों की परवरिश सबसे अहम और बड़ी ज़िम्मेदारी होती है।
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-12-05, 11:00 IST

किसी भी माता-पिता के लिए बच्चों की परवरिश सबसे अहम और बड़ी ज़िम्मेदारी होती है। बच्चों की ज़रूरतें पूरी करना ही ज़रूरी नहीं होता, बल्कि उन्हें पर्याप्त समय भी देना पड़ता है। टीवी एक्ट्रेस जूही परमार इस बात को बख़ूबी जानती हैं, इसीलिए अपने काम के साथ पैरेंटिंग का भी पूरा ध्यान रखती हैं। जूही परमार इन दिनों कलर्स पर आने वाले शो तंत्र के प्रमोशन में जुटी हैं। 

शो में वह एक ख़ास भूमिका में हैं। जूही कहती हैं कि अब वह वैसे ही शोज़ का हिस्सा बनना पसंद कर रही हैं, जिनमें उन्हें उनकी बेटी के लिए पूरा वक़्त मिल सके। बेटी की पैरेंटिंग को लेकर जूही ने विस्तार से बातचीत की और कुछ अहम बातें साझा कीं।

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कभी बच्चों को अनजान के साथ ना छोड़ें 

जूही कहती हैं कि यह उनकी खुशनसीबी है कि उनके पैरेंट्स ने उनकी बेटी का पूरा ख्याल रखा है और जिसकी वजह से वह बाहर आकर काम करने में समर्थ हो पायी हैं। जूही कहती हैं कि वह इस बात से अवगत हैं कि आजकल बच्चे भी हर जगह सेफ नहीं हैं। जूही माता- पिता को यही सलाह देती हैं कि कभी भी बच्चों को ऐसे लोगों के साथ न छोड़ें या लंबे समय तक ना छोड़ें, जिन पर आपकोभरोसा नहीं और जिन्हें आप अच्छी तरह ना जानते हों। जूही कहती हैं कि  उन्होंने आज तक अपनी बेटी को किसी भी अजनबी के साथ नहीं छोड़ा है। वह हमेशा साथ रही हैं या फिर उनके पैरेंट्स या फिर उनके ऐसे दोस्त जो उनके बेहद ख़ास हैं और जिन पर वह आंख मूंदकर भरोसा कर सकती हैं।

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बेटी को ज़िद्दी नहीं बनाएंगी

जूही कहती हैं कि उन्होंने इस बात का ख़ास ख्याल रखा है कि वह अपनी बेटी को कभी भी ज़िद्दी नहीं बनाएंगी। जूही कहती हैं कि यह सच है कि मेरा सब कुछ उसका है, लेकिन मैं स्ट्रिक्ट मदर हूं। ऐसा नहीं है कि उसने जो कह दिया, मैं उसकी ज़िद पूरी करती जाऊंगी, क्योंकि यह बेहद ज़रूरी है कि वह इस बात को समझें कि कम चादर में कैसे पैर फैलाना चाहिए। मैं उसे कभी भी एक साथ सारी चीज़ें नहीं दे देती हूं। सही वक़्त पर सही तरीके से उसकी बात मानती हूं। अधिक शोर करने पर कभी-कभी उसे मेरी डांट भी खानी पड़ती है।

दूसरों के घर बर्ताव

जूही कहती हैं कि यह भी बेहद ज़रूरी है कि बच्चों को माता-पिता मतलब उनके पैरेंट्स यह समझाएं कि वह दूसरे के घर पर जाकर किस तरह बर्ताव करें। मैं अपनी बेटी को समझाती हूं और मुझे उन बच्चों पर बहुत गुस्सा आता है, जो दूसरों के घर जाकर उलट फेर करते हैं और सामान तोड़ते हैं। मेरी बेटी ऐसा करती है तो मैं उसे फौरन डांट लगाती हूं। अभी से उसे जानना ज़रूरी है कि क्या सही है, क्या गलत है। वरना, वह यह ग़लती लगातार करती रहेगी। आगे भी उसे लगेगा कि कोई बड़ी बात नहीं है। अगर मैंने ऐसा कर दिया है तो इसलिए मैं उसे अभी से सही और ग़लत का फ़र्क समझाती रहती हूं।

 

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