करियर बनाने की चाह सिर्फ लड़कों में नहीं लड़कियों में भी है। ये बात अलग है कि फैमिली और पेरेंटिंग की वजह से लड़कियां अपने काम से ब्रेक ले लेती हैं मगर, वापस कैसे आना है ये वो अच्छी तरह जानती हैं। जब बात हो अपनी फॅमिली को सिंगल होकर चलाने की तो यह थोडा मुश्किल ज़रूर हो जाता है जैसे, टीवी एक्ट्रेस जूही परमार के लिए हो रहा है मगर, आपको बता दें कि जूही अपने करियर और सिंगल परेंटिंग को बहुत अच्छी तरह हैंडल कर रही हैं।
अलग है सिंगल पेरेंटिग का तजुर्बा
बता दें कि कुछ महीने पहले ही जूही ने अपने पति सचिन श्रॉफ से तलाक लिया है और फिलहाल वो अपनी बेटी समायरा की देखभाल खुद कर रही हैं। हाल ही में हमसे ख़ास बातचीत के दौरान जूही ने हमें बताया कि सिंगल पैरेंटिंग का एक्सपीरियंस बहुत ही अलग और बहुत ही अच्छा है।
जूही ने दूसरी शादी के बारे में भी अपनी राय दी है। एक मां होने के साथ साथ जूही एक औरत भी है जिसे अपना घर चलाना है और ऐसे में वो अपनी बेटी पर कैसे ध्यान देती हैं, आइये जानते हैं-
फिलहाल मेरी ज़िन्दगी में सिर्फ मेरी बेटी है, दूसरी शादी नहीं
जूही से हमने जब दूसरी शादी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि इंसान को अगर कुछ दिनों का वायरल फीवर हो जाता है तो बुखार जाने के कई दिनों बाद भी ज़ुबान का स्वाद कड़वा रहता है, ये तो नौ साल की शादी थी। डायवोर्स हुआ और उसके बाद हमने तय किया था कि हम अपनी शादी टूटने की वजह अपनी अलग-अलग सोच को बताएंगे, यह हमने अपनी बेटी के लिए तय किया था लेकिन, जैसे ही डाइवोर्स हुआ सामने वाले इंसान ने ऐसी ऐसी चीज़ें सामने लाई कि रिश्ते में बचा-कुचा सब खराब हो गया... उसने मुझे तोड़ दिया। अजीब-अजीब से इल्ज़ाम लगाए खैर, मैं इतना ही कह सकती हूं कि एक औरत किसी से प्यार न करें तो उसके साथ बच्चा नहीं करती है। लेकिन अब मैं उन सबसे उबर गयी हूं। उन सब घटनाओं ने मुझे स्ट्रांग ही बनाया है। फिलहाल मेरी ज़िंदगी में सिर्फ़ मेरी बेटी है, दूसरी शादी नहीं।
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सिंगल पैरेंटिंग में काम हैडबल लेकिन, प्यार भी डबल
जूही ने हमसे कहा कि सिंगल पैरेंटिंग का अनुभव ज़बर्दस्त होता है। काम डबल है लेकिन अच्छी बात ये है कि आपको प्यार भी डबल ही मिलता है, बच्चा सिर्फ़ आपको प्यार करता है।'
जूही ने बताया, 'मेरी जर्नी आसान हुई है मेरे माता पिता की वजह से... उन्होंने नाना नानी नहीं बल्कि माता पिता बनकर मेरे बेटी समायरा का ख्याल रखा है। ये कहना ग़लत नहीं होगा कि मैं शायद काम पर जाती ही नहीं अगर वो ये नहीं कहते कि हम समायरा का ध्यान रखेंगे, तुम काम पर जाओ। क्योंकि मैं अपनी बेटी को नौकर या नौकरानियों के भरोसे नहीं छोड़ सकती थी। मेरे पैरेंट्स मेरे लिए राजस्थान से मुंबई शिफ्ट हुए, वो नहीं चाहते थे कि मैं अपने पैशन को मारूं। वो जानते थे कि मेरा इंडिपेंडेंट रहना बहुत ज़रूरी है। मुझे कमाऊ महिला बनना होगा क्योंकि मैं अपने घर की महिला होने के साथ साथ एक औरत भी हूं। यही वजह है कि मैं खुद को सिंगल पैरेंट नहीं कहती हूं बल्कि ये कहती हूं कि मैं अपने माता पिता के संग अपनी बेटी की पैरेंटिंग कर रही हूं।
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