वक्त बदल चुका है और वक्त के साथ ही महिलाएं भी आगे बढ़ चूकी हैं। मगर कुछ नहीं बदला है समाज का महिलाओं के प्रति सोचने का तरीका। जी हां, आज महिलाएं घर चार दीवारी से बाहर निकल कर पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर एक सफल वर्किंग वुमन बन चुकी हैं मगर महिलाओं के लिए वर्किंग लाइफ उतनी आसान नहीं है जितनी पुरुषों के लिए है। आज भी घर से बाहर निकल ने के बाद उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती होती है लिंग भेद और पुरुषों की खराब नियत। इससे भी ज्यादा मुशिकल होता है शादीशुदा और मां बन चुकी महिलाओं के लिए क्योंकि उनकी काबलियत को उनके दोहरी जिम्मेदारी उठाने की क्षमता पर परखा जाता है। इन सब के चलते घर और बाहर के संघर्ष से लड़ते लड़ते महिलाओं में तनाव, चिड़चिड़ापन और डिसकरेजमेंट के भाव आ जाते हैं। मगर वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ में बैलेंस बैठाना है तो पहले आप अपने इमोशंस को बैलेंस करना सीखें। क्योंकि इमोशंस पर आपकी परफॉर्मेंस टिकी होती है। मनौवैज्ञानिक डॉक्टर शिल्पी ठाकुर कहती हैं, 'दोहरी जिम्मेदारी और घर के बाहर के संघर्ष से महिलाओं में चिड़चिड़ाहट आ जाती है। बस यही से उनका डाउनफॉल स्टार्ट हो जाता है। अगर महिलाएं अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करना सीख जाएं तो शायद वह पुरुषों से ज्यादा कामयाब हो सकती हैं। ' डॉक्टर शिल्पी महिलाओं को बिना मानसिक संतुलन खोए आने वाली हर कठिन परिस्थिति का संयम, बुद्धिमत्ता तथा दृढ़ता से सामना करने के लिए कुछ खास टिप्स दे रही हैं।
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कठिनाइयां तब ही आती हैं जब समस्या होती है। मगर लोग समस्या पर ध्यान नहीं देते बस अपनी कठिनाइयों को लेकर रोते रहते हैं। अगर ऑफिस में बौस अगर आप को बेवजह डांटते हैं या आप के सहकर्मी आप से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा रखते हैं अथवा किसी प्रोजैक्ट की डैड लाइन तक आप काम पूरा नहीं कर पा रही हैं, तो समस्या की जड़ पर ध्यान दें. अगर आप समस्या को सुधार लें तो आपको चीजें कठिन नहीं लगेंगी।
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महिलाओं को 'न' कहना नहीं आता है। वह हर काम को करने के लिए हां कह देती है फिर चाहे उन पर पहले प्रेशर हो। यह सत्य है कि अधिक योग्य व्यक्ति को ही अधिक जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं. बेशक आप योग्य हैं मगर काम का प्रेशर होगा तो शायद आप से हर काम अच्छा न हो पाए। इसके साथ ही आप प्रेशर में तनाव में भी रहेंगी। इससे अच्छा है कि कुछ काम के लिए न कहना सीख लें। आप बॉस की नजरों में अगर ऊपर उठना चाहती हैं तो काम क्वालिटी वर्क करें क्वांटिटी पर ज्यादा फोकस नहीं करें।
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महिलाएं एक साथ कई काम कर लेती हैं। इस पर किसी को कोई डाउट नहीं है। ऑलराउंडर होने में बुराई भी नहीं है। मगर ऑलराउंडर से लोग ज्यादा एक्सपेक्टेशन रखते हैं तो, इसके साइडइफेक्ट भी हैं। अगर आपके पर जिम्मेदारियां कम है तो ऑलराउंडर बनने में दिक्कत नहीं है मगर घर और ऑफिस दोनों की जिम्मेदारी निभाने वाली महिलाओं को अपने काम के लिए फोकस्ड हो ना चाहिए। इसे वे तनावमुक्त और शांत होकर अपने काम को सही तरीके से कर पाएंगी।
पॉलिटिक्स से हमारा मतलब देश का नेता बनने से नहीं है बल्कि अपनी वर्कप्लेस और घर की पॉलिटिक्स से है। जी हां, हर वर्कप्लेस और घर में पॉलिटिक्स होती है। कई बार इसके चलते आपको इमोशनल ब्लैकमेलिंग का शिकार होना पड़ सकता है। मगर इससे दूर रहेंगी और अपनी चीजों को क्लीयर रखेंगी तो आप इससे बच सकती हैं।
अपनी वर्कप्लेस पर इस बात का ध्यान रखें कि आपके बॉस को आप से कभी कोई शियात नहीं होनी चाहिए। हो सकता है कि आपको आपका बॉस पसंद न हो मगर यहां आपको डिप्लोमैटिकली बिहेव करना होगा और अपने बॉस की पसंद न पसंद का ध्यान रख कर ही काम करना होगा। अगर बॉस आपके काम से खुश है तो वर्कप्लेस पर कोई भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि अपने किसी साथी कर्मचारी की बेहकावे में न आएं। इस से आप की कार्यशैली का पता चलता है.
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