एकता और विविधताओं से संपन्न भारत में अलग-अलग धर्म, समुदाय और संस्कृति के लोग देश के अलग-अलग राज्यों में बसे हुए हैं। देश में अलग-अलग धर्म और समुदाय के होने के कारण यहां तरह-तरह की परंपराएं भी मौजूद हैं, सभी अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं। भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और गुजरात, राजस्थान से लेकर मणिपुर मेघालय तक, कई अलग-अलग धर्म और संस्कृति के लोग बसे हुए हैं। इन सभी राज्यों के लोगों की शादी से जुड़े अलग-अलग रस्म, रिवाज और नियम बेहद ही खूबसूरत हैं। इन सभी रस्मों रिवाजों के पीछे इनकी अलग-अलग मान्यताएं हैं। आज के इस लेख में हम बंगाली शादी से जुड़े एक खास रस्म के बारे में बात करेंगे, यह रस्म होने वाली दुल्हन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। बंगाली शादी में आई बूढ़ों भात की एक रस्म है, जो शादी के पहले दुल्हन को करना होता है, तो चलिए बिना देर किए जानते हैं इस रस्म के बारे में...
क्या है आई बूढ़ों भात की रस्म?
आई बूढ़ों भात की रस्म बंगाली शादियों में लड़की के मायके में शादी से पहले होती है। शादी के एक रात पहले इस रस्म को दुल्हन के द्वारा मायके में किया जाता है। आई बूढ़ों भात की रस्म में दुल्हन अपने मायके में कुंवारी स्वरूप में आखिरी बार खाना खाती है। इसके बाद दुल्हन जब भी अपने मायके में शादी के बाद आती है, तो वह अपने पति के साथ भोजन करती है। आई बूढ़ों भात की इस खास रस्म में होने वाली दुल्हन के लिए कई तरह के व्यंजन, पकवान, मिठाई और खास भोजन बनाए जाते हैं। इस भोजन में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन बनाए जाते हैं। इस आई बूढ़ों भात की रस्म में परिवार के करीबी लोग और दोस्त शामिल होते हैं।
आई बूढ़ों भात रस्म का क्या है महत्व?
बंगाली शादियों में यह होने वाली दुल्हन के लिए बेहद महत्वपूर्ण और भावपूर्ण होता है। होने वाली दुल्हन जो घर में जन्म लेने के साथ खेलते,कूदते पढ़ते, लिखते हुए बड़ी होती है, वह इस रस्म के तहत आखिरी बार अपने घर आंगन में कुवांरी स्वरूप में अंतिम बार भोजन करती है। इस रस्म के बाद जब दुल्हन (दुल्हन मेहंदी डिजाइन) की शादी हो जाती है और वह अपने मायके आती है तो वह कुंवारी रूप में नहीं होती है। इस रस्म में दुल्हन को नए कपड़े पहनाए जाते हैं और सभी रिश्तेदार और मित्र शादी की बधाई के साथ तोहफे भी देते हैं।
बंगाली शादियों में ये रस्म भी हैं खास
बंगाली शादियों में प्री और पोस्ट कई तरह की पारंपरिक रस्म होती है। शादी में आई बुढ़ो भात की रस्म से लेकर गाए होलुद तत्वा, आशीर्वाद रस्म, दोधी मंगोल रस्म, चड़नाटोला रस्म, शुभोद्रष्टि, बौ बरन, काल रात्रि, बौ भात, वृद्धि रस्म जैसे कई महत्वपूर्ण रस्मों रिवाजों के साथ बंगाली शादी संपन्न होता है (बंगाली शादी रस्म)।
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