Shakhochar Rituals: आप सभी ने कई तरह की शादी-विवाह के कार्यक्रम देखे होंगे। सभी राज्य, जाति और धर्म के लोगों में शादी तो होती ही है। हिंदू धर्म में विवाह को 16 संस्कारों का एक हिस्सा माना गया है। होती तो दो लोगों की शादी ही है, लेकिन सभी के शादियों में कई अलग-अलग तरह के रस्म निभाए जाते हैं। सभी कोई अपने-अपने घर के रस्में और रीति रिवाज के बारे में तो बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। ऐसे में क्या आप दूसरे राज्य और जाति में निभाई जाने वाली रस्मों-रिवाज के बारे में जानते हैं। यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको छत्तीसगढ़ी शादी में निभाई जाने वाली एक रस्म साखोचार के बारे में बताएंगे।
क्या है साखोचार रस्म
साखो चार रस्म एक तरह का आशीर्वाद रस्म है, जिसमें सभी कोई दुल्हा दुल्हन को आशीर्वाद देते हैं। पैर छूने के बाद आशीर्वाद तो सभी देते हैं, लेकिन इस रस्म में दूल्हा-दुल्हन को मंडप में बिठाकर सभी कोई पीला चावल और फूल छिड़कते हुए वैदिक मंत्र, रामचरित मानस के चौपाई, छंद, दोहा और सोरठा से नवविवाहित दुल्हा-दुल्हन को सुंदर स्वर में स्तुती और मंत्रों से आशीर्वाद दिते हैं। ब्राह्मणों के अलावा दूसरे अन्य लोग जिन्हें सुंदर कविता या गीत गाने आता है, वो सभी अपनी-अपनी कविता और गीत के माध्यम से साखोचार गाते हुए दुल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देते हैं।
क्या होता है साखोचार रस्म में
साखोचार रस्म में सभी कोई बैठ कर अपने-अपने हाथ में पीला चावल और फूल लेकर दूल्हा-दुल्हन ( दूल्हा-दुल्हन के शॉपिंग के लिए बेस्ट हैं ये मार्केट) के ऊपर छिड़कते हैं और साखोचार गाते हैं। साखोचार होने के दौरान लड़की वाले मंडप में बैठे सभी लोगों को कई तरह के स्वादिष्ट मिठाई, ड्राई फ्रूट, पान, आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक एवं चाय पिलाते हैं। मान्यता है कि शादी के भाग दौड़ में दुल्हे के रिश्तेदारों का ढंग से स्वागत न होने के कारण साखोचार के दौरान खास तरह के मिठाई और भोजन से बारातियों का मुंह मीठा करवाया जाता है।
बराती लोगों को खास भोजन खिलाने के अलावा इस रस्म में दुल्हा-दुल्हन (होने वाली दुल्हन के लिए टिप्स) को मंत्रोच्चार से आशीर्वाद दिया जाता है। छत्तीसगढ़ी विवाह परंपरा में इसे खास रस्म माना गया है। इसके बिना शादी को अधूरा माना जाता है। साखोचार के बाद दूल्हा-दुल्हन सभी घरवालों और बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं, फिर शादी के दूसरे रस्मों की शुरुआत होती है। इस रस्म के दौरान बेहद ही खूबसूरत गीत, स्तुति, चौपाई और मंत्रोच्चार सुनने को मिलता है।
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