महिलाओं की सुरक्षा के लिए वैसे तो सरकार के दावे काफी हैं, पुलिस के दावे काफी हैं और कुछ हद तक सुरक्षा के लिए प्रशासन आगे भी आता है, लेकिन भारत की बात करें तो एक कड़वा सच ये भी है कि महिलाओं को खुद अपनी सुरक्षा पर बहुत ध्यान देना पड़ता है। यहीं अगर फिल्म इंडस्ट्री की बात करें तो वहां तो और भी ज्यादा चिंता होती है सुरक्षा को लेकर। #Metoo से लेकर कास्टिंग काउच तक हमने सब कुछ सुन रखा है और ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं। इस मामले में हमने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में काम कर चुकीं एकावली खन्ना से बात की। एकावली की फिल्म #WhatWillPeopleSay तो ऑस्कर में नॉमिनेट भी हो चुकी है।
एकावली खन्ना जो अपनी फिल्मों के लिए जानी जाती हैं वो बेहद खूबसूरत इंसान भी हैं और उन्होंने महिलाओं से जुड़े मुद्दों के बारे में खुलकर बात की है। उन्होंने हमें बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में सुरक्षा के क्या मायने हैं और वो खुद अपनी सुरक्षा के लिए क्या करती हैं।
क्या फिल्म इंडस्ट्री महिलाओं के लिए सुरक्षित है?
फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े होने के बाद भी इस सवाल का जवाब एकावली ने बहुत ही बेबाकी से दिया। एकावली ने कहा कि, 'सुरक्षा की बात करें तो आप हमेशा न कह सकते हैं। अगर आपको लगता है कि कहीं आपके लिए कुछ सही नहीं है तो आपको न कहना आना चाहिए। आपको अगर न नहीं कहना आ रहा तो आप पूरा दोष किसी को नहीं दे सकते। सुरक्षा को लेकर तो हर फील्ड में दिक्कत हो रही है। लड़कियों के साथ बहुत कुछ हुआ है। अगर #Metoo की ही बात करें तो बहुत सी महिलाओं ने आगे बढ़कर हिम्मत दिखाई, लेकिन किसी एक का झूठ हर महिला को झूठा साबित कर देगा।'
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क्या हमारी जनरेशन की महिलाएं किसी भी प्रकार की हिंसा से लड़ने में समर्थ हैं?
इसपर एकावली ने कहा, ' ये सवाल ही अलग है। कैसे कोई हिंसा के लिए तैयार हो सकता है। हमारे देश में हिंसा को डिफाइन ही नहीं किया गया है। महिलाएं खुद आगे बढ़कर हिंसा का सपोर्ट करती हैं। अगर कोई मां ये देख रही है कि उसका बेटा सामने से बहू को मार रहा है तो वो उसे वहीं क्यों नहीं रोक सकती है? सिर्फ हाथ उठाना ही हिंसा नहीं है, ताना मारना, किसी को गाली देना, किसी का लगातार मज़ाक उड़ाना भी एक तरह की हिंसा है जिसे सभी को समझना चाहिए।'
हिंदुस्तान के इस हिस्से में सबसे ज्यादा सुरक्षित कहां महसूस हुआ?
एकावली खन्ना ने महिला सुरक्षा को लेकर एकावली का एक और जवाब हमारा दिल जीत गया। एकावली का कहना था कि वो खुद अपने दो छोटे बच्चों को लेकर काफी घूमी हैं। वो हिंदुस्तान के कई हिस्सों में घूमी हैं और ये उस समय की बात है जब उनका एक बच्चा उनकी गोद में रहता था और दूसरे का हाथ पकड़े रहती थीं। उनके हिसाब से हिंदुस्तान का एक हिस्सा बहुत ज्यादा सुरक्षित है। ये है नॉर्थ ईस्ट। महिला सुरक्षा के मामले में यहां लोग ज्यादा संजीदा हैं और उन्हें यहां कहीं भी घूमने में किसी भी किस्म का डर या किसी भी किस्म की हिचकिचाहट नहीं महसूस हुई।
एकावली कहती हैं, 'नॉर्थ ईस्ट इंडिया का जवाब नहीं है जैसे सिक्किम आदि जहां बिना झिझक आप जा सकते हैं, रात में निकल सकते हैं। मैं 25-26 साल की उम्र में वहां घूमी हूं। वहां आपको कोई डर नहीं है कि आपके साथ कुछ होगा। नॉर्थ ईस्ट, सिक्किम, नॉर्थ बंगाल, मेघालय आदि इलाके में लोग महिलाओं के लिए काफी रिस्पेक्टफुल हैं।'
सुरक्षा का हक हर लड़की का है-
एकावली का कहना है कि सुरक्षा का हक हर लड़की का है। और हमारा ये कर्तव्य है कि हमें लड़कियों, महिलाओं, बच्चों के लिए सुरक्षित जगह बनानी है। महिलाओं को भी ये कोशिश करनी चाहिए कि एक दूसरे के लिए वो सुरक्षित माहौल बना सकें।
मैं ये करती हूं अपनी सुरक्षा के लिए....
एकावली खन्ना ने अपनी सुरक्षा को लेकर भी कुछ बातें कहीं। जैसे उन्हें घूमना पसंद है तो वो अपनी सुरक्षा का खुद ही ध्यान रखती हैं, 'मुझे घूमना पसंद है, मैं देश के कई हिस्सों में जाती हूं, लेकिन मैं ये जरूर ध्यान रखती हूं कि जिस भी वक्त मैं ट्रैवल कर रही हूं चाहें दिन हो या रात वो ऐसा हो जब लोग मौजूद हों। साथ ही मैं ये कोशिश कर रही हूं कि मैं जहां भी जाऊं वहां के बारे में कुछ जान लूं। और एक SOS प्लान तैयार हो जैसे अगर हम जा रहे हैं तो हमारा नंबर किसी के पास हो। हर वक्त गाड़ी नहीं होती है तो आप अगर ऊबर आदि लेती हैं तो अपनी राइड किसी के साथ शेयर कर लें।'
'मैं इतना ही कह सकती हूं कि हमे खुद भी थोड़ा रिस्पॉन्सिबल रहने की जरूरत है। जो माहौल है उसमें हम किसी पर निर्भर नहीं रह सकते कि वो हमारी सुरक्षा करेगा। भले ही आप बाहर जाएं। आप ड्रिंक करें, स्मोक करें, लेकिन थोड़ा मॉडरेशन में करें। ऐसे कई लोगों को मैंने देखा है जिन्हें पार्टी के बाद होश नहीं रहता और बाद में अफसोस होता है। ऐसे में हमें थोड़ा सावधानी रखनी चाहिए।'
सुरक्षा के लिए शिक्षित करना भी जरूरी है...
एकावली ने इस मामले में बहुत अच्छी बात कही जो शायद अधिकतर लोग नजरअंदाज़ कर देते हैं। एकावली ने कहा, 'सुरक्षा के मामले में शिक्षा भी बहुत जरूरी है। शिक्षा का मतलब सिर्फ साइंस, मैथ्स, फिजिक्स नहीं है। हमारे देश में इस मामले में तो बहुत ज्यादा बातें की जाती हैं, लेकिन इस बारे में भी बात करना लड़कियों को शिक्षित करना जरूरी है कि वो अनमोल हैं। लड़कियों को ये बताना चाहिए कोई भी आपसे गलत तरीके से बात नहीं कर सकता, गलत तरह से छू नहीं सकता, गलत व्यवहार नहीं कर सकता। अगर कोई आपको परेशान कर रहा है, कोई आपकी लगातार बेइज्जती किए जा रहा है, कोई आपको लगातार मार रहा है तो आपको चुप बैठकर सहना नहीं है। आपको उसके खिलाफ आवाज़ उठानी है। अगर ये सब बचपन से सिखाया जाए तो उनमें खुद की सुरक्षा करने की क्षमता आएगी।'
'बच्चियों को ये पता होना चाहिए कि उनके साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए। आप भी सबका सम्मान करें और आपको भी सम्मान मिलना चाहिए। लड़कियां ये बचपन से देखेंगी तो आगे बढ़ेंगी। हमारे देश में महिलाओं को भी एक दूसरे की सहायता करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर एक सास घर में देख रही है कि उसका बेटा अपनी पत्नी को पीट रहा है तो उसे इसे रोकना चाहिए। तभी एक अच्छा समाज बन पाएगा।'
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अफसोस इस बात का सबसे ज्यादा है-
एकावली को एक बात का सबसे ज्यादा अफसोस ये है कि मर्दों के ऊपर उंगलियां तो आसानी से उठा दी जाती है, लेकिन घर में, समाज में मौजूद महिलाएं भी इस बारे में बहुत कुछ करती हैं। कई बार महिलाएं खुद जिम्मेदार होती हैं कि वो किसी और महिला के ऊपर अन्याय होते हुए देखती हैं और कुछ भी एक्शन नहीं लेतीं उसके खिलाफ।
पाठकों के लिए ये मैसेज-
एकावली ने Herzindagi के पाठकों के लिए एक खास मैसेज भी दिया है। उन्होंने कहा है कि, 'हम महिलाएं हैं। हम ज्यादा सेंसिटिव हैं महिलाओं के लिए। ऐसे में हमे ये जिम्मेदारी उठानी चाहिए कि वो अपने सामने अगर किसी के साथ अन्याय होते देखें तो वो उसके खिलाफ आवाज़ उठाएं। अपने साथ अन्याय होने का इंतज़ार न करें।'
एकावली का ये कहना महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का एक और तरीका ही है। यकीनन हम महिलाओं को अपने आस-पास हो रही चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए और एक दूसरे के लिए खड़े होना चाहिए। अगर हम ये नहीं करेंगे तो हमारे लिए ये कोई नहीं करेगा। हमें ये समझना चाहिए कि हम जरूरी हैं।
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