एम्पथी या समानुभूति एक ऐसा गुण है जिसकी चाहत तो सभी लोगों को होती है,लेकिन बहुत कम लोग इसको देना और स्वीकर करना जानते हैं। जहां हमारी दुनियां स्वार्थी लोगों से भरी पड़ी है, वहीं बहुत कम लोगों में यह गुण देखने को मिलता है। लेकिन इसकी जरूरत ज्यादातर लोगों को होती है। जिसकी वजह से ज़रूरी हो जाता है कि हम अगली जनरेशन में इस गुण का संचार करें। समानुभूति सिर्फं दूसरों की फीलिंग्स समझना ही नहीं होता बल्कि दूसरों की फीलिंग्स को समझकर उनका सम्मान करना भी होता है। सरल शब्दों में दया भाव, सम्मान और समझ ही एम्पथी है। जहां कुछ बच्चे जन्म से ही सॉफ्ट हर्टेड होते हैं वहीं कुछ बच्चों में अपने परिवार से यह गुण विकसित होता है। आप भी इन टिप्स की मदद से अपने बच्चे में एम्पथी डेवलप कर सकती हैं
बच्चों को इमोशनल ज़रूरत का महत्व बताएं
ज़्यादातर लोग इमोशनल नीड्स के बारे में बात तो करते हैं लेकिन दूसरों के इमोशन को हैंडल करना बहुत कम लोगों को आता है। बच्चों को यह गुण सिखाने के लिए आप उनसे इमोशनल नीड्स के बारे में बात करें उनको समझाएं कि किस स्तिथि में लोग कैसा महसूस करते हैं। उनको पॉजिटिव तरीके से इमोशंस को हैंडल करना सिखाएं और पूछें कि अगर वह सामने वाले इंसान की जगह होते तो उनकी क्या भावनाएं होती। जो अपेक्षा वो दूसरो से रखते हैं वैसा ही व्यवहार वो दूसरों के साथ भी करें।
इसे भी पढ़ें:खेल-कूद के जरिए बच्चे इस तरह होते हैं जीवन के लिए तैयार
खेल-खेल में सिखाएं
बच्चों के साथ कोई नाटक वाला खेल खेलें। कहानी के अनुसार सब अपने-अपने करेक्टर प्ले करें। बच्चों से पूछें कि अगर तुम ऐसी सिचुएशन में होते तो क्या करते। उनसे मिले जवाब में अगर सुधार की ज़रूरत है तो सुधार कर गेम को आगे बढ़ाएं। जिससे बच्चे सीख सकें कि किस सिचुएशन को कैसे संभालना होता है। अपने बच्चों को हिंदी सिखाने के लिए अपनाएं ये आसान टिप्स
वास्तविक जीवन में घटनाओं से जोड़कर सिखाएं
आखों के सामने घटने वाली घटनाएं आपके दिमाग पर गहरी छाप छोड़ देती हैं। किन सिचुएशन में लोग किस तरह प्रभावित होते हैं यह वास्त्विक जीवन से भली-भांति सीखा जा सकता है। उदाहरण के लिए अगर आपने एम्बुलेंस में किसी मरीज़ को जाते देखा। आप अपने बच्चों से मरीज के फैमली मेंबर की भावनाओं के बारे में पूछ सकती हैं।उनको बता सकती हैं कि जब हमारा कोई अपना दुःख में होता है तो हम सामने वाले से सपोर्ट चाहते हैं उसी तरह हमको दूसरों को सपोर्ट करना आना चाहिए।ग्रैंड मां इसलिए बनती हैं अपने बच्चों की सबसे अच्छी दोस्त
इसे भी पढ़ें:Parenting Tips: इन टिप्स की मदद से टीनेजर्स को दें इमोशनल सपोर्ट
मानसिक समझ को विकसित करें
अपने बच्चे को छोटी उम्र से ही सही व गलत का फर्क समझाएं। इससे बच्चे के भीतर जीवन की घटनाओं को लेकर मानसिक दृष्टिकोण विकसित होता है। वह सिचुएशन के अनुसार बेहतर फ़ैसले लेना सीख जाता है। उसको समझाएं कि किस तरह गलत काम करने से दूसरों को नुक़सान हो सकते हैं। जाहिर सी बात जो उम्मीद हम दूसरों से अपने लिए रखते हैं वही भावनाएं हम भी प्रदर्शित करें। ध्यान रखिए एक मजूबत नींव की शुरुआत छोटी-छोटी सामान्य बातों से ही होती है।
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों