शादी के बाद अक्सर पति-पत्नी के बीच में झगड़े हो ही जाते हैं। वहीं जब ये माता-पिता बन जाते हैं तो विवाद और भी बढ़ जाते हैं, लेकिन टीनएजर्स अगर माता-पिता के झगड़े में किसी एक का भी पक्ष ले लेते हैं तो इससे सिचुएशन और खराब हो जाती है। ऐसे में टीनएजर्स को जरूरी है कि वे न्यूट्रल रहें यानी दोनों के साथ समान रहें। यहां दिए गए कुछ तरीके टीनएजर्स के बेहद काम आ सकते हैं। कोच और हीलर, लाइफ अल्केमिस्ट, साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी तुगनैत (Dr. Chandni Tugnait) से जानेंगे कि यदि माता-पिता के बीच में विवाद चल रहा है तो इस दौरान टीनएजर्स को कैसे न्यूट्रल रहने की जरूरत है और वे किस तरीके से सिचुएशन को संभाल सकते हैं।
जब पेरेंट्स के बीच में रोज-रोज झगड़े होने लगते हैं तो उसके कारण टीनएजर्स इरिटेट और परेशान हो जाते हैं और वे घर आना ही बंद कर देते हैं। वे ज्यादा से ज्यादा समय बाहर या दूसरों के साथ बिताते हैं।
वे माता-पिता से कटने लगते हैं और अपने बारे में पेरेंट्स को कुछ भी शेयर नहीं कर पाते। इस कारण वे अपनी पढ़ाई पर भी ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते और गलत संगति में पड़ जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स के झगड़ों का नकारात्मक असर टीनएजर्स की जिंदगी पर पड़ता है।
यदि आपके माता-पिता लड़ रहे हैं तो ऐसे में इनके बीच में बचाव करना आपकी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि यदि आप दोनों में से किसी एक का भी बचाव करते हैं तो आप दूसरे के मन में अपने लिए कड़वाहट पैदा कर सकते हैं। ऐसे में आप चुप रहकर सबसे पहले सिचुएशन समझें।
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टीनएजर्स को इग्नोर करना भी आना चाहिए। जब बात अपनी मां पर आती है तो ज्यादातर बच्चे मां की साइड लेना शुरू कर देते हैं, वे सही गलत भी भूल जाते हैं, जो कि गलत है। ऐसे में लड़ाई झगड़े वाली परिस्थिति में आप चुपचाप किसी और कमरे में चले जाएं और कोई ऐसा काम करें, जिससे आपके कानों तक आवाज भी न आएं। कभी-कभी इग्नोर करने से भी चीजें सही हो जाती हैं।
कोच और हीलर, लाइफ अल्केमिस्ट, साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी तुगनैत (Dr. Chandni Tugnait) ने बताया कि टीनएजर्स अक्सर झगड़ों के बीच में पेरेंट्स को इमोशनल ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं, लेकिन ये सही नहीं है। माता-पिता केी एक दूसरे से नहीं बन रही, तो हो सकता है कि वे कुछ समय के लिए इस इमोशनल ब्लैकमेल में आ जाएं, लेकिन ये ज्यादा दिन नहीं चल सकता।
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