Aurangzeb's Army Salary: मुगल साम्राज्य के इतिहास में औरंगजेब को बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। औंरगजेब को उसकी सैन्य शक्ति और विस्तार के लिए जाना जाता है। कई शोध बताते हैं कि औंरगजेब के काल में मुगल सेना सबसे मजबूत हुआ करती थी। त्तर भारत से लेकर दक्षिण के कई हिस्सों तक औरंगजेब ने अपनी इसी सेना के बल पर राज किया। क्या आप जानते हैं कि औरंगजेब अपनी इतनी शक्तिशाली सेना को कितना वेतन दिया करता था। आइए जानें, औरंगजेब अपनी सेना को कितना वेतन देता था?
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औरंगजेब की सेना में थे 4 तरह के सैनिक
इतिहास की मानें, तो औरंगजेब की सेना में मुख्य तौर पर 4 तरह के सैनिक हुआ करते थे। इनमें घुड़सवार, पैदल सेना, तोपखाना और हाथी दस्ता शामिल होता था, जिन्हें सबसे प्रमुख माना जाता है। घुड़सवार सेना को इन सभी में सबसे प्रमुख माना जाता था। इस जत्थे में करीब 2 लाख सैनिक शामिल थे। पैदल सेना में 4 लाख सैनिक होते थे। इनके पास तलवार, भाले और तीर-कमान हुआ करते थे। तोपखाने में औरंगजेब के पास करीब 5,000 तोपें हुआ करती थीं। साथ ही उसके पास 1,000 विशेष प्रशिक्षित हाथियों की भी सेना थी।
मुगल सैनिकों के लिए वेतन प्रणाली
प्रसिद्ध इतिहासकार सतीश चंद्रा की किताब के अनुसार, मुगल सैनिकों को 'मनसबदारी प्रणाली' के तहत वेतन दिया जाता था। इस व्यवस्था की शुरुआत अकबर ने अपने शासनकाल में की थी, जो औरंगजेब के समय तक चलती रही। औरंगजेब के समय में यह व्यवस्था और भी विकसित हो गई।
औरंगजेब सैनिकों को कितना वेतन देता था?
औरंगजेब अपने साधारण पैदल सैनिक को हर महीने अपनी सेवा के लिए करीब 5 से 10 रुपये देता था। उस समय यह काफी अच्छी राशि मानी जाती थी। इस वेतन में सैनिक अपने परिवार का भरण-पोषण बहुत ही अच्छे से कर पाते थे। वहीं, घुड़सवार सैनिकों को हर महीने करीब 20 से 50 रुपये प्रति माह का वेतन दिया जाता था। उच्च अधिकारियों (मनसबदारों) को हजारों रुपयों की आमदनी होती थी, जिससे वे अपने से नीचे वाले सैनिकों को वेतन दिया करते थे।
सैनिकों को कैसे मिलता था वेतन
औंरगजेब के शासनकाल में सैनिकों को नकद या 'जागीर' के रुप में वेतन दिया जाता था। इससे सैनिकों के बीच निष्ठा और कार्यक्षमता बनी रहती थी। यही कारण है कि औरंगजेब की सेना सबसे शक्तिशाली हुआ करती थी। औंरगजेब ने अपने समय में वेतन व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए काम किया।
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Image Credit: Meta AI
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