इन 6 यातनाओं को झेलने के बाद ही बन सकते हैं नागा साधु, जानें क्या हैं कड़े नियम

नागा साधु बनने के लिए एक शख्स को कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है। आइए, यहां डिटेल से जानते हैं कि क्या एक आम शख्स नागा साधु बन सकता है या नहीं। 
How to become naga sadhu

कुंभ हर 12 साल के बाद आता है, लेकिन इस बार 144 साल के बाद महाकुंभ का संयोग बना है। महाकुंभ की शुरुआत के साथ ही नागा साधु चर्चा का विषय बने हुए हैं। महाकुंभ में नागा साधुओं ने ही सबसे पहले पवित्र जल में उतकर स्नान किया था। अपने जीवन को पूरी तरह से त्याग, तपस्या और साधना को समर्पित करने वाले नागा साधुओं की दुनिया को रहस्यमयी माना जाता है। लेकिन, इसकी वजह शरीर पर राख और नग्न अवस्था में रहना नहीं है। बल्कि यह है कि नागा साधु केवल कुंभ के दौरान ही क्यों नजर आते हैं और इसके बाद कहां चले जाते हैं।

नागा साधुओं की दुनिया को जितना समझने की कोशिश की जाती है, उतनी रहस्यमयी दुनिया दिखाई देती है। ऐसे में कई बार यह भी सवाल उठता है कि क्या कोई आम शख्स नागा साधु बन सकता है। इस सवाल का जवाब तो हां है, लेकिन एक आम शख्स को नागा साधु बनने के लिए कई तरह की यातनाओं से गुजरना पड़ता है और कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है।

नागा साधु बनने के लिए किन यातनाओं और नियमों का पालन करना होता है?

process of becoming naga sadhu

नागा साधुओं के बारे में जानने को लेकर हर किसी में दिलचस्पी है, ऐसे में हमने भी उनपर कुछ जानकारी जुटाने की कोशिश की है। नागा साधु कैसे बनते हैं और वहां कहां रहते और कुंभ के बाद कहां चले जाते हैं, जैसे प्रश्न सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ इलाहाबाद के कोर्स कोऑर्डिनेटर धनजंय चोपड़ा ने अपनी किताब भारत में कुंभ में दिए हैं। साथ ही यह जानकारी ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने भी सही मानी है।

नागा का अर्थ नग्न से बिल्कुल भी नहीं है। नागा शब्द नग से आता है, जिसका अर्थ होता है जो अपना जीवन पहाड़ में बिता रहे हैं, वह नागा साधु माने जाते हैं। अगर कोई नागा साधु बनने के लिए अखाड़े जाता है, तब सबसे पहले उसे अखाड़े और गुरु के बारे में जानना होता है।

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नागा साधु बनने की इच्छा के बाद ब्रह्मचार्य का पालन और मोह-माया का त्याग करना होता है। इसी प्रक्रिया के दौरान अखाड़े की तरफ से जांच की जाती है कि शख्स अपनी जिम्मेदारियों और दायित्वों से भागकर तो नहीं आया है या उस पर किसी तरह का क्रिमिनल रिकॉर्ड तो नहीं है। 4-5 साल तक तपस्या और साधना के बाद महापुरुष बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है।

नागा साधु बनने के लिए इस प्रक्रिया में पांच गुरु अपनाने होते हैं, जिसमें ब्रह्मा, शिव, शक्ति, सूर्य और गणेश शामिल होते हैं। इसी के साथ कुछ चीजें धारण करनी होती हैं जिसमें रुद्राक्ष, जिस रंग का कपड़ा गुरु से मिले, भस्मी, चोटी जैसी अन्य शामिल हैं। इसके बाद गुरु का मान करना होता है, जिसमें गुरु चोटी काट देते हैं।

महापुरुष की प्रक्रिया के बाद अवधूत की प्रक्रिया शुरू होती है, इसमें भोर के समय संगम तट पर मुंडन संस्कार, शरीर के बालों का त्याग, लंगोटी त्याग, गुरु की लंगोटी धारण और 108 बार नदी में डुबकी की प्रक्रिया करनी होती है। स्नान के बाद जनेऊ धारण और गुरु मंत्र लेकर रात के समय ध्वजा के नीचे भगवान शिव का जाप करते हैं। साथ ही विजया हवन होता है और आचार्य की तरफ से दीक्षा मंत्र मिलता है।

where naga sadhu go after kumbh

अवधूत की प्रक्रिया यहां खत्म नहीं होती है, इस दौरान 17 पिंडदान करने होते हैं। जिसमें से 16 परिवार और 17वां अपना पिंडदान करना होता है। इसका अर्थ होता है कि आपका अब आपका इस दुनिया में कोई रिश्ता नहीं है और आपका भी नया जीवन शुरू हो गया। इसके बाद दिगंबर बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।

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दिगंबर बनने की प्रक्रिया में भोर में 108 बार डुबकी लगाकर स्नान करना होता है। मुंडन, जनेऊ धारण के साथ रात के समय मंत्रोच्चारण के बीच तंगतोड़ की प्रक्रिया होती है। तंगतोड़ की प्रक्रिया में निजी हिस्से की एक नस को खींच लिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद मान लिया जाता है कि व्यक्ति का सांसारिक जीवन समाप्त हो गया और आध्यात्मिक जीवन शुरू हो गया। दिगंबर बनने की प्रक्रिया में वस्त्र दिए जाए हैं, कुछ लोग इन्हें धारण करते हैं और कुछ त्याग देते हैं।

कहां चले जाते हैं नागा साधु?

कुंभ या महाकुंभ के बाद नागा साधु पहाड़ों और जंगलों में लौट जाते हैं। पहाड़ और जंगलों में नागा साधुओं अपनी तपस्या और साधना को पूरा करते हैं।

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Image Credit: Herzindagi.com

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