बचपन में बच्चों को जैसा माहौल मिलता है वह वैसे ही बनते हैं। चाइल्ड एक्सपर्ट नितिन सक्सेना कहते हैं कि बचपन का माहौल बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत गहरा असर डालता है। बच्चों के आसपास जैसी बातें होती हैं, पेरेंट्स का जैसा व्यवहार होता है, लोग जैसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं और जिस तरह की सोच रखते हैं, बच्चे उन सब चीजों को जल्दी सीख लेते हैं। भले ही उस वक्त बच्चे कोई प्रतिक्रिया न दें, लेकिन जाने अनजाने वह सब चीजें उनके दिमाग में छप जाती हैं, और बड़ा होकर बच्चा उसी तरह का व्यवहार करता है। यदि माता पिता के बीच तालमेल नहीं होता, वे लोग आपस में अभद्र भाषा का व्यवहार करते हैं या बच्चे को काफी मारते—डांटते हैं तो बच्चे में कान्फिडेंस की कमी आती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि बच्चों के लिए सही माहौल कैसा होना चाहिए।
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अगर किसी बात को लेकर आपका अपने पति के साथ झगड़ा या बहस चल रही है तो उसे बच्चे के सामने बिल्कुल न करें। बच्चों के सामने हमेशा पेरेंट्स को हंस कर और खुश होकर बात करनी चाहिए। एक्पर्ट कहते हैं इस चीज बच्चों के अंदर कॉन्फिडेंस की कमी आती है और वह बाहर भी हर किसी से डरते हैं। पेरेंट्स कभी भी इस चीज की उम्मीद न करें कि अगर वह अपनी बातें बच्चों को बताकर उनसे सहानूभूति लेंगे तो बच्चे उन्हें प्यार करेंगे। पेरेंट्स एक-दूसरे का सम्मान करें और बच्चे को सम्मान करना सिखाएं। अगर आप ऐसा पहले से ही करते हैं तो बहुत अच्छी बात है। साथ ही अगर बच्चे में आपको कुछ भी गलत चीज या उनका व्यवहार गलत दिखाई पड़े तो सजग हो जाएं और उनके बात करें। अगर आपको यह महसूस हो रहा है कि बच्चा आपके हाथ से निकल रहा है क्योंकि अब वह आपकी बात नहीं सुन रहा है तो किसी अच्छे काउंसलर से मिलकर फैमिली काउंसलिंग कराएं।
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