सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाएगा। इसे हरियाली तीज और श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इस साल ये व्रत दिनांक 19 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
यह व्रत सुहागिन महिलाओं के अलावा कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन सभी महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। हरियाली तीज के दिन हरे रंग का विशेष महत्व होने के कारण इस दिन सुहागिन महिलाएं हरी साड़ी, हरी कांच की चुड़ियां खासकर पहनती हैं। ऐसा मान्यता है कि इस दिन पूजा करने के साथ-साथ हरियाली तीज की कथा जरूर सुननी चाहिए। वरना व्रत सफल नहीं माना जाता है। तो आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से हरियाली तीज की कथा के बारे में जानते हैं।
एक बार की बात है, जब भगवान शिव (भगवान शिव मंत्र) मां पार्वती को उनके पूर्व जन्म के बारे में याद कराते हुए कहते हैं कि हे पार्वती ! तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर कठिन तपस्या की थी। यहां तक कि तुमने अन्न और जल के साथ-साथ सर्दी, गर्मी, बरसात जैसे सभी ऋतुओं में बहुत कष्ट सहा है। तुम्हारी तपस्या देखकर तुम्हारे पिताजी पर्वतराज बहुत दुखी हुए थे। तब एक दिन नारद मुनि तुम्हारे घर आए और उन्होंने तुम्हारे पिताजी से कहा कि मैं भगवान श्रीहरि विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं। विष्णु जी आपकी पुत्री की तपस्या से बेहद प्रसन्न हुए हैं और वह उनके साथ विवाह करना चाहते हैं।
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तब नारद मुनि की बात सुनकर तुम्हारे पिताजी अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने नारद जी से कहा कि वह विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं। यह सुनते ही नारद मुनि भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) के पास जाते हैं और उन्हें सूचित करते हैं।
फिर भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि जब तुम्हारे पिताजी ने यह खबर तु्म्हे सुनाई, तो काफी दुख हुआ। क्योंकि तुम मुझे पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थी। इसके बाद तुमने अपने मन की पीड़ा अपनी सखी को सुनाई। तब तुम्हारी सखी ने एक घने जंगल में रहने का सुझाव दिया था। उसके बाद तुम बिना किसी को बताए, वन में चली गई और जंगल में मुझे प्राप्त करने के लिए तुमने कड़ी तपस्या की ।
जब तुम्हारे अचानक लुप्त हो जाने की बात तुम्हारे पिता जी को पता चली, तो वह बेहद चिंतित हुए थे। वह सोचने लगे थे, कि इसी बीच अगर भगवान विष्णु बारात लेकर आ जाएंगे। तब क्या होगा।
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उसके बाद भगवान शिव माता पार्वती को आगे कहते हैं, कि तुम्हारे पिता जी तुम्हे खोजते- खोजते धरती पाताल को एक कर दिया था। लेकिन तुम उन्हें नहीं मिली। क्योंकि तुम उस समय एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी अराधना में पूरी तरह से लीन थी। तब मैं तु्म्हारी तपस्या से प्रसन्न होकर तु्म्हे मनोकामना पूरी करने का वचन दिया था। तब इसी बीच तुम्हारे पिता ढूंढते हुए गुफा तकज पहुंचे और फिर तुमने उन्हें अपनी पूरी बात बताई।
तुमने बताया कि मैं अपना जीवन शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तप में बिताया था और आखिर वह तपस्या सफल हो गई। फिर तुमने अपने पिताजी से कहा कि मैं आपके साथ घर तभी चलूंगी, जब आप मेरा विवाह शिव से नहीं करवाएंगे। फिर पर्वतराज तुम्हारी बात मानें और उन्होंने पूरी विधि-विधान के साथ हमारा विवाह कराया था।
अगर आप भी हरियाली तीज के दिन व्रत रख रहे हैं, तो व्रत कथा जरूर पढ़ें और अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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