हमारा हाथ गलती से भी आग को छू जाए, तो कितना जलता है न...कितनी देर तक दर्द और जलन नहीं जाती। जरा सोचिए, एक लड़की जिसे दहेज की खातिर उसी के पति ने जिंदा आग में जला दिया, कितना दर्द हुआ होगा उसे? और अब जरा सोचिए उस मासूम के बारे में जिसकी आंखों के आगे उसकी मां को जलाया गया। क्या बीती होगी उसके भोले मन पर?
वो रोती रही..बिलखती रही, जिंदगी की भीख मांगती रही लेकिन दहेज के लालच ने उसके पति को इतना अंधा कर दिया कि वो नहीं रुका और उसने अपनी पत्नी की जान ले ली।
ग्रेटर नोएडा की निक्की की कहानी इन दिनों सभी की जुबां पर है। न्यूजचैनल की हेडलाइन्स से लेकर अखबार के पन्नों तक, हर जगह इस हत्याकांड को लेकर रोष है और हो भी क्यों न, एक महिला को दहेज के लिए मारना-पीटना और फिर जला देना इस बार का सुबूत है कि आज भी हमारे समाज में इंसानी शक्ल में वहशी दरिंदे रहते हैं। दहेज की आग में जली निक्की को इंसाफ कब मिलेगा, यह एक सवाल है और उससे भी बड़ा सवाल है कि आखिर कब तक दहेज का यह दानव बेटियों की जान लेता रहेगा?
पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने भी इस हत्याकांड पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि आज भी हमारे सजमा में बेटों को पैसे का जरिया और बेटियों को बोझ माना जाता है।
निक्की की शादी साल 2016 में ग्रेटर नोएडा के सिरसा गांव निवासी विपिन से हुई थी। निक्की और उसकी बड़ी बहन कंचन दोनों की शादी इसी परिवार में हुई थी और शादी के बाद से ही दोनों को लगातार दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। निक्की की शादी के समय परिवार वालों ने दहेज और स्कॉर्पियो कार दी थी। लेकिन, इसके बावजूद निक्की को उसका पति और ससुराल वाले लगातार 35 लाख रुपये के लिए परेशान कर रहे थे।
निक्की के परिवार की तरफ से बाद में एक और कार भी दी गई, पंचायत की तरफ से कई बार समझौता करवाया गया लेकिन निक्की के ससुरालवालों की तरफ से मारपीट और प्रताड़ना का सिलसिला नहीं रुका। घटना वाले दिन भी निक्की के साथ मारपीट की गई थी।
पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि निक्की अपनी बहन के साथ मिलकर दोबारा अपना ब्यूटी पार्लर खोलना चाहती थी। उसे रील बनाने का भी शौक था लेकिन विपिन इन सभी चीजों के लिए राजी नहीं था। इसी बात को लेकर 21 अगस्त को दोनों के बीच लड़ाई शुरू हुई और फिर विपिन ने निक्की की जान ले ली।
बताया जा रहा है कि मांग पूरी न होने के बाद आरोपियों ने निक्की को मारने का प्लान बनाया और 21 अगस्त की रात बेरहमी से पीटा, जिसके बाद वह बेहोश हो गई। फिर उस पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर उसे आग लगा दी गई। इस घटना के कुछ वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे। हालांकि, ये वीडियो विचलित करने वाले हैं। एक वीडियो में निक्की का मासूम बेटा कह रहा था कि पापा ने मम्मी को लाइटर से जला दिया। वहीं, एक और वीडियो में आरोपी विपिन भाटी और एक महिला निक्की को बेरहमी से मारते हुए दिख रहे हैं। इसके बाद वह सीढ़ियों से जली हुई हालत में गिरती हुई दिख रही है। इसके बाद पड़ोसियों की मदद से निक्की को भर्ती करवाया गया। लेकिन, इसके बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर किया गया लेकिन उसके रास्ते में ही दम तोड़ दिया। इस घटना का वीडियो निक्की की बहन कंचन ने रिकॉर्ड किया था लेकिन वह अपनी बहन को नहीं बचा पाई।
ग्रेटर नोएडा पुलिस ने शनिवार को विपिन को गिरफ्तार कर लिया है। जब पुलिस उसे सुबूत जुटाने के लिए ले जा रही थी, तो उसने पुलिस की पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की। इसके बाद पुलिन की गोली उसके पैर में लगी और वह घायल हो गया। फिलहाल वह अस्पताल में है। इस घटना के बाद विपिन ने कहा, "पति-पत्नी में झगड़े होना आम बात है...मैंने निक्की को नहीं मारा। मुझे कोई पछतावा नहीं है...वह खुद से मर गई।" बता दें कि मामले में निक्की की सास को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। आज निक्की के जेठ और ससुर को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया है।
निक्की के पिता ने इस पूरे मामले में विपिन और उसकी मां को फांसी देने की मांग की है। परिवारवालों ने बताया कि पिछले कई सालों से निक्की और उसकी बहन को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था।
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पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने अब इस मामले में अहम सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि जब बेटियों को मारा जा रहा था, आखिर तब परिवार वाले क्यों पुलिस के पास नहीं गए। किरण बेदी ने कहा कि बेटियों को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था लेकिन फिर भी लड़की के परिवार वाले, लड़के वालों के मांगे पूरी कर रहे थे। दरअसल, हमारे समाज में आज भी परिवार वाले ये नहीं चाहते हैं कि बेटी शादी के बाद वापिस मायके लौट आए। उसे ससुराल को ही अपना घर मानने की सलाह दी जाती है और फिर ऐसे मामलों में दहेज का दानव बेटियों की जना ले लेता है।
वाकई यह सोचने वाली बात है कि बेशक बेटियां एक नए घर में जाकर उसे बसाती हैं, सजाती हैं...लेकिन क्या इसका मतलब कि उनका मायके पर कोई अधिकार नहीं है?
NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) के अनुसार, साल 2022 में दहेज हत्या के कुल 6,450 मामले दर्ज हुए हैं। साल 2022 के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से 2021 के बीच करीब 20 दहेज हत्याएं दर्ज की गईं। ये आंकड़े बताने कि लिए काफी हैं कि आज भी महिलाएं दहेज की बलि चढ़ रही हैं। बेशक कानून सख्त हैं लेकिन सोच कहीं बदलती नजर नहीं आ रही है। हम आज 21वीं सदी में हैं, दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए काफी कुछ बदला जा चुका हैं लेकिन जब बात महिला सुरक्षा, महिलाओं के हक और बराबरी की आती है, तो शायद हम अब भी कहीं पीछे हैं।
मैं यह भी समझ नहीं पाती हूं कि आखिर किस बात के लिए लड़की वालों से ये उम्मीद की जाती है कि वे लड़के वालों को दहेज दें..कभी लड़के की नौकरी तो कभी बैंक बैलेंस का रुआब दिखाकर क्यों लड़की वालों से पैसे मांगे जाते हैं और फिर उन मांगों के पूरी न होने पर लड़कियों के साथ इस तरह का बर्ताव किया जाता है। आखिर कब यह सोच बदलेगी और उससे पहले कितनी निक्की को अपनी जान गवानी होगी?
क्या आप सोच सकते हैं कि जिस पति के साथ निक्की ने आने वाले कल के खूबसूरत सपने सजाए थे..जिसकी लंबी उम्र के लिए न जाने कितने व्रत रखे होंगे और जिसके लिए अपना सब कुछ छोड़कर वो उसका हाथ थामकर उसकी दुनिया में आ गई थी...उसने उसे जिंदा जला दिया, रोती-बिलखती वह अपनी जान की भीख मांगती रही लेकिन वो नहीं रुका। बेशक, इस मामले में निक्की के पति और उसके ससुरालवालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए या शायद यूं कहा जाए कि कोई भी सजा उनके लिए काफी नहीं होगी। पर जो सवाल मेरे जेहन में गूंज रहा है वो यह है कि आखिर दहेज का दानव और कितनी बेटियों की जान लेगा? आप इस बारे में क्या सोचते हैं, हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं।
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