Ganesh Visarjan 2020: पंडित जी से जानें शुभ मुहूर्त और घर पर विसर्जन करने का सही तरीका

शुभ मुहूर्त और सही तरीके से करें गणपति प्रतिमा का घर पर विसर्जन। पंडित जी से जानें सही विधि। 

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गणेश चतुर्थी के बाद अब अनंत चतुर्दशी का पर्व भी आ गया है। इस त्‍योहार पर वैसे तो जगतपिता भगवान विष्‍णु के अनंत स्‍वरूप की पूजा होती है, मगर यह दिन गणपति प्रतिमा के विर्सजन का दिन भी होता है। लोग जितनी धूम-धाम से गणपति जी को गणेश चतुर्थी पर अपने घर लाते हैं, उतनी ही धूम-धाम से अनंत चतुर्दशी पर उनको विर्सजित भी कर देते हैं। हालांकि यह बहुत ही भावुक पल होता है, मगर यही धर्म की रीति है। इस बार 1 सितंबर को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।

कोवडि-19 संक्रमण की वजह से इस बार लोग घर पर ही गणपति विसर्जन कर रहे हैं, ऐसे में हमने पडिंत कैलाश नारायण से यह जानने की कोशिश की कि घर पर किस तरह से और शुभ मुहूर्त पर गणपति जी का विसर्जन करना चाहिए।

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शुभ मुहूर्त

1 सितंबर को अनंत चतुर्दशी भी है। इस दिन बहुत सारे लोग गणेश प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। यह दिन बहुत ही शुभ होता है। इस वर्ष पूरे दिन में गणेश प्रतिमा (गणपति की ऐसी प्रतिमा, जो पूरी करे सारी मनोकामनाएं) का विसर्जन करने के लिए 4 शुभ मुहूर्त पंडित जी बताते हैं। सुबह 9:10 बजे से दोपहर 1:56 बजे तक, दोपहर 3:32 बजे से लेकर शाम 5:07 बजे तक, रात 8:07 बजे से रात 9:32 बजे तक और रात 10:56 बजे से लेकर 2 सितंबर सुबह 3:10 बजे तक । इसके बाद पितृ पक्ष लग जाएंगे।

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कैसे करें घर में गणपति विसर्जन

  • गणपति प्रतिमा का जिस दिन विसर्जन करना है, उस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्‍नान करके रोज की तरह गणपति जी की पूजा करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें और विसर्जन की तैयारी करें।
  • विसर्जन के लिए आपको एक लकड़ी का पटरा लेना है और उसे साफ करके उस पर पीले रंग का वस्‍त्र (पीले रंग के कपड़े पहनने हेल्‍थ को मिलेंगे ये 3 फायदे) बिछाना है। आप चाहें तो लाल रंग का कपड़ा भी बिछा सकते हैं। इसके बाद आपको पटरे के चारों ओर सुपारी रखनी है। अब गंगाजल का छिड़काव करें और कपड़े पर चावल रखें।
  • अब आपने गणपति जी की जहां पर स्‍थापना की है, उस स्‍थान से उन्‍हें उठाएं और उस पटरे पर रखे चावलों पर बैठाएं। साथ ही गणपति जी पर उनके प्रिय गुड़हल के फूल चढ़ाएं। गणपति जी को मोदक का भोग लगाएं और उनकी आरती करें।
  • अब आपको चावल, गेहूं और पंच मेवा की एक पोटली तैयार करनी होगी। यह पोटली गणपति जी के साथ ही विसर्जित की जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि गणपति जी को यात्रा के वक्‍त भूख लगे तो वह इन चीजों का सेवन कर सकें।
  • इसके साथ ही गणपति जी के मंत्र पढ़ें और उनसे माफी मांगे कि यदि आपके घर पर उन्‍हें कोई कठिनाई हुई हो तो वह इसके लिए आपको क्षमा कर दें। इसके बाद गणपति जी को अगले वर्ष फिर से घर पर आने का न्‍योता दें।
  • अब एक गहरा बर्तन या ड्रम लें। इस में शुद्ध पानी भरें और साथ ही गंगाजल मिला कर इस पानी को पवित्र करें। फिर इस पानी में गणपति जी को 7 बार डुबकी लगवाएं और आखिरी डुबकी में उन्‍हें धीरे-धीरे विसर्जित कर दें।
  • प्रतिमा के पानी में घुल जाने के बाद उस पानी को पेड़-पौधों में डाल दें।
  • इसके साथ ही गणपति प्रतिमा के विर्सजन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।

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Image Credit: Freepik
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