Eid Ul Fitr Kab Hai 2024: रमजान और ईद-उल-फितर एक पाकिजा त्योहार माना जाता है, इसे मीठी ईद भी कहा जाता है, जो अपने साथ कई मायनों पर रहमत ले आता है, इस्लाम धर्म मानने वालों के लिए ये महीना मुबारक और अव्वल होता है। वहीं, ईद-उल-फितर त्योहार के दौरान, लोग एक-दूसरे को गले मिलते हैं, खुशियों का इजहार करते हैं और अल्लाह की रहमत और बरकत की कामना करते हैं।
एक महीने के रमजान के बाद आता है ईद-उल-फितर
ईद-उल-फितर का त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक एक महीने के रमजान के बाद आता है। ईद-उल-फितर और रमजान दोनों ही त्योहार की तारीख चांद देखकर तय की जाती है। इस साल के रमजान का चांद 11 मार्च को देखा गया था और इसी दिन से तरावीह की नमाज भी शुरू हो गई है, इसके बाद 12 मार्च 2024 से रोजा रखा जाना यानी रमजान का महीना शुरु हो गया है। इसलिए, इस्लाम धर्म में चांद देखी जाती है और चांद दिख जाने के बाद ईद की तारीख की घोषणा कर दी जाती है।
ईद-उल-फितर 2024 कब मनाई जाएगी
आमतौर पर, ईद-उल-फितर चांद को देखने के अलगे दिन मनाई जाती है, लेकिन सरहद पार कई देशों में ग्लोबल टाइमिंग की वजह से एक दिन पहले ही मना लिया जाता है। यही वजह है कि अरब देशों में भारत से एक दिन पहले रमजान, ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा मनाई जाती है। ईद-उल-फितर का त्योहार हर साल इस्लामिक कैलेंडर के 10वें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। चूंकि इस्लामिक कैलेंडर चांद पर आधारित होता है, इसलिए हर साल ईद की तारीख बदलती रहती है।
इस साल यानी 2024 में, ईद-उल-फितर की तारीख चांद के देखने के बाद ही तय होगी, इसलिए इसकी सटीक तारीख अभी तय नहीं की जा सकती है। तारीख अनुमानित तौर पर 29वां रोजा (Fast) पूरा होने पर अगर चांद निकल सकता है, तो 10 अप्रैल 2024 को ईद पड़ सकती है, वहीं अगर 30वां रोजा मुकम्मल होने पर चांद दिखाई देता है, तो ईद 11 अप्रैल को हो सकती है। तभी, ईद होने की खबर एक दिन पहले, इन तरीकों से चांद को देखने के बाद ही तय की जाती है। ज्यादातर ईद-उल-फितर के लिए, रमजान महीने के 29वें दिन चांद को देखा जाता है।
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ईद-उल-फितर के लिए चांद का महत्व
- रमजान महीने की शुरुआत के लिए, इस्लाम मानने वाले 9वें महीने शाबान के आखिरी दिन चांद को देखते हैं।
- चांद का दिखना, रमजान के साथ-साथ अन्य इस्लामी महीनों की शुरुआत और खत्म होने का प्रतीक माना जाता है।
- यह रोजा और ईद के त्योहार की शुरुआत तय करता है।
- ईद-उल-फितर की एक रात पहले सूरज डूबने के साथ आधे चांद का पहली बार देखने से शुरू होता है।
- जिस रात चांद दिखता है, उसे चांद रात के तौर पर मनाया जाता है।
- वहीं, इस पर एक मुहावरा भी बोला जाता है,
- 'ईद का चांद होना' यानी 'बहुत दिनों बाद दिखाई देना'
- उदाहरण के लिए,'अरे तुम तो ईद का चांद हो गये हो, कभी सूरत भी नहीं दिखाते'
- चांद दिखने के बाद उससे अगले दिन ईद मनाई जाती है।
- चांद दिखने पर, लोग एक-दूसरे को ईद मुबारक कहते हैं।
- ईद-उल-फितर, त्याग और अपने मजहब के प्रति जज्बे को दर्शाता है।
- यह बताता है कि एक इंसान को अपनी इंसानियत के लिए इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, जिससे कि एक बेहतर समाज का निर्माण हो सके।

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