यह तो हम सभी जानते ही हैं कि ईद रमज़ान के आखिरी दिन चांद देखकर अगले दिन ईद मनाई जाती है। इस्लामी हिजरी कैलेंडर के अनुसार शव्वाल महीने की शुरुआत ईद से होती है। यह महीना इस्लामिक कैलेंडर में दसवें नंबर पर आता है क्योंकि रमजान का महीना नौवां नंबर पर आता है।
ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार है, जिसका बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जाता है। यह त्यौहार खुशियों का त्यौहार है, जिसकी तैयारियां काफी पहले दिन से शुरू हो जाती हैं। ईद पर तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं और साफ-सुथरे कपड़े पहने जाते हैं। इस बार ईद का चांद कब नजर आने वाला है और ईद कब है यकीनन यह जानने के लिए हम सभी उत्सुक हैं। तो आइए जानते हैं-
यह तो हम सभी जानते हैं कि ईद का त्यौहार चांद पर निर्भर करता है और भारत में चांद का अंदाजा अरब के चांद पर लगाया जाता है। वहां का समय भारत से एक दिन आगे है। इस बार 20 या 21 अप्रैल को अरब में ईद का त्यौहार मनाया जाएगा। (रमज़ान में क्या करना चाहिए और क्या नहीं)
तो इस आधार पर भारत में 22 या 23 अप्रैल को मनाया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि 21 अप्रैल को चांद नजर आ सकता है। अगर भारत में 22 अप्रैल को ईद मनाई जाती है, तो इस साल 29 रोज़े रखे जाएंगे। वहीं, 23 अप्रैल को ईद का त्यौहार मनाया ही जाएगा।
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मुस्लिम ग्रंथ के अनुसार ईद का त्योहार खुशी और जीत का प्रतीक है। कहा जाता है कि इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मदको बद्र के युद्ध में सफलता मिली थी। इस दिन को प्राचीन समय में लोगों ने सेलिब्रेट किया था, जिसे ईद-उल-फितर के नाम से जाना गया।
तब से लेकर हर मुस्लिम इस त्योहार को मनाते हैं और एक-दूसरे से गले मिलते हैं, स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं और दूसरों को खिलाते हैं। वहीं, रमज़ान के महीने में रोज़े रखने के बाद अल्लाह अपने बंदों को बख्शीश और इनाम के तौर पर ईद का त्यौहार अता किया है।
कई लोगों के मन में यह सवाल भी आता होगा कि आखिर ईद का त्योहार रमज़ान के बाद ही क्यों मनाया जाता है। इस्लाम में ईद का क्या महत्व है? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ईद मुस्लिम लोगों को पूरे महीने रोज़े रखने के बाद अल्लाह की तरफ से एक बख्शीश यानि तोहफा है, जिसे ईद-उल-फितर के नाम से पुकारा जाता है।
ईद दुनिया का एक विशिष्ट धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक त्योहार है। ईद हमें बताती है कि हमारे पास जो कुछ है उसे बांटकर खाना चाहिए।
ईद के दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए अल्लाह ने फितरा रखा है। हर मुसलमान को ईद की नमाज से पहले देना वाजिब है, जिसे रमज़ान के महीने या फिर ईद की नमाजसे पहले दिया जाता है। बता दें कि 1 किलो 633 ग्राम गेहूं या 1 किलो गेहूं की कीमत किसी गरीब को देना, फितरा कहलाता है।
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यह हर उस इंसान को देना होता है, जो इंसान आर्थिक रूप से मजबूत है यानि खाते-पीते घर से है। हालांकि, 1 किलो 633 ग्राम गेहूं की कीमत बाजार के भाव के आधार पर तय की जाती है।
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