हिंदू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी ईश्वर का पूजन सही विधि से करना जीवन में समृद्धि का मार्ग खोलता है। ऐसे ही सनातन धर्म में भगवानों के साथ सूर्य और चंद्रमा की पूजा का विधान भी है।
ऐसी मान्यता है कि सूर्य को नियमित अर्घ्य देने से आपकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए लोग अर्घ्य देने के साथ मंत्रों का जाप भी करते हैं।
ज्योतिष में मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाने का एक निश्चित समय होता है और कुछ विशेष दिनों में अर्घ्य देने के लाभ भी होते हैं। सूर्य देव को शनि के पिता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए सवाल यह सामने आता है कि क्या शनिवार के दिन सूर्य को जल देना ठीक है? आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इसके बारे में विस्तार से।
क्या शनिवार को सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिए?
पौराणिक कथाओं की मानें तो शनिदेव भगवान सूर्य के पुत्र हैं और एक बार हुए मनमुटाव की वजह से दोनों एक-दूसरे के शत्रु माना जाता है। माना जाता है कि जिस ठान पर सूर्य मौजूद होते हैं उससे शनिदेव दूर भागते हैं और दोनों एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखते हैं।
लेकिन जब बात शनिवार को सूर्य पर जल चढ़ाने की आती है तब ज्योतिष में ऐसा कहीं नहीं कहा जाता है कि शनिवार के दिन सूर्य को जल न चढ़ाएं। बल्कि इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य और शनि की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।
सूर्य को शनि का पिता माना जाता है, लेकिन उनकी शत्रुता होने के बाद भी जो व्यक्ति शनि को प्रसन्न रखता है उससे सूर्य देव स्वयं ही प्रसन्न हो जाते हैं। अतः शनिवार समेत किसी भी दिन आपको सूर्य को अर्घ्य जरूर देना चाहिए।
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शनि देव और सूर्य में शत्रुता क्यों है?
स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान सूर्य का विवाह राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ था। परंतु सूर्य देव का तेज ऐसा था कि वह उनकी पत्नी से बर्दाश्त न कर सकीं। हालांकि समय बीतने पर सूर्य भगवान की तीन संतानें मनु, यमराज और यमुना हुए।
लेकिन अभी भी संज्ञा सूर्य के तेज को सहन नहीं कर पा रही थीं तो उन्होंने अपनी तपस्या के जरिए एक रास्ता निकाला। तब संज्ञा ने अपनी छाया को अपने जैसा ही रूप दिया और सभी जिम्मेदारियां उसे सौंप दी। अब छाया को सूर्य देव के तेज से कोई परेशानी नहीं होती थी। फिर सूर्य भगवान और छाया की भी तीन संतानें हुईं जिनमें से एक शनिदेव थे। ऐसा माना जाता है कि जब छाया ने गर्भधारण किया तो उन्होंने भगवान शिव की बिना अन्न व जल के कड़ी तपस्या की और इस तपस्या का असर गर्भ में पल रहे शनिदेव पर हुआ जिससे उनका रंग काला पड़ गया।
शनिदेव के जन्म एक बाद उनका काला रंग देखकर सूर्यदेव नाराज हो गए और जब शनिदेव की नजर सूर्य देव पर पड़ी तब पूरी सृष्टि में भी अंधेरा हो गया। इसके बाद सूर्यदेव ने अपने पुत्र शनि से माफी मांगी और सृष्टि का अंधेरा दूर हो गया। उसी दिन से पिता और पुत्र में शत्रुता हो गई।
शनिवार के दिन सूर्य को अर्घ्य देने के फायदे
किसी भी दिन सूर्य को जल चढ़ाने से व्यक्ति को अनगिनत लाभ मिलते हैं। ऐसे ही यदि आप शनिवार के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं तो आपको सूर्य का आशीर्वाद मिलता है और घर में सकारात्मकता आती है।
शास्त्रों के अनुसार हमेशा आपको उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। यह बहुत फलदायी माना जाता हैं। मान्यता यह है कि जो भी व्यक्ति नियमित रूप से उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यदि आपके विवाह में अड़चनें आ रही हों, या आपके जीवन में आर्थिक समस्याएं हों तो सूर्य को जल देना लाभ पहुंचाता है।
सूर्य को अर्घ्य देने के नियम
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आपको कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। सबसे ज्यादा आपके लिए सही समय का ध्यान रखना जरूरी है। हमेशा सूर्योदय के लगभग डेढ़ घंटे बाद तक सूर्य को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। सूर्य को अर्घ्य देते समय आपको स्नानादि से निविरित्त होना चाहिए। सूर्य को जल देने से पहले अन्न जल का सेवन न करना हो शुभ माना जाता है।
सूर्य को जल हमेशा आप तांबे के लोटे से दें, इससे आपको पूजा का दोगुना फल मिलता है। सूर्य को जल देते समय आपको पैरों में चप्पल या जूते नहीं पहनने चाहिए और जल हमेशा एक धारा के रूप में देना चाहिए।
यदि आप सूर्य को जल देते समय सूर्य मंत्रों का जाप भी करते हैं तो ये और ज्यादा शुभ माना जाता है। यदि आप सभी दिनों के साथ शनिवार के दिन भी शनि देव को जल चढ़ाती हैं तो आपको इसके बहुत सकारात्मक लाभ मिलते हैं और ये आपके लिए लाभकारी माना जाता है।
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