हम सभी ने बचपन से लेकर बड़े होने तक एक बार नहीं बल्कि हजारों बार ट्रेन में सफ़र किया होगा। आज भी घर जाना होता है तो ट्रेन में ही सफ़र सकते हैं। रोज करोड़ों सैलानी रेल से यात्रा करके एक जगह से दूसरी जगह पर जाते हैं। इसलिए भारतीय रेलवे को देश की लाइन भी कहा जाता है, क्योंकि ये यातायात माध्यम देश के लगभग हर हिस्से में फ़ैल हुआ है।
लेकिन आप और हम जब भी ट्रेन में यात्रा करते हैं तो टिकट ज़रूर लेते हैं। पर, देश में एक ऐसी भी ट्रेन दौड़ती है जिसमें सवारी करने पर किसी भी व्यक्ति को किराया नहीं देना होता है। जी हां, आज इस लेख में हम आपको उस ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें आप भी फ्री में यात्रा कर सकते हैं। आइए इस ट्रेन के बारे में जानते हैं।
क्या है ट्रेन का इतिहास?
जिस ट्रेन के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उस ट्रेन की कहानी बेहद ही दिलचस्प है। इस ट्रेन के बारे में कहा जाता है कि यह ट्रेन पिछले करीब 70 साल से चल रही है और पिछले 70 साल से लोग इस ट्रेन में फ्री में यात्रा कर रहे हैं। इस ट्रेन को लेकर ये कहा जाता है कि ये लगभग साल 1949 से चल रही है और हर रोज हजारों सैलानी इस ट्रेन में सफ़र का मज़ा उठाते हैं वो भी फ्री में।
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क्या है ट्रेन का नाम?
जिस ट्रेन के बारे में जिक्र कर रहे हैं वो ट्रेन दिन में सिर्फ दो बार ही चलती है। ये ट्रेन नांगल से सुबह करीब 7 बजे और भाखड़ा से दोपहर 3 बजे के आसपास चलती है। वहीं भाखड़ा से वापसी सुबह 8 बजे और शाम 4 बजे के करीब चलती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस ट्रेन का नाम 'नांगल-भाखड़ा ट्रेन' है, जो लगभग 50 मिनट की सफ़र तय करती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह ट्रेन हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बॉर्डर पर चलती है।(टॉय ट्रेन से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स)
ट्रेन चलाने का क्या है मकसद?
नांगल-भाखड़ा ट्रेन चलाने के पीछे एक बेहद ही खास मकसद है। जी हां, आपने ये ज़रूर सुना होगा कि भारत के सबसे बड़े बांध (डैम) से एक है नांगल-भाखड़ा बांध। आपको बता दें कि यह ट्रेन भाखड़ा-नांगल बांध के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से चलाई जाती है। ट्रेन चलाने का खास मकसद है कि देश की आने वाली पीढ़ी ये जान सके की देश का सबसे बड़ा भाखड़ा बांध कैसे बना और इसका क्या महत्व है।(खूबसूरत डैम)
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25 गांवों के लोग करते हैं सफ़र
भाखड़ा-नांगल ट्रेन लगभग दुनिया की एकमात्र ऐसी ट्रेन है जिसमें सफ़र करने पर यात्रियों को किसी भी तरह के टिकट लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। इस ट्रेन के बारे में कहा जाता है कि रूट में सफ़र करने वाले लगभग 25 गांवों के लोग बिना किसी किराया के इस ट्रेन में सफ़र करते हैं। बाहर से घूमने आए सैलानी भी इसमें फ्री में यात्रा करते हैं।
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