अपनी मेहनत के बल पर हम
अपनी प्रतिभा दिखा देंगे
भले कोई मंच ना दे हमको
हम मंच अपना बना लेंगे।
ये पंक्तियां जयपुर के उस मूर्तिकार पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं, जिसने अपने हुनर के दम पर कई नेशनल इंटरनेशनल खिताब अपने नाम पर दर्ज किए हैं और एक बार फिर अपनी अनोखी कला से लोगों का दिल जीत लिया है। हम बात कर रहे हैं नवरत्न प्रजापति की। इनका नाम ही इनके व्यक्तित्व की परिभाषा है। नवरत्न कई तरह की कलाओं में माहिर हैं और इनमें से एक है पेंसिल पर मूर्तियां बनाना।
देशभर में इस वक्त एक ही चर्चा है और वह है अयोध्या में बना राम मंदिर और रामलला की प्रतिमा। इस प्रतिमा को नवरत्न ने हू-ब-हू पेंसिल की नोक पर तराश दिया है। हरजिंदगी से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में नवरत्न ने अपने इस हुनर के बारे में कई सारी बातें बताईं। साथ ही नवरत्न ने यह भी बताया कि यह मूर्ति उन्होंने कैसे बनाई।
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नवरत्न बताते हैं, " मैं पहले भी भगवान गणपति, महाराणा प्रताप, महात्मा गांधी और वल्लभ भाई पटेल आदि कलाकृतियां पेंसिल पर बना चुका हूं। मैंने श्री नरेंद्र मोदी जी की भी पेंसिल पर कलाकृति बनाई है। अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में भी अपने लिए और लोगों के लिए यादगार बनाना चाहता था, इसलिए मैंने ठान लिया था कि मैं श्री राम लला की प्रतिमा को पेंसिल की नोक पर तराशूंगा। इसके लिए मैंने पहले इंतजार किया और जब श्री रामलला की प्रतिमा के चेहरे से कपड़ा हटा और उनके सुंदर मुख के दर्शन हुए तो मैंने यह मूर्ति बनाना शुरू कर दिया।" नवरत्न यह भी बताते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर के अंदर बन रहें म्यूजियम में वह अपनी इस कलाकृति को रखना चाहते हैं, क्योंकि वह दावा करते हैं कि इससे छोटी रामलला की मूर्ति किसी और ने नहीं बनाई होगी।
पेंसिल की नोक पर बनी यह मूर्ति अपने आप में बेहद खास है। नवरत्न बताते हैं, "मैं इसे 5 दिन में बना पाया हूं। सुबह 11 बजे सूर्य के प्रकाश में इसे बनाना शुरू करता था और शाम 4 बजे तक बनाता था। यह मात्र 1.3 सेंटीमीटर ही लंबी है।"नवरत्न ने अपनी इस विशेष कलाकृति को संजोकर रखने के लिए पेंसिल को एक ज्वेलरी के डिब्बे में रखा है। इतना ही नहीं, वह कहते हैं, "मैंने इसके लिए एक विशेष पेंसिल का इस्तेमाल किया है, जिसकी लेड आम पेंसिलों से थोड़ी मोटी होती है।"
श्री रामलला की मूर्ति से पहले भी नवरत्न पेंसिल की नोक से काफी कुछ बना चुके हैं। उनके द्वारा पेंसिल की लेड से बनाई गई 101 कड़ी की चेन के भी बहुत चर्चे हुए थे और इसकी सबसे विशेष बात है कि इसे गले में पहना जा सकता है। इस नायाब कलाकृति के लिए नवरत्न को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से नवाजा गया था। इसके अलावा नवरत्न ने 2 एमएम की लकड़ी की चम्मच भी बनाई थी, इसके लिए भी उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया जा चुका है।
नवरत्न प्रजापति पेशे से मूर्तिकार हैं और जयपुर में उनकी मार्बल की मूर्तियों की दुकान भी है। वह मिनिएचर मूर्तियां बनने के लिए देशभर में प्रसिद्ध हो चुके हैं। कुछ दिन पहले ही नवरत्न ने चावल के दाने से भी छोटे आकार की लकड़ी की चम्मच बनाई थी। नवरत्न केवल मार्बल या पेंसिल की लेड से ही मूर्ति बनाते हैं, बल्कि कुछ दिन पहले जब चंद्रयान-3 लॉन्च होना था तब नवरत्न ने इससे प्रेरित होकर एक क्ले मॉडल बनाया था। यह मॉडल भी देश भर में चर्चा का विषय बन गया था। नवरत्न ने वर्ष 2006 में सबसे छोटी धातु की लालटेन बनाई थी। इसे जलाया भी जा सकता है। नवरत्न की इस कलाकृति को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था।
नवरत्न प्रजापति के इस हुनर को हम सलाम करते हैं और श्री रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा पर अपने सभी रीडर्स को शुभकामनाएं देते हैं। उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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Image Credit main-inside- navratna prajapati
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