आखिर क्यों असम में इतनी गहरी है चाइल्ड मैरिज की समस्या

अगर आप न्यूज से थोड़ा भी जुड़ी रहती हैं तो आपने देखा होगा कि असम में चाइल्ड मैरिज को लेकर 2000 लोगों की गिरफ्तारी हो गई है। पर क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों?

 
How assam child marriages have became problem

असम में चाइल्ड मैरिज को लेकर एक बवंडर सा आ गया है। तीन दिनों में 2441 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। असम के चीफ मिनिस्टर हिमंता बिस्वास शर्मा का कहना है कि वो ये ड्राइव इसलिए चला रहे हैं ताकि इस सामाजिक विकार को मिटा सकें।

पर जिस तरह से असम में यूं चाइल्ड मैरिज को लेकर अभियान चलाया गया था उस तरह से ये लग रहा है कि इसे सिर्फ पब्लिक स्टंट के तौर पर चलाया जा रहा है। ये अरेस्ट उन आधार पर की गई थी जिसमें 4074 एफआईआर पुलिस के पास रजिस्टर करवाई गई थी। असम में इसके कारण कई जगहों पर प्रोटेस्ट भी चल रहे हैं और पूरे भारत की पॉलिटिकल पार्टीज इसके खिलाफ सवाल उठा रही हैं कि एकदम से इसके लिए इतनी गिरफ्तारियां क्यों?

आखिर क्यों इतनी बड़ी है चाइल्ड मैरिज की समस्या?

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की बात करें तो चाइल्ड मैरिज असम में एक सबसे बड़ी समस्या बताई गई है। इस राज्य में इन्फेंट मोर्टेलिटी और मेटरनल मोर्टेलिटी की दरें काफी ज्यादा हैं। इसका कारण यही है कि असम में चाइल्ड मैरिज जरूरत से ज्यादा होती है।

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भारत सरकार का 2019-2020 में किया गया सर्वे ये बताता है कि असम में अंडरएज मदर्स और प्रेग्नेंट लड़कियों की संख्या 11.7 प्रतिशत है जो अपने आप में बहुत ज्यादा खतरनाक है। ये नेशनल एवरेज से ज्यादा है जो 6.8 प्रतिशत है। इसका मतलब कि असम में लड़कियां बहुत ही कम उम्र में मां बन रही हैं।

किन धाराओं के तहत हो रही हैं गिरफ्तारी?

असम में जिस तरह की गिरफ्तारियां हो रही हैं उसमें से अगर किसी इंसान की शादी 14 साल से कम उम्र की लड़की से होती है तो उसे POCSO एक्ट के तहत सजा दी जाएगी और अगर किसी की शादी 14 से 18 साल की उम्र की लड़की से होती है तो उसके खिलाफ चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।

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क्या सिर्फ असम में होती है चाइल्ड मैरिज?

नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है। चाइल्ड मैरिज की समस्या जिस तरह से बढ़ रही है वो भारत के कई राज्यों में होती है। अगर राजस्थान की बात करें तो अक्षय तृतीया के मौके पर यहां पर बाल विवाह का रिवाज है। कई ऐसी जगहें हैं जो कम्युनिटी स्पेसिफिक हैं उदाहरण के तौर पर मुस्लिम समुदाय में कई जगहों पर बाल विवाह होता है। ये किसी एक राज्य या किसी एक समुदाय की समस्या नहीं है, लेकिन इस तरह की कार्यवाही पर कई तरह की बातें की जा सकती हैं।

एकदम से इतनी बड़ी मुहिम ये भी दिखाती है कि ये समस्या असम में कितनी ज्यादा गहरी थी।

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क्या है इस मामले में मेरी राय?

असम की ये कार्यवाही पॉलिटिकल जो भी रंग लाए, लेकिन असल मायने में ये दिखाती है कि असम की समस्या कितनी ज्यादा हो रही है। बचपन में शादी करने का मतलब ये है कि आप बच्ची की पूरी जिंदगी पर असर डाल रहे हैं। बच्ची को जिंदगी भर की तकलीफ दे रहे हैं। जल्दी मां बनने के लिए उसका शरीर तैयार नहीं होता है और उसके बाद उसे तरह-तरह की बीमारियों का शिकार भी होना पड़ता है। हालांकि, चाइल्ड मैरिज जैसी समस्या पर सिर्फ गिरफ्तारियां करना ही काफी नहीं है।

इसके लिए सही मायनों में जागरूकता पैदा करना जरूरी है। अगर लोग इसे लेकर जागरूक नहीं होंगे तो किसी भी तरह से इसे लेकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। इसके लिए स्कूलों में शिक्षा देने की जरूरत है और गांव-गांव जाकर ये समझाने की जरूरत है कि छोटी बच्चियों की शादी करवाना कितना बड़ा पाप है। जब तक लोग इसे लेकर जागरुक नहीं होंगे तब तक चाहे कितनी भी गिरफ्तारियां हो जाएं ये प्रैक्टिस चलती ही रहेगी।

इस मामले में आपकी क्या राय है ये हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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