कच्ची उम्र में मां बनी दोस्त की मौत का हुआ ऐसा असर कि इस महिला ने बाल विवाह के खिलाफ छेड़ दी मुहिम

इस महिला ने कच्ची उम्र में अपनी दोस्त को डिलीवरी के वक्त खो दिया। इसका उसके मन पर इतना गहरा असर हुआ कि उसने बाल-विवाह के खिलाफ मुहिम चलाने का फैसला कर लिया।

 
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25 साल की विजयलक्ष्मी शर्मा राजस्थान के जोरिंडा भोजपुरा गांव में पैदा हुई थी, जो फागी जनपद में आता है। लेकिन विजयलक्ष्मी जब पैदा हुईं, तो उनकी मां महज 14 बरस की थीं। पांच साल में विजयलक्ष्मी के दो भाई-बहन और हो गए। विजयलक्ष्मी ने अपना बीएड पूरा किया और उनके भाई ने भी। उनका सबसे छोटा भाई सिविल इंजीनियरिंग कर रहा है। गांव की पृष्ठभूमि से आने के बाद अच्छी शिक्षा हासिल कर लेना अपना आप में बड़ी बात है, लेकिन इसका दारोमदार जाता है विजयलक्ष्मी पर, जिन्होंने पढ़ाई के लिए अपने माता-पिता पर जोर डाला।

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दोस्त की मौत ने बदली सोच

जब विजयलक्ष्मी महज 13 बरस की थीं, उन्होंने अपनी दोस्त की शादी होते हुए देखा। एक साल बाद वह गर्भवती हो गई और दुर्भाग्य से डिलीवरी के वक्त उसकी मौत हो गई। इस घटना का विजयलक्ष्मी के मन पर इतना गहर असर पड़ा कि वह अपने लिए भी कुछ ऐसी ही भविष्य सोचने लगी। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि उसके पेरेंट्स और रिश्तेदार भी स्कूली पढ़ाई के दौरान ही उसकी शादी की बात करने लगे थे। वह अक्सर अपने घरवालों को अपने लिए शादी की चर्चा करते सुनती थी, लेकिन एक दिन उससे रहा ना गया। और उसने चिल्लाकर कह दिया, 'मुझे अभी शादी नहीं करनी।' अपनी बेटी के इस रिएक्शन से पेरेंट्स हैरान रह गए, क्योंकि विजयलक्ष्मी हमेशा शांत ही रहती थीं।

पिता की सहमति से आगे बढ़ीं विजयलक्ष्मी

विजयलक्ष्मी ने बाद में अपने पिता से गुजारिश की कि उसकी पढ़ाई के लिए उसे सपोर्ट करे। विजयलक्ष्मी ने अपने पिता से कहा, 'पिता जी, मैं आपको यकीन दिलाती हूं कि मैं कभी भी आपके मान को कम नहीं होने दूंगी। मैं शादी से पहले बहुत कुछ करना चाहती हूं।' बेटी की अलग सोच ने पिता को भी सोचने पर मजबूर किया और वे उसके कहे पर चलने के लिए राजी हो गए। पिता की इसी सहमति के बाद विजयलक्ष्मी के सोशल एक्टिविस्ट बनने और बाल विवाह रोकने की तरफ कदम बढ़ गए। हालांकि विजयलक्ष्मी को पूरी तरह से सहयोग मिलने में वक्त लगा, लेकिन एक-एक करके उसके समर्थन में कई गांव वाले जुट गए।

परिवार ने दिया विजयलक्ष्मी का साथ

विजयलक्ष्मी की मुहिम में उनके परिवार ने उनका काफी साथ दिया। विजयलक्ष्मी का एक भाई लोगों को उनके भविष्य के बारे में बताता है और दूसरा कुंडली देखता है। दोनों भाइयों ने समाज में अपनी पहचान के बल पर बच्चियों के परिवार वालों को जागरूक बनाने के लिए कदम उठाए। वहीं विजयलक्ष्मी के पेरेंट्स ने बच्चियों के पेरेंट्स को समझाया। इस बीच विजयलक्ष्मी ने युवा लड़कियों से बात की और उन्हें कच्ची उम्र में सेहत और रिश्तों पर पड़ने वाले असर के बारे में बताया। इस परिवार के प्रयासों का असर था कि इन्होंने बहुत कम वक्त में अपने और आसपास के गांव की 15 बच्चियों का बाल-विवाह होने से रुकवा दिया।

चुनौतियों का डटकर किया सामना

लेकिन विजयलक्ष्मी के लिए इस सफर पर चलना आसान नहीं था। खुद पर खतरा होने के बावजूद यह 24 साल की महिला घर-घर जाकर लोगों को जागरूक बनाती है और उन्हें बाल विवाह रोकने के लिए आगाह करती है। यह एक बड़ा संघर्ष था। विजयलक्ष्मी की मां को अक्सर धमकी भरे कॉल आते थे क्योंकि रूढ़िवादी सोच वाले लोगों को विजयलक्ष्मी की बातें बहुत अखरती थीं। कई बार विजयलक्ष्मी खुद भी ऐसे कॉल अटेंड करती थीं और उन लोगों से झल्लाकर कह देती थीं, 'जो करना है, कर लो, मैं तुम लोगों से नहीं डरती। विजयलक्ष्मी की मां अपनी बेटी के लिए परेशान हो जाती थीं, लेकिन वह इस बात से भी वाकिफ थीं कि उनकी बेटी एक नेक मकसद के लिए संघर्ष कर रही है और मुश्किलें उसकी राह में आएंगी ही।

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