हिन्दू धर्म में सभी त्योहारों और तिथियों का विशेष महत्त्व है। खासतौर पर एकादशी तिथि बहुत ज्यादा मायने रखती है और इस तिथि में भक्त जन विशेष तौर पर भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। प्रत्येक माह में दो एकादशी और साल में 24 एकादशी व्रत होते हैं जिनका अपना अलग ही महत्त्व होता है। जिस साल मलमास होता है उस साल 24 की जगह 26 एकादशी व्रत होते हैं जिनका अपना अलग ही महत्त्व है।
ऐसी ही एकादशी तिथियों में से एक है फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह एकादशी व्रत 25 मार्च को मनाया जाएगा। आइए जाने माने ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस एकादशी की तिथि, समय, पूजा विधि और इसका महत्त्व।
किसी भी एकादशी व्रत में मुख्य रूप से भगवान् विष्णु का पूजन किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आमलकी एकादशी, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है। आमतौर पर फाल्गुन महीना फरवरी से मार्च के बीच होता है इसलिए यह एकादशी भी इन्हीं महीनों में होती है। इस साल यानी कि साल 2021 में आमलकी एकादशी 25 मार्च को है। इसलिए इसी दिन भगवान् विष्णु का पूजन लाभकारी होगा। इस दिन मुख्य रूप से आमले के वृक्ष की पूजा करने का विधान है।
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हिन्दू धर्म के अनुसार वृक्षों के पूजन का अपना अलग विधान है। मुख्य रूप से बरगद, पीपल और आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है और ऐसा माना जाता है कि इन वृक्षों में भगवान का वास होता है। मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि की रचना के समय भगवान विष्णु ने आंवले को पेड़ को मुख्य रूप से प्रतिष्ठित किया था। इसलिए आंवले के पेड़ में ईश्वर का स्थान माना जाता है। यह भी माना जाता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत एवं पूजन करने से विष्णु भगवान् प्रसन्न होकर भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं।
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मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन करना अत्यंत शुभ होता है। इस एकादशी व्रत का श्रद्धा भाव से पालन करने से हजार तीर्थों के बराबर फल की प्राप्ति होती है और भक्तों को मोक्ष मिलता है। यदि आप एकादशी व्रत नहीं रखते हैं, तब भी इस दिन आंवले का सेवन करना विशेष फल देता है। इस दिन भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करें और स्वयं भी इसे ग्रहण करें। आमलकी एकादशी व्रत रखने वाले भक्तों को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। व्रत करने से विष्णु जी उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। साथ ही व्रत करने से एवं विष्णु भगवान का माता लक्ष्मी समेत पूजन करने से माता लक्ष्मी जी का आशीर्वाद भी मिलता है। इस व्रत से संतान सुख, धन -धान्य और यश में वृद्धि होती है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
आमलकी एकादशी व्रत अत्यंत लाभकारी है और इसे करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik and pintrest
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