होली का पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 28 मार्च को है। होली का त्यौहार होलिका दहन के साथ शुरू होता है और रंग पंचमी तक चलता है। हालांकि, पहले के जमाने में यह त्यौहार 5 दिन मनाया जाता था, मगर अब समय की कमी के कारण ऐसा नहीं होता है और केवल होलिका दहन और परेवा के दिन ही यह त्यौहार सेलिब्रेट किया जाता है।
इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है होलिका दहन। इस दहन में असुरों के राजा हरिण्यकशिप ने अपने बेटे प्रह्लाद को जलती चिता पर जिंदा अपनी बहन होलिका के साथ बैठा दिया था। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे तब तक भस्म नहीं कर सकती, जब तक उसके सिर पर विशेष दुपट्टा रहेगा, जो उसे वरदान स्वरूप प्राप्त हुआ था। लेकिन जब वह भगवान नारायण के परम भक्त प्रह्लाद को गोदी में बैठा कर अग्नि पर बैठी तो दुपट्टा उड़ गया और प्रह्लाद पर जा गिरा। इस तरह होलिका भस्म हो गई और प्रह्लाद बच गए।
उज्जैन के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य कैलाश नारायण बताते हैं, 'होलिका असुर थी मगर उसके कारण ही इतनी बड़ी धार्मिक घटना घटित हुई थी, इसलिए कई घरों में होलिका दहन के दिन घर की महिलाएं, जिनके पुत्र होते हैं वह होलिका की पूजा करती हैं और बेटों को रक्षासूत्र भी बांधती हैं। '
इतना ही नहीं, पंडित जी यह भी बताते हैं कि होलिका दहन के वक्त कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए-
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शुभ मुहूर्त पर करें होलिका दहन
होलिका दहन हमेशा शुभ मुहूर्त पर ही होना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा के अंतिम भाग भद्रा काल में ही होना चाहिए। इस बार होलिका दहन के लिए 28 मार्च 2021, रविवार के दिन शाम 6 बज कर 37 मिनट से लेकर रात 8 बज कर 56 मिनट तक का वक्त बेहद शुभ है।
होलिका दहन से पहले क्या करें
कई घरों में महिलाएं होलिका दहन के दिन बेटों के अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए व्रत रखती हैं और होलिका दहन के बाद ही उनका व्रत खुलता है। ऐसे में जो महिलाएं व्रत रखती हैं उन्हें होलिका और प्रह्लाद की पूजा करनी चाहिए और भगवान विष्णु के नरसिंह स्वरूप का ध्यान करना चाहिए।(कपड़ों से होली का रंग हटाने के उपाय)
उबटन का महत्व
होलिका दहन के दिन बेटों को उबटन लगाएं और उबटन को उतारते वक्त उसकी उतरन को एक कागज की पुड़िया में बांध लें और होलिका दहन के वक्त अग्नि में स्वाहा कर दें। वैसे केवल बेटों के ही नहीं बल्कि आप बेटियों के भी उबटन लगा सकती हैं। ऐसा करने के पीछे महत्व यह है कि उबटन की उतरन के साथ ही शरीर के सारे रोग और बुरी बलाएं होलिका के साथ भस्म हो जाती हैं। इसके साथ ही अपनी संतान की लंबाई को सूत के धागे से 7 बार नापें और उसे भी होलिका दहन के वक्त अग्नि में डाल दें।
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औरतें और होलिका दहन
हिंदू धर्म में औरतों का चिता को जलते देखना वर्जित माना गया है। खासतौर पर गर्भवति महिलाओं को होलिका दहन के दिन घर से न तो बाहर निकलना चाहिए और न ही चौराहा नापना चाहिए। होलिका दहन से पूर्व आप होलिका और प्रह्लाद की पूजा कर सकती हैं, उन्हें पूड़ी, चने और हलवा (सिंघाड़े के आटे का हलवा) चढ़ा सकती हैं लेकिन होलिका को न तो आपको जलना चाहिए और नहीं उसे जलते हुए देखना चाहिए।
होलिका दहन के दिन क्या करें
होलिका दहन के दिन सूर्य को अर्घ जरूर दें और रात में चंद्रमा को भी अर्घ दें। इसके साथ ही गाय के गोबर से बने बल्ले होलिका पर जरूर चढ़ाएं। होलिका दहन के वक्त ईख में होला बांध कर भूनें और घर के सभी सदस्यों में प्रसाद के तौर पर बांटें। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने पर घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।(होली के लिए घर सजाने के टिप्स)
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