मध्य प्रदेश हीरों की खदानों के लिए प्रसिद्ध है और एक बार फिर यह राज्य सुर्खियों में है। दरअसल एमपी के पन्ना में एक बेशकीमती हीरा मिला है। यह पहली बार नहीं है, जब यहां हीरा मिला है। इससे पहले भी पन्ना में खदान से हीरे की बरामदगी की गई है। लेकिन हर बार मिलने वाले हीरों में कुछ खास होता है और हर हीरा एक-दूसरे से अलग होता है। इस बार मिले हीरे के साथ भी कुछ ऐसा ही है। इस बार मिला हीरा बेशकिमती है। तो चलिए जानते हैं कि ऐसा क्या है इसमें खास और कितनी होगी इसकी कीमत?
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आपको बता दें कि यह हीरा एक मजदूर को तब मिला जब वह खदान में खुदाई का काम कर रहा था। इसे सुनकर आपको यह लग रहा होगा कि उस मजदूर की किस्मत चमक गई, लेकिन ऐसा नहीं है। बता दें कि मजदूर ने यह हीरा 'हीरा कार्यालय' में जमा करवा दिया है। पन्ना (एमपी के सांची स्तूप के बारे में जानें) के हीरा कार्यालय के एक हीरा अधिकारी ने बताया कि यह हीरा पन्ना जिला मुख्यालय से करीब पद्रंह किलोमीटर दूर रानीपुर की उथली हीरा खदान की खुदाई के दौरान मिला है। जिस मजदूर को उच्च क्वालिटी का यह बेशकीमती हीरा मिला है, वह 35 वर्ष का है और उसका नाम आनंदी लाल कुशवाहा है।
इस हीरे का वजन 10.69 कैरेट है और इसकी कीमत लाखों में है। हीरे की कीमत की जानकारी रखने वालों के अनुसार इस हीरे की कीमत कम से कम पचास लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक है और यह नीलामी में इतने में बिक सकता है। आपको बता दें कि इसे बेचने के लिए नीलामी में रखा जाएगा और इस नीलामी से जो भी पैसा मिलेगा, वह टैक्स काट कर उस मजदूर को दिया जाएगा।
मध्य प्रदेश (मध्य प्रदेश के हाथी महल के बारे में जानें) में हीरा मिलने की यह पहली घटना नहीं है। जिसेे यह हीरा मिला है उस मजदूर ने खुद यह बात बताई कि इससे पहले भी इसी खदान की खुदाई के दौरान उसे सत्तर सेंट का हीरा मिल चुका है और अब उसे यह 10.69 कैरेट का बेशकीमती हीरा मिला है। इसके अलावा भी यहां खदान की खुदाई के दौरान 29.46 कैरेट का हीरा मिल चुका है। वहीं, 2018 में भी पन्ना के खदान से 42.9 कैरेट का हीरा मिला था, जिसे 2.55 करोड़ रुपये में बैचा गया था। आपको बता दें कि 1961 में पन्ना में हीरे की खदान से 44.55 कैरेट का हीरा निकला था।
भारत का गौरव कहे जाने वाला कोहिनूर ब्रिटेन की महारानी के ताज की शोभा बढ़ा रहा है। कोहिनूर को मुगल शासक अकबर से लेकर शाहजहां तक ने पहना था, फिर यह लुट के बाद ईरान पहुंच गया और वापस भारत आया भी तो इसे अंग्रेज लेकर चले गए। कोहिनूर हीरे की खोज भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के गोलकुंडा की खदानों में हुई थी। एक समय इसे दुनिया का सबसे बड़ा और बेशकिमती हीरा माना जाता था। कोहिनूर नाम के पीछे की कहानी अगर बताएं तो इस हीरे का नाम नादिर शाह ने कोहिनूर रखा था।
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कोहिनूर का शाब्दिक अर्थ होता है रोशनी का पहाड़, लेकिन हीरे की इस चमक से कई सल्तनत के राजाओं का हमेशा के लिए सूर्य अस्त हो गया। ऐसी माना जाता है की यह हीरा अभिशप्त है। यह हीरा सिर्फ महिलाओं और संतों के लिए ही भाग्यशाली होता है और अगर इतिहास को देखा जाए तो यह बात सच भी लगती है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो जुड़ी रहिए हमारे साथ। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए पढ़ती रहिए हरजिंदगी।
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