आमतौर पर माता-पिता, भाई-बहन और ससुराल में सास, ननंद, देवर आदि के साथ कई बार छोटी-छोटी बातों पर तनाव हो जाता है। ऐसे में महिलाओं की यही इच्छा होती है की इस तनाव का अंत हो और सभी के साथ अच्छे संबंध बने रहें। इसके लिए एक अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है। कई बार सिर्फ धैर्य से अपने प्रिय जनों की बातें सुन लेने से बिगड़ी बातें बन जाती हैं। परिवार वालों को वक्त देने और शांत भाव से उनकी बातें सुनने पर उन्हें लगता है कि उन्हें सम्मान और प्रेम दिया जा रहा है। घर-परिवार में सौहार्द्र और खुशहाली के साथ संबंधों में मजबूती बनाए रखने के लिए इन 5 बातों का जरूर ध्यान रखें-
परिवार के बीच मौजूद होने पर कई बार हमसे ऐसे टॉपिक्स पर भी चर्चा होती है, जिनमें हमारी दिलचस्पी नहीं होती है या समय की कमी के चलते हम उनकी बातें पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते। ऐसे में उनकी बात बीच में काटने की भूल ना करें। कई बार महिलाएं यह सोचकर परिवार के सदस्यों के बोलने के दौरान उन्हें टोक देती हैं, क्योंकि वे ये जाहिर करना चाहती हैं कि वे बात पर ध्यान दे रही हैं, लेकिन इसका मतलब यही निकाला जाता है कि बोलने वाले को उचित सम्मान नहीं दिया जा रहा। ऐसे में समय की मांग को देखते हुए यथासंभव शांत रहें और अपने प्रियजनों की बात को बीच में ना काटें। इससे फैमिली लाइफ में खुशियां हमेशा बरकरार रहती हैं।
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कई महिलाएं किसी भी विषय पर होने वाली बातचीत को खुद पर केंद्रित कर लेती हैं। कई बार महिलाएं अनजाने में यह काम करती हैं और कई बार वे खुद पर ध्यान आकर्षित कराना चाहती हैं। लेकिन यह गलती संबंधों में खटास पैदा कर सकती है। अगर आपकी ननद या देवर की शादी की चर्चा चल रही है तो आपको उसमें अपने अनुभव जोड़ने के बजाय उनकी बातों को ध्यान से सुनना जरूरी है। यह ऐसा समय है जब उनकी बातों को सुनकर उनके साथ खड़े होने का अहसास करा सकती हैं और उनकी किसी भी तरह की समस्याओं में जरूरत पड़ने पर मदद भी कर सकती हैं। इसे मैरिटल लाइफ में सुख-शांति का वास बना रहता है।
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घर-परिवार में अक्सर किसी ना किसी बात पर नाराजगी हो जाती है। अगर कभी परिवार वाले आपसे किसी बात पर नाराज हो जाएं और आपके खिलाफ बोलने लगें तो उसमें बुरा ना मानें और धैर्य से उनकी बातें सुनें। इस बात का आंकलन करें कि क्या वाकई आपसे गलती हुई है। बहुत सी महिलाएं तनाव की स्थिति में अपने घर वालों की बातों से बुरी तरह आहत हो जाती हैं और अपने बचाव में कई ऐसी बातें बोल देती हैं, जो परिवार वालों को तकलीफ देती हैं। अपने बचाव में बहुत ज्यादा बोलने से संबंधों में तनाव पैदा होता है। अगर आप अपने प्रियजनों की बातें ध्यान से सुनें और उनका नजरिया समझने की कोशिश करें, तो मुमकिन है कि समस्या का समाधान निकल आए और तनाव भी दूर हो जाए।
मुमकिन है कि आप अपने जीवन में बहुत व्यस्त हों, घर परिवार से लेकर ऑफिस तक आप पर कई तरह की जिम्मेदारियां हों, लेकिन परिवार के सदस्यों से जल्दबाजी में बात करना और उन्हें अपनी बात कहने के लिए पर्याप्त समय ना देना आपके लिए अच्छा नहीं है। जब आप अपनी सास या ननद से यह कहते हैं कि वे सीधे मुद्दे की बात करें, तो यह चीज सही नहीं मानी जाती। आप भले ही उनसे सीधे-सीधे जल्दी करने को ना कहें, लेकिन जब आप बार-बार अपनी घड़ी देखती हैं, कमरे में इधर-उधर देखती हैं या उनकी बात सुनते हुए फोन देखने लगती हैं तो यह सभी चीजें दर्शाती हैं कि आप उनकी बातों में रुचि नहीं ले रहीं, जिससे वे हर्ट हो सकती हैं। वे ये भी सोच सकती हैं कि आप उनका सम्मान नहीं कर रहीं। पारिवारिक संबंधों में इस तरह का व्यवहार अच्छा नहीं माना जाता।
परिवार में इमोशंस का बहुत महत्व होता है। सिर्फ शब्द ही नहीं, बल्कि भाव भंगिमाएं भी बहुत मायने रखती हैं। जब आप परिवार के सदस्यों से आंखों में आंखें डाल कर बात करती हैं तो वे आपसे बात करने में ज्यादा बेहतर कनेक्ट फील करते हैं। उन्हें फील होता है कि आप उन्हें महत्व दे रही हैं। साथ ही यह चीज एक अच्छे लिसनर की निशानी भी मानी जाती है।
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