अपनी मां के लिए कोई कितना भी करे वो कम ही रहता है, पर कई लोग उनपर ध्यान ही नहीं देते हैं। मां के लिए काफी कुछ कर गुजरने वाले लोगों की गिनती भी कम नहीं है। कोई अपनी मां के लिए किडनी तक डोनेट कर देता है तो कोई उनकी इच्छा पूरी करने के लिए अपना सब-कुछ लगा देता है। आखिर मां होती ही ऐसी है कि उनके लिए कुछ भी करने का मन कर जाए। जिसके पास जितना होता है मां के लिए उतना किया जाता है। जोधपुर के 17 साल के एक लड़के ने भी कुछ ऐसा किया जो यकीनन काबिलेतारीफ है।
बच्चों की आदत होती है कि वो अपनी गुल्लक में धीरे-धीरे कर पैसे जमा करते हैं और अपनी छोटी-छोटी सेविंग्स के साथ ही अपने लिए कुछ खास खरीदा जाता है। पर कुछ ही बच्चे ऐसे होते हैं जो शुरू से ही अपनी मां के बारे में ही सोचते हैं। इन्हें कलियुग का श्रवण कुमार ही समझें क्योंकि यही उनकी खासियत है।
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जोधपुर के सहारन नगर में रहने वाले राम सिंह ने अपनी मां को उनके जन्मदिन पर खास तोहफा दिया है। उन्होंने 12 साल की अपनी जमा पूंजी लगाकर मां के लिए एक फ्रिज खरीद लिया है। खबर के मुताबिक राम सिंह ने ये बचत करना 2007 से शुरू किया था।
राम सिंह ने इतने सालों में इतने पैसे जोड़े कि पूरी रकम 35 किलो सिक्कों के रूप में सामने आया। जी हां, राम चरण ने अपनी पर्सनल सेविंग्स को फ्रिज के लिए खर्च जरूर किया, लेकिन जिस तरह से उन्होंने पैसे जोड़े थे वो देखकर दुकान वाले भी काफी खुश हो गए थे। हालांकि, राम चरण के पास नया फ्रिज खरीदने के लिए 2000 रुपए कम थे, लेकिन फिर भी दुकानदार ने राम चरण को 2000 रुपए का डिस्काउंट भी दे दिया।
राम सिंह ने अपनी मां के लिए फ्रिज खरीदने का फैसला एक न्यूजपेपर विज्ञापन को देखकर लिया। जैसे ही विज्ञापन देखा तो शोरूम के मालिक को फोन किया उन्होंने। राम सिंह ने दुकान वाले को कह दिया कि वो सिर्फ सिक्कों में पेमेंट कर सकते हैं। पहले तो शोरूम के मालिक ने इसे मना किया, लेकिन बाद में अपनी मां के लिए इतना प्यार देखकर शोरूम का मालिक मान भी गया और साथ ही साथ राम सिंह को डिस्काउंट कीमत में इलेक्ट्रॉनिक सामान भी दिया।
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दरअसल, राम सिंह के घर में पुराना फ्रिज खराब हो गया था और नया खरीदने के लिए उनकी मां बार-बार कहती रहती थीं। इसलिए राम सिंह ने अपने हाथों में जिम्मेदारी ली और गुल्लक तोड़ दी। बचपन से आज तक जब भी उनकी गुल्लक भर जाती थी वो अपनी मां को नोट दे देते थे और सिक्के खुद रख लेते थे।
उनके सिक्के 13,500 रुपए की कीमत के थे और इसमें 1 रुपए, 2 रुपए, 5 रुपए और 10 रुपए शामिल थे। ये सिक्के जोधपुर के ही शिव शक्ति नगर इलाके की एक दुकान में दिए गए। इन सिक्कों को एक साथ जोड़ने और अलग-अलग उसका काम करने में चार घंटे लग गए थे उन्हें। इन सबको एक थैले में भरा गया और ये 35 किलो निकला।
अब आप खुद ही समझ लीजिए कि राम सिंह को कलियुग का श्रवण कुमार कहा जा रहा है।
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